Tuesday, 13 September 2016

आवा का आवा ही बिगड़ा हुआ है




“आवा का आवा ही बिगड़ा हुआ है”
     पिछले दिनों मे IT मे छपे एक लेख जिसमे झारखंड के एक गाँव का जिक्र था जो कि आजकल  साइबर क्राइम का गढ़ बना हुआ हुआ है को पढ़ रहा था तो अकस्मात मुझे वर्षों पहले पढ़ी गई एक किताब के कुछ अंशों जिनमें मध्य प्रदेश के गाँव का जिक्र था कि याद हो आई। तो आइये आज कुछ इस पर प्रकाश डालते हैं   
उत-खोपड़ी

     कई वर्षो पहले मैंने मध्य प्रदेश के एक पुलिस अधिकारी (शायद उनका रैंक एसपी या एजीपी रहा होगा) द्वारा लिखी गई पुस्तक के कुछ अंश पढ़े थे जिसमें इस बात का जिक्र था कि कैसे वो अधिकारी जहां भी उनकी पोस्टिंग होती थी वे पूरा प्रयास करते थे कि उस इलाके में अपराधों का ग्राफ कम हो और इस बात को लेकर वो इतने ज्यादा संवेदनशील थे कि स्वम कुछ लोगों को लेकर दूर दराज के गाँव में जाकर लोगों को समझाते थे और उनका ये प्रयास काफी हद तक कामयाब भी रहा। इसी प्रयास के दौरान उनको एक ऐसे गाँव का चला जो पूर्णतया अपराधियों का गढ़ था।उस गाँव मे सभी स्त्री हों या पुरुष सभी अपरराधों मे लिप्त थे। जब वे अपने लाव लश्कर के साथ वहाँ पहुंचे तो पहले तो कोई भी व्यक्ति ये जानकार कि ये पुलिस मे बड़े साहब हैं कुछ कहने को ही तैयार नहीं हुआ। बड़े साहब द्वारा उस गाँव कि महिलाओं को भी समझने का प्रयास किया गया किन्तु कोई कुछ सुनने को ही तैयार नहीं था और सभी एक ही रट लगाए हुए थे कि हम अपना काम (चोरी चकारी,उठाईगीरी) नहीं छोडने वाले। पुलिस टीम के साथ गई कुछ महिलओं ने बड़ी मुश्किल से बात करने के लिए राज़ी किया। बड़े साहब ने उन्हें अच्छा नागरिक (गाँववासी) बनने के लिए तरह तरह के प्रलोभन दिये किन्तु फिर भी अपने काम धंधे को छोडने के लिए तैयार नहीं हुए तब बड़े साहब ने सख़्ती दिखाते हुए कहा कि वे सारे गाँव वालों जेल मे डलवा सकते हैं तब तो स्थिति और भी विकट हो गई ।खैर जैसे तैसे बहुत समझने-बुझाने के पश्चात जो स्थिति सामने आई उस स्थिति की तो बड़े साहब ने कल्पना तक न की थी। उस गाँव के एक व्यक्ति (शायद प्रधान) ने जो बताया उसका लब्बो-लुआब ये था कि “साहब हम तो पीढ़ी दर पीढ़ी ये चोरी चकारी का काम ही करते आ रहे हैं, हमारे दादाओं ने हमारे पिताजी को ये गुण दिया और अब हम अपने बच्चो को अपना यही हुनर सिखला रहे हैं कारण स्पष्ट है साहब हमें और कोई काम आता ही नहीं। वर्षों पश्चात पढ़ी हुई उस किताब के अंश मुझे आज भी रोमांचित कर देते हैं।
     इसी किताब के अंश मे एक और घटना का जिक्र था कि चंबल के आस पास अपराध जाने अनजाने कैसे पनपते हाँ। इस बात का जिक्र करते हुए उदरहरण का तौर पीआर वो अधिकारी लिखते हैं कि “ एक गाँव मे चाचा और भतीजा अपने अपने खेत जोतकर, भरी दुपहरी में पेड़ के नीचे खाना खाते हैं और खाना खाने के बाद वो समय काटने के लिए (दोपहर के वक़्त ज्यादा तेज़ धूप होती हैं) वो पास पड़ी हुई पेड़ से गिरि टहनी उठाकर जमीन पर अपने-अपने खेत बनाते हैं फ़िर भतीजा या चाचा पकड़ी हुई टहनी को एक दूसरे के खेत मे ये कहकर घुसेडते हैं कि ले चाचा मैंने अपनी भैंस तेरे खेत मे घुसेड़ दी अब तो तेरी फसल का सत्यानाश कर देगी ,चाचा अपनी वाली टहनी से उस टहनी नुमा भैस को खदेड़ने कि कोशिश करता है और दोनों मे तू तू मैं मैं (मज़ाक मे) शुरू हो जाती है जो धीरे धीरे भयंकर रूप ले लेती है। उसका परिणाम होता है कि अब वो जमीन पर खिचीं हुई लकीरों को अपना अपना खेत समझ लेते हैं और नौबत हाथा पाई तक आ जाती हैं और अंत में या तो चाहा या भतीजा एक दूसरे का सर फोड़ देते हैं और कभी कभी तो मामला इतना बढ़ जाता है कि वे गंडासे या फावड़े से एक दूसरे पर वार कर देते हैं और दोनों मे से एक कि मौत हो जाती है और फ़िर पुलिस-थाना,कोर्ट-कचहरी तक जा पहुँचती है।  इस घटना के द्वारा वो श्रीमान ये समझाना चाहते थे कि सामान्यतया अपराध कभी कभी जानबूझकर नहीं किए जाते वरन मनुष्य आवेग और आवेश मे आकर भी कर बैठता है।


    

                          "बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ"
कोई इनको भी बचाओ और पढ़ाओ
     इसी प्रकार कुछ रूढ़िवादी परम्पराएँ सदियों से इस देश में चली आ रही है जिनमें से एक है प्रथा है देह व्यापार।आपको जानकार आश्चर्य होगा कि सदियों से चली आ रही इस प्रकार कि विक्रत प्रथा आज भी देश के विभिन्न हिस्सों मे पाई जाती है जहां बचपन से ही लड़कियों को इस गलीच प्रथा को मानने के लिए मजबूर होना पड़ता है। मध्य प्रदेश की लगभग छत्तीस जातियों में सदियों से ये प्रथा चली आ रही है। इस जाति को बेड़िया नाम से पुकारा और जाना जाता है किन्तु मध्य प्रदेश मे बेड़िया जाति की महिलाएं एक अनुमान के अनुसार पूरे भारत में इस समय लगभग  पाँच लाख से भी अधिक है। यह मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार और बंगला देश में पाये जाते हैं। इसी समुदाय की एक मशहूर महिला जिनका नाम गुलाब बाई है नौटंकी की मशहूर अदकारा मनी जाती है राष्ट्रीय पुरस्कार (पद्म श्री) से सम्मानित भी किया गया। इस जाति की लड़कियों को 10-14 वर्ष की हो जाने पर लड़की को राई का प्रशिक्षण देकर बेडनी बना दिया जाता है।मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में प्रसिद्ध लोक नृत्य 'राई' बेड़िया जाति के द्वारा ही किया जाता है।राई के साथ ही देह व्यापार भी जुड़ा हुआ है इस जाति मे नियमानुसार घर की पूंजी (लड़की) से देह व्यापार करवाया जाता है। नृत्य के लिए एक बार तैयार हुई लड़की जीवन में कभी व्याह नहीं कर सकती है। अर्थात उसके लिए लौटने का कोई और रास्ता नहीं होता है। बस वह किसी की रखैल (बिन व्यही औरत बन के) रह सकती है।

     बेड़िया जाती (समुदाय) की अर्थव्यसथा परिवार की स्त्रियों द्वारा किए जाने वाले देह व्यापार और राई पर ही निर्भर होती है। सामान्य तौर पुरुष छोटे मोटे अपराध भी करते हैं इस जाति में शिक्षा का प्रतिशत काफी कम है। अशिक्षा के अंधकार मे डूबे इन लोगों को समाज की घोर उपेक्षा का शिकार भी होना पड़ता है। ग्रामीण परिवेश में रहने वाली यह जाति के लिए अलग-अलग कई गाँव बसाये गए हैं। जिससे ये मुख्य धारा में नहीं जुड़ सके। बेड़िया समाज के बच्चों की स्थिति अन्य बच्चों की तुलना में कई तरह से बदतर है ये बच्चे समानयता हीन-भावना से ग्रस्त रहते हैं। लड़के तो किशोर अवस्था तक अपराधी बन जाते हैं। या घर छोड़ कर चले जाते हैं।
     आजादी के बाद इस समुदाय को अनुसूचित जाति की श्रेणी में तब्दील कर दिया गया आजादी से पहले ये लोग जन-जाति के तौर पर अपना जीवन बिताते थे। चूंकि इनके संबंध सामन्ती लोगों के साथ थे, साथ ही यह किसी नई जाति के साथ अपने संबंध भी नहीं बनाते है। शायद यही कारण है कि इस जाति में लोक नृत्य 'राई' की परंपरा विकृत होकर  कई स्थानो पर अब सिर्फ देह व्यापार में तब्दील हो गई है।अब निर्धन हो चुकी बेड़िया जाति स्वयं अपना शोषण करवाने को मजबूर है। पुराने समय में तो राजा महाराजा और जमींदार इन्हें संरक्षण देते थे। जमींदारी समाप्त होने पर यह खाना-बदोश जाति जहाँ तहाँ बस गयी और रोजगार के लिए सिर्फ देह व्यापार पर ही आश्रित हो कर रह गयी। लेकिन इसकी निर्मिती में मुख्य समाज की भूमिका काफी अहम नजर आती है। 


                                "एकला चलो रे"

मैं अकेला ही काफी हूँ
     यूँ तो क्षेत्रफल के हिसाब से राजस्थान मध्य प्रदेश के बाद दूसरा सबसे बड़ा राज्य हैं किन्तु इस राज्य में भी कुछ अजीबो गरीब किस्से सुनने या देखने को मिल जाएंगे। पिछले दिनों चुरू जिले का एक श्याम पँड़िया नामक गाँव (2011 की जनगणना के अनुसार) काफी चर्चित रहा। श्याम पँड़िया नामक गाँव नेठवा ग्राम पंचायत के तहत आता है।इस गाँव  में सिर्फ एक मंदिर है अन्य कोई व्यक्ति यहाँ निवास नहीं करता।यहाँ एक मात्र  एक ही व्यक्ति निवास करता है और वो भी एक पुजारी जिसका नाम ज्ञानदास है। इससे पूर्व इस गाँव मे राजेश गिरि पुजारी थे। चूँकि ये गाँव मात्र डेढ़ बीघा जमीन पर है। गाँव नेठवा ग्राम पंचायत के सरपंच लीलाधार प्रजापति बताते हैं कि इस गाँव मे बरसों से केवल एक आदमी ही रहता है जो की इस मंदिर का पुजारी है।आश्चर्य तब होता है जब उस व्यक्ति अर्थात पुजारी के नाम से राशन कार्ड और वोटर आई डी कार्ड भी इश्यू किया गया है।पुजारी महोदय आसपास के गाँवों से अनाज और अन्य सामग्री एकत्रित करता है ताकि उसकी गुजर बसर हो सके। गाँव के इस मंदिर की मान्यता भी काम नहीं है भद्रपद मास की अमावस्या को यहाँ एक बड़ा मेला लगता हैं और इसे देखने के लिए सैकड़ों गाँवों के लोग इक्कट्ठे होते हैं।

                           सौ मे एक 

और पप्पू पास की जगह फ़ेल हो गया (100 गाँवों का गोरखधंदा)

     अब बात करते हैं उस गाँव की जो कि आजकल साइबर क्राइम का गढ़ बना हुआ है। आजकल सभी लोगों के पास जो की मोबाइल धारक हैं के पास कभी न कभी इस प्रकार के फोन कॉल अवश्य आए होंगे कि मैं आरबीआई ,एसबीआई या किसी बीमा कंपनी से फोन आए होंगे कि मैं फलां फलां कंपनी या बैंक से बोल रहा हूँ। बैंक का सर्वर डाउन हो गया है हम नहीं चाहते कि आपका एटीएम कार्ड का इस्तेमाल गलत लोग कर पाएँ अतएव आप कृपया अपना डेबिट या क्रेडिट कार्ड नंबर बताएं।जब आप अपने कार्ड का नंबर बताते हैं तो फ़िर आपसे कहा जाता है कि सुरक्षा के लिहाज से कृपया आप अपना पिन नंबर बदलवा लें ताकि कोई इसका गलत इस्तेमाल न कर सके।जब आप उस अंजान कॉल करने वाले व्यक्ति को अपना पिन नंबर देते है  ताकि वो सिस्टम में डालकर आपको दूसरा पिन नंबर दे तो कॉल करने वाला व्यक्ति आपको कहता है कि आपकी जानकारी कम्प्युटर द्वारा चेक की जा रही है कुछ देर आपको बताया जाता है कि 15-30 मिनिट के अंदर आपको अपने मोबाइल पर नया पिन देने से पहले एक नंबर भेजा जाएगा ताकि चेक किया जा सके कि आप ही सही ग्राहक हैं। अब आप जैसे ही अपना पिन नंबर उसको देते हैं वो उस कार्ड का इस्तेमाल कैश निकालने से लेकर ख़रीदारी करने तक कर डालते हैं जैसे ही आपके मोबाइल पर ओटीपी आता है फर्जी कॉल वाला आपसे कहता है कि मैंने अभी जो नंबर आपको भेजा है वह क्या है जब आप उसको वो ओटीपी नंबर बताते हैं वो अपना काम कर जाते हैं और बस आप गए काम से जब तक आप कुछ समझे तब तक तो आपके मोबाइल नंबर कि दूसरी सिम तैयार कर आपके द्वारा दी गई डिटेल्स के आधार पर वो ठग दूसरा एटीएम कार्ड बनाकर आपको लाखों का चुना लगा चुका होता है।आप पुलिस में जाए या कहीं और लेकिन पता कुछ नहीं चल पाता।

     खैर ऐसे ही दो कॉल मैंने स्वम रिसीव कीं थीं और चूँकि मेरे मोबाइल में TRU Caller लगा हुआ है तो मैं बच गया और मैंने उल्टा उससे ही पूछ लिया कि एसबीआई का हैड्क्वार्टर बिहार में कब से शिफ्ट हो गया भाई। कहने कि आवश्यकता नहीं की दूसरी ओर से तुरंत फोन काट दिया गया। चूँकि मैंने उस कॉल को रेकॉर्ड कर लिया था और अपने ऑफिस के प्रांगण मे स्थित (केवीआईसी मुख्यालय) एसबीआई के मैनेजर को इसकी सूचना दी तो मैनेजर साहब ने बताया कि वो खुद इस प्रकार की कॉल रिसीव कर चुके हैं।  आखिर ये माजरा क्या है। आइये समझते हैं।

     झारखण्ड राज्य का पूर्वी इलाका है जो कि आज जन जीवन से काफी हद तक कटा हुआ हैं। बात अगर कम्प्युटर शिक्षा की की जाए तो जामताड़ा पूरे झारखण्ड राज्य मे सबसे निचले पायदान पर है। जामताड़ा जिलें में 1161 गाँव हैं सभी गाँव पूर्ण रूप से बरसात पर निर्भर है।  बिजली आने की दर भी 24 घण्टों में से मात्र 4-5 घंटे ही है किन्तु जामताड़ा जिले के लगभग 100 गाँवों के निवासी लगातार दमदार तरीके से साइबर ठगी में पारंगता हासिल कर चुके हैं। इनमें भी कालाझरिया और दुधनिया गाँव तो साइबर ठगी के तौर पर पहचने जाते हैं । 24 साल का सीताराम मण्डल जिसने ये धन्दा 2012 में शुरू किया और आज उसके पास गाँव में सभी सुख सुविधाएं मौजूद हैं 2 पक्के मकान, महिंद्रा Scorpio और 12 लाख से ज्यादा की नकदी।आश्चर्य तब होता है जब उसके पिता उसके गाँव वाले इसमें कुछ भी गलत नहीं मानते। जब कुछ पत्रकारों ने इन दोनों गाँवों का दौरा किया तो कोई भी इन पत्रकारों से बात नहीं करना चाहता था कारण ये दोनों गाँव जहाँ 2010 से पहले निर्धनतम गांवो के क्ष्रेणी मे थे वहीं 2010 से 2014 तक इन चार वर्षों में यहाँ के लड़कों ने साइबर ठगी कर कर के दोनों ही गाँवों के काया ही पलट दी ।अब सब तरफ खुशहली छाई हुई है जिसके ग्रहण के लिए ये इन पत्रकारों को दोषी मानते हैं।

     आखिर इस साइबर ठगी का पटाक्षेप कैसे हुआ। वैसे तो 16 राज्यों की पुलिस इस साइबर धोखाधड़ी से परेशान थी ।इस ठगी में तो देश के लगभग सभी राज्यों के लोग शिकार भी हुए जिनमें कुछ पुलिस वाले भी थे। पप्पू मण्डल जो कि इस काम में अपने को मास्टर मानता था गलती से उसने केरल के संसद सदस्य प्रेमचंद को आरबीआई का अधिकारी बनकर फोन करने कि गलती कर बैठा और उन्हें एक लाख साथ हजार कि चपत लगाने में कामयाब भी हो गया।कहते है न लालच बुरी बाला एक बार कामयाब होने पर उसने कई बार उस संसद को फोन पर ओटीपी मांग मांग कर परेशान कर दिया और संसद महोदय ने वो कॉल दिल्ली पुलिस को स्थानांतरित कर दी। इसी के बाद पुलिस ने अपनी जांच ज्यादा तेज़ कर दी और जांच के दौरान ये पाया गया कि जो गाँव पिछड़ों में है उन गाँवों पर लगे टावरों पर सबसे ज्यादा कॉल आ और जा कैसे रही है। और पप्पू पास की जगह फ़ेल हो गया ।  इसी सिलसिले में पश्चिम बंगाल पुलिस ने भी 1 जुलाई को जामताड़ा कि सोनाबाद पंचायत के उप-मुखिया 32 साल के सद्दाम हुसैन को गिरफ्तार कर लिया उस पर कोलकतता के शंकर कुमार बोस को 1 लाख से ज्यादा कि चपत लगाने का इल्ज़ाम है।

::: प्रदीप भट्ट :::13:09:2016


































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