Wednesday, 15 May 2019

टाइम मैगजीन की गलत टाइमिंग




Pradeep Devisharan Bhatt:



-Time Magzine की गलत Timing-

आजकल जिसे देखो लोकसभा चुनाव -2019 फेसबुक, ट्विटर एवं  व्हाट्सएप पर अपना ज्ञान बघारने में लगा हुअा है। कोई मोदी का फ़ैन है तो  कोई कॉंग्रेस का (राहुल का कोई फ़ैन नहीं है, अन्य दलों की तो बात ही छोड़ो) सब लगे हुए हैं नेकी औऱ बदी का हिसाब क़िताब करने। ऐसा प्रतीत होता है जैसे 3 जून क़ो सरकार बनने पर उन्हें विज्ञान भवन के अशोक हाल में उनकी विशिष्ट सेवाओं के लिए सम्मानित किया जाएगा। जब कि ऐसा कुछ भी नहीं होने वाला। लोग भूल जाते हैं कि बारातियों की आवभगत द्वारचार तक ही होती है। उसके बाद ख़ाना खाईये औऱ घर क़ो सरकिये। यही हाल रिश्तेदारों का भी होता है । उनकी देखभाल लड़की की विदाई तक औऱ परिवार की मिजाज पूर्सि एक बरस तक। उसके बाद हम भले और हमारे  दामाद और हमारी लड़की भली । इस सत्य क़ो जिसनें जान लिया पहचान लिया वो सुखी वरना भईय्या होता रह दुःखी ।

अब आते हैं time magzine के कवर पेज की और उस पर लिखी इबारत की  " India divider in chief" जिस पर विपक्ष कपड़े फाड़कर अपनी छाती पीट रहा है कि देखो हम तो पहले ही कहते थे की मोदी देश तोड़ रहा है, मुस्लिमों के विषय में नहीं सोच रहा है, नोटबंदी और gst के कारण देश गर्त में चला गया है देश में असुरक्षा का माहौल है जिस कारण forign निवेशक आगे नहीं आ रहे इसलिए मोड़ी लोकसभा चुनाव में राष्ट्रवाद का सहारा ले रहा है एवं फलाना और ढिकाना।

इससे पहले की मैं इस मामले की चीरफाड़ करूं आपा ये जान लें की Time magzine में ये लेख लिखा किसने है ? ये हैं जनाब आतिश तासीर  पत्रकार हैं (आतिश मतलब आग) पाकिस्तान के एक प्रांत के गवर्नर के पुत्र! इनकी जानकरी इतनी अधकचरी है कि इन्हें पत्रकार कहना मुनासिब नहीं होगा औऱ वो भी Time Magzine के लिऐ जिसमें अपने लेख में विश्व के सबसे बडे़ लोकतंत्र के प्रधानमंत्री के विषय में तथ्यहीन जानकारी पेश की। आतिश तो पाकिस्तान से है उसकी भारत के प्रति  कुंठा तो समझ आती है किंतु Time Magzine ने इस लेख को प्रकाशित करके अपनी साख पर ज़रुर बट्टा क्यूँ लगा लिया ये समझ से बाहर है। हम पहले ये जान लें कि Time Magzine में नरेन्द्र मोदी को पहली बार जगह नहीं मिली है। 2014, 2015 एवं 2017 में प्रधानमंत्री मोड़ी को विश्व के 100 सबसे पवरफुल लोगों में से ऐक माना गया है॥
 
 अब बात करते हैं देश के असुरक्षित माहौल की जिससे विदेशी निवेशक घबरा रहे हैं। चूंकि हमारा मुक़ाबला पाकिस्तान से तो कभी था ही नहीं सो हम चीन से तुलना करते हैं। भारत में वर्ष 2015 में FDI से लगभग 45 अरब रुपए आए थे वहीँ 2018 में यही आंकड़ा लगभग 60 अरब में परिवर्तित हो गया। कैसे ? ? ?
भारतवंशियों ने 2017 में कुल 70 अरब रूपए देश में भेजे एवं 2018 में लगभग 80 अरब रुपए भारत में भेजे। जबकि चीनी नागरिकों ने 2017 में 64 अरब रुपए एवम 2018 में लगभग 73अरब रूपए (statics as per world bank report) अब इन छद्म पत्रकार महोदय से कोई ये पूछे की अगर भारत में माहौल सुरक्षित नहीं है तो FDI में इतनी बढ़ोत्तरी कैसे और Indian Daispora (भारत के बाहर जाकर बसने वाले लोग, जिन्हें हम भारतवंशी भी कहते हैं )इसी प्रकार चायनीज डायस्पोर ये विश्व में सबसे ज्य़ादा है॥ क्या ये संभव है कि कोई भारतवंशी अपनी मेहनत की कमाई सिर्फ़ देशप्रेम की खातिर भारत भेजेगा हर्गिज नहीँ जब तक के उसे अच्छा रिटर्न ना मिलै फ़िर forign इन्वेस्टर्स ऐसा रिस्क क्यूं लाएगा। मतलब कि ये लेख सिर्फ़ औऱ सिर्फ़  भारत और एक मजबूत प्रधनमंत्री पर कीचड़ उछालने के लिए प्रकाशित कराया गया है । कौन लोग हैं इसके पिछे ? ?

जिन भी लोगों का ये काम है उन्होने इस कहावत को चरितार्थ ज़रुर किया है कि "हम तो डूबेगें सनम तुमको भी ले डूबेंगे" अन्यथा Time जैसी प्रतिष्ठित magzine की ख़ुद की Timing इतनी ख़राब नहीँ होती। इस लेख के चिथड़े उड़ने तो अभी शुरू ही हुए हैं आगे आगे देखिए होता है क्या।