-पल्टू की सोच-
रवि, शशि,सुमेरू, हर्ष और परमानंद उर्फ पल्टू ये पाँचों “सदानंद
जोशी जूनियर हाई स्कूल” के आठवी कक्षा के छात्र हैं। पाँचों ही में गहरी मित्रता
है, साथ साथ पढना और खेलना इनकी दिनचर्या है। रवि के पिता
नैनिताल में BDO के
पद पर हैं वहीं शशि के पिता की परचूने की दुकान है , सुमेरू
के माता- पिता दोनों ही सरकारी अध्यापक है, वहीं हर्ष के
माता- पिता इस दुनियाँ में नहीं हैं लखनऊ में एक सडक हादसे में उन दोनों की मृत्यु
हो गई थी। तब से हर्ष अपने ननिहाल में ही रहकर पढ रहा है। ये चारों मित्र जहाँ
नैनिताल में रहकर अपनी पढाई कर रहे हैं, वहीं परमानंद उर्फ
पल्टू नैनिताल से तीन कोस दूर एक गाँव से रोज़ना साईकिल से नैनिताल स्थित स्कूल आता
है। उसके पिता एक कृषक हैं, दादा, दादी, माँ और अपने तीन
बहनों का इकलौता भाई साथ में दो गाय,दो बैल, पाँच भेड, सात बकरियों
एवम दो कुत्तों के साथ खुशहाल परिवार है। चारों बहन भाई को जितना आपसे में एक
दूसरे से प्रेम है उतना ही प्रेम उन्हें अपने
सभी पारिवारिक सदस्यों गाय,बैल,भेड
बकरी एवम दोनों कुत्तों से भी है।
इत्तिफाक से पाँचो को ही विज्ञान में गहरी रूची है। रवि जहाँ “Bio-Technology” में अपना करिअर बनाना चाहता
है वहीं शशि Aeronautical Engineer बनने का ख्वाब संजोए बैठा
है। सुमेरु का एक मात्र लक्ष्य पढाई पूरी करने के बाद नेशनल डिफेंस एकेडमी,
देहरादून है। उसकी इच्छा है कि वह भारतीय सेना के लिए वैज्ञानिक
प्रयोग करे और कीर्तिमान स्थापित करे। हर्ष केमीकल इंजिनियर बनना चाहता है वहीं
परमानंद उर्फ पल्टू किसी से कुछ भी शेयर नहीं करता वरन पढाई और खेलने के बाद वह
अपने पिता के काम में हाथ बटाना ज्यादा पसंद करता है। अच्छी बात यह है कि पाँचो
मित्रों में इतना अद्भुत सामांजस्य है कि कभी भी किसी भी बात को लेकर कोई लडाई
झगडा नहीं होता यहाँ यह विशेष है कि परमानंद उर्फ पल्टू को पल्टू कहकर बुलाने का
अधिकार या तो पल्टू के घरवालों को है या उसके चारों दोस्तों को यदि स्कूल में अन्य
किसी ने परमानंद को पल्टू कहकर बुलाया तो समझो उस लड्के की खैर नहीं। इसी तरह मौज
मस्ती में पूरा वर्ष कब और कैसे बीत गया किसी को पता ही नहीं चला। खैर तय समय पर
परिक्षाएँ हुईं और तय समय पर ही परीक्षा का परिणाम भी घोषित हो गया। जैसा कि
अपेक्षित था आठवीं कक्षा के विज्ञान के कुल 123 छात्रों में से परमानंद को
सर्वाधिक अंक प्राप्त हुए। शशि,सुमेरू,रवि
और हर्ष के अंक भी परमानंद द्वारा प्राप्त अंको के आस पास ही थे शेष छात्रों में
41 अनुत्रिण हुए थे एवम 77 छात्रों ने बस परीक्षा जैसे तैसे पास की थी।
23 मार्च-2015 को श्री रवि शंकर शुक्ल प्रधानाध्यापक जिनकी
नियुक्ति पिछ्ले प्रधानाध्यापक की जुलाई में सेवा निवृति के बाद अगस्त्-2014 में
हुई थी ने आठवीं कक्षा में उत्रीण हुए कामर्स, आर्ट एवम विज्ञान के सभी छात्रों को रिज़ल्ट कार्ड देने हेतु सभा कक्ष में
प्रात: 8 बजे उपस्थित होने का निर्देश दिया। तय समय पर सभा की कार्र्वाई शुरु हुई।
बारी बारी से आर्ट,कामर्स एवम विज्ञान के अध्यपकों ने सभी
उत्रीण छात्रों को शुभकामनाएँ प्रेषित की एवम उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की
एव्म सभी छात्रों को रिज़ल्ट कार्ड वितरित कर दिये।और अध्यक्षीय भाषण के लिए
प्रधानाध्यापक महोदय को आदर सहित पोडियम की ओर आने का आग्रह किया। सभी अध्यापकों एवम
छात्रों को लगा कि अब रवि शंकर शुक्ल प्रधानाध्यापक महोदय भी पिछले प्रधानाध्यापक
की भाँति ही रटा रटाया भाषण देकर सबको बोर करेगें, इसलिए कुछ
ने अपना सामान भी समेटना शुरु कर दिया किंतु प्रधानाध्यापक महोदय ने आरम्भिक
उद्बोधन के मध्य में ही अप्रत्याशित रुप से उन्होने विज्ञान के उन पाँचों छात्रों को मंच पर आने के
लिए आमंत्रित किया। सभी अधयापक एवम छात्र इस अप्रत्याशित घटना से हतप्रभ थे।
प्रधानाध्यापक ने पाँचो छात्रों का परिचय पूछा और कहा कि मेरी
जानकारी के अनुसार आप पाँचो विज्ञान में गहरी रुची रखते है परमानंद को छोडकर आप चारों
ने अपने लक्ष्य भी निर्धारण किये हुए हैं मैं चाहता हूँ कि आप बारी बारी से अपनी भविष्य
की योजनाएँ हम सबसे साझा करें ताकि अन्य विज्ञान के छात्र भी इससे लाभांवित हों और
विशेष रुप से वो 41 छात्र जो इस वर्ष अनुत्रीण हुए हैं, आगामी वर्ष में न केवल उत्रीण हों बल्कि विज्ञान
विषय में अपनी रुचि और गहरी कर सकें और अंत में मैं चाहूँगा कि परमानंद आज अपने मित्रों
के अतिरिक्त यहाँ उपस्थित सभी छात्रों और अध्यापकों को अपने लक्ष्य के विषय में भी
बताए। शुरुआत रवि से होगी।
रवि ने मंच पर आकर सभी को प्रणाम किया और विज्ञान विषय में रुचि
और “Bio-Technology” में करिअर बनाने के उद्देश्य
को सबके साथ साझा किया। इसी प्रकार शशि Aeronautical Engineer बनने के अपने लक्ष्य को दोहराया।सुमेरु ने अपने जीवन का एक मात्र उद्देश्य/लक्ष्य
“नेशनल डिफेंस एकेडमी, देहरादून” को बताया और यह भी बताया कि वह भारतीय सेना के लिए बुलेट रोधक हेल्मेट
एवम वर्दी बनाना चाहता है। हर्ष ने अपने सम्बोधन में केमिकल इंजिनियर बनने के अपने
प्रण को दोहराया साथ ही बताया कि उसे इसकी प्रेरणा अपने मामा जी से मिली है। और अंत
में परमानंद ने मंच पर आकर सभी गुरुजनों को प्रणाम किया और बताया कि वो विज्ञान का
प्रयोग किसानों और मजदूरों के लिए करना चाहता है। ऐसा करने की प्रेरणा उसे अपने किसान
पिता एवम अन्य किसानों के साथ साथ फसल के बाद मजदूरों की हाड तोड मेहनत देखकर हुई।इसी
के साथ उसने गाँवों में बिजली की कमी के विषय में बताया साथ ही समाधान स्वरुप सौर उर्जा
एवम पशुओं के गोबर से बिजली बनाने के अपने दृढ संकल्प को भी दोहराया। उसकी बातें और
उद्देश्य सुनकर सभी आश्चर्य से उसकी तरफ देखने लगे और उसकी मित्र मण्डली विशेष तौर
पर। क्यों कि उन्होंने ऐसा तो स्वप्न में भी नहीं सोचा था कि उनका प्रिय मित्र परमानंद
उर्फ पल्टू किसानी को अपना करियर चुनेगा।
अंत में प्रधानाचार्य महोदय ने अपनी विशेष टिप्पणी में बताया
कि मैने जब से इस स्कूल में ज्वाइन किया है तब से उनकी इन पाँचों छात्रों पर नज़र थी।
चूँकि ये स्कूल सिर्फ आठवीं तक है एवम इसके बाद ही बच्चे डिसाइड करते हैं कि उन्हें
नौवीं क्लास में क्या लेना है।कामर्स लेनी है आर्ट या फिर विज्ञान अतएव उन्होंने इस
सभा का आयोजन इसी उद्देश्य से किया ताकि छात्र अपने विषय में स्वंय निर्णय ले सकें।
और अंत में आप सभी को भविष्य की शुभाकामनाएँ।
-प्रदीप देवीशरण भट्ट-23.03.2020