Thursday, 17 October 2024

" हम जैसों से बच के रहिओ "

रिपोर्ताज 

"हम जैसों से बच के रहियो"

         आलोक यात्री जी द्वारा आमंत्रण प्राप्त होने पर हम "मैं जिंदगी का गीत गाते हुए महफ़िल ए बारादरी का हिस्सा बनने "सिल्वर लाइन प्रेस्टीज स्कूल"  नेहरू नगर गाज़ियाबाद जा पहुँचे। अब रविवार का दिन हो तो मन तो यही करता है कि घर पर शेष शैय्या पर विराजे विराजे बस आर्डर देते रहो और अपने कुक्ष को भरते रहो। ये विषय अलग है कि हम जैसे ज्ञानी ध्यानी श्री श्री 1008 'स्वामी प्रदीपानंद' महाराज जी छ: दिन रात का खाना छोड़ने का ढिंढोरा पिटते रहें और रविवार को पूरे दिन चरते रहें 😝😝😝। 

         ख़ैर "हुआ यूँ के" वैसे तो ये टाइटल आलोक जी के नाम रजिस्टर्ड है किन्तु अनुज होने का फ़ायदा उठाते हुए मैंने झाँसी प्रवास का रिपोर्ताज इसी शीर्षक से  फ़ेसबुक पर पोस्ट भी कर दिया था🌹🙏🏾🙏🏾 हास्य व्यंग्य का आनन्द भी तभी आता है जब आप निष्पक्ष रूप से अपने ऊपर भी उसे लागू करें। मिथ्या तो यही है कि मेरा प्रयास यही रहता है 😹 । मैं इससे पूर्व भी महफिल ए बारादरी का एक कार्यक्रम यहीं एवं दूसरा भव्य पुस्तक लोकार्पण समारोह में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा चुका हूँ किन्तु अपनी आदत के अनुसार मैं पहले दो तीन कार्यक्रम सिर्फ़ देखने एवं समझने के लिए अटेंड करता हूँ उसके बाद ही अपनी क़लम सत्य निष्ठा के अनुसार चलती है।😇

        सो हुआ यूँ के 13 अक्टूबर को 11 बजे जैसे ही स्कूटी स्टार्ट की तो उसका डिजिटल मीटर गुस्से 😡से उबलते हुए बोला अबे कित्ते आलसी हो बे🙃 साल होने को आया हमें कब ठीक करवाओगे अगर आज नहीं तो फिर छोटी आँख करके हममे झाँक कर मति देखना कि कित्ता तेल बचा है, कसम से हम दिखते को भी छुपा लेंगे फिर किसी दिन 2,4 किलोमीटर घसिटवायेंगे तब हमारी क़ीमत पता चलेगी। हमने हाथ जोड़कर कहा प्रभु ये जुल्म कतई न करियो हम आज ही आपकी इच्छा पूर्ति किये देते हैं सो पहले भूरा मिस्त्री ढूंढा। अजब तमाशा है नाम भूरा रंग काला देखते ही बोला 950 हमने कहा न भाई अब तो 11.30 हो रहे हैं। वो मुस्कराते😊 हुए बोला जनाब मैंने नए मीटर के रेट बताएं हैं टाईम नहीं मैंने भी कहा कदी  हँस भी लिया करो। खैर मामला 850 में निपटा। मीटर चेंज करके बोला कौन सा मॉडल है हमने कहा 2014 तो हूं करके बोला अभी तक 12023  किलोमीटर ही चली है। अब मुझे बारादरी में पहुँचने की जल्दी थी सो पेमेंट किया और सीधे बस स्टैंड, स्कूटी पार्क की 12.40  की बस ली और लो जी ठीक 14.45 पर हम सिल्वर लाइन प्रेस्टीज स्कूल में, इस बार भी प्रथम दर्शन आलोक जी के ही हुए। अब भैय्या संयोजक हैं तो जिम्मेदारी भी है और जो उसे निभा ले जाए उसी का नाम आलोक यात्री है। फ्रेश होने आरामगाह गए तो ख्याल आया कि अगर मीटर नया है तो रीडिंग पुरानी कैसे इसका मतलब... बस पूछो मत 😊 धीरे धीरे महफिल सजने लगी और 15:00 की जगह ठीक 16:00 बजे सभा शुरू हो गई। लोगोँ को समय की क़ीमत कब समझ आएगी। इस बार मंच मूर्ति के रूप में आदरणीय सुरेंद्र सिंघल जी ने अध्यक्ष का भार अपने कंधो पर वहन करने की अनुमति प्रदान की। गोविंद गुलशन जी, डॉक्टर माला कपूर गौहर ,उर्वशी अग्रवाल, कथा रंग के अध्यक्ष शिवराज जी, नेशनल बुक के लालित्य ललित एवं वैंकूवर कनाडा से पधारी प्राची चतुर्वेदी रंधावा ,अन्य के अतिरिक्त हम तो थे ही भैय्या 😎

        आशीष द्वारा प्रस्तुत सुन्दर सरस्वती वंदना के अतिरिक्त एक से बढ़कर एक क़लाम पेश किए गए हमने भी अपनी गज़ल प्रस्तुत की। 


नमक दरिया में थोड़ा सा मिला दूँ 
मैं अपनी आँख का आँसू गिरा दूँ 

ग़मों के साए में जीना है मुश्किल 
ख़ुशी के वास्ते तुमको भूला दूँ 

जो समझा ही नहीं अश्कों की क़ीमत 
तुम्हीं बोलो उसे मैं क्या सिला दूँ 

जहाँ भी जाऊँगी वो ढूँढ लेगा 
तुम्हीं बोलो कहाँ ख़ुद को छुपा दूँ 

जहाँ के सारे ग़म मेरा मुकद्दर 
इन्हें ले जाके किस जगह बिठा दूँ 

बड़ी बा बातेँ वो सबसे कर रहा है 
कहो तो मैं भी कुछ तेवर दिखा दूँ

मकर भर के पड़ा है जाने कब से 
औ तुम कहते कि मैं इसको जगा दूँ 

कि कब से सीना जोरी कर रहा है 
कहो तो 'दीप' मैं उसको डरा दूँ

         हमसे पहले भी और हमारे बाद भी वास्तव में कुछ अच्छी रचनाएँ पढ़ी गईं। गोविंद गुलशन, मासूम गाज़ियाबादी, सुरेंद्र जी, माला कपूर उर्वशी अग्रवाल के अतिरिक्त भी कानों को बहुत दिन बाद कुछ अच्छा सुनने को मिला।
पिछले दो बार की बनिस्पत मैं इस बार अंत तक डटा रहा, अच्छी बात ये रही कि कार्यक्रम 8.15 पर समाप्त हो गया जिससे  मुझे 8.40 की मेरठ की बस मिल गई और मैं ठीक 22:45 पर घर। बस से उतरकर स्कूटी से घर के रास्ते में ठंडी हवा ने कानों में सरगोशी की कि हुजूर अगले प्रोग्राम में कुर्ता पायजामा नहीं 🙂‍↔ नई तो प्यार हो जाएगा 🤪🤪🤪

प्रदीप डीएस भट्ट-161024

" ये नया भारत है मिस्टर ट्रूडो "

    
" ये नया भारत है मिस्टर ट्रूडो "

    एक कहावत है जब गीदड़ की मौत आती है तो वह शहर की तरफ़ भागता है। आजकल ऐसा ही कुछ अंतरराष्ट्रीय पटल पर देखने को मिलता है। जिस भी देश के नेता को अपने देश में अपनी गिरती साख बचानी हो या विपक्ष से ध्यान हटवाना हो तो वह भारत से उलझ जाता है या कुछ गलत टीका टिप्पणी कर देता है। देर सवेर ही सही भारत उसको ऐसी धोबी पछाड़ मारता है कि उस देश का नेता अच्छी भली सत्ता गवां देता है या अर्थ दण्ड का ऐसा झटका लगता है जिससे वह भारत के सामने सरेंडर या दण्डवत कर अपनी जान बचाता है। अगर यक़ी नहीं हो तो पाकिस्तान और मालदीव की हालात देख लें। जहाँ तक पाकिस्तान का प्रश्न है तो उसकी स्थिति तो और भी ज्यादा विकट है या कहें कि साँप छछूंदर वाली है। ffta की ग्रे लिस्ट से निकलने के लिए वह अरसे तक हाथ पाँव मारता रहा लेकिन हर बार हताशा ही हाथ लगी। बैक डोर से हाथ पाँव जोड़े तब जाकर भारत ने उसे ग्रे लिस्ट से निकालने के लिए ftta को इशारा किया लेकिन पाकिस्तान तो पाकिस्तान ठहरा वो तो सुधरने से तो रहा और वैसे भी जो सुधर जाए उसे पाकिस्तान थोड़े ही कहते हैं।

        9,10 सितम्बर-2023 को जब भारत ने भव्य G20 का आयोजन किया था तब उसका थीम था "वसुधैव कुटुम्बकम" यानि पूरा विश्व एक परिवार है। इस सम्मेलन में उपस्थिति दर्ज कराने पहुँचे विश्व के 20 पावर फुल देशों के प्रतिनिधियों ने भारत की उत्कृष्टता के दर्शन भी किए । चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग एवं रूस के राष्ट्रपति अपरिहार्य कारणों से इस सम्मेलन में उपस्थित नहीं हुए थे किन्तु उनके प्रतिनिधि अवश्य उपस्थित रहे। विदाई के समय कनाडा के राष्ट्रपति जनाब जस्टिन ट्रूडो विमान की खराबी के कारण तय समय के बाद भी भारत में रुके ही रहे। ऐसी स्थिति में मेजबान होने के बावजूद भारत ने उनके लिए समान्य से अधिक की सहायता नहीं की कारण मिस्टर ट्रूडो कनाडा में रह रहे सिख अलगाववादी नेताओं का पक्ष लेना माना गया। भारत ने ट्रूडो को उनके अवांछनीय व्यवहार के लिए कनाडा में भी धोया और भारत में भी। पंजाब में रह रहे पंजाबियों की सबसे बड़ी इच्छा यही रहती है कि मुंडा़ कनाडा सैटल हो जाए या रैपर बन जाए। ख़ैर कुछ दिनों पहले जस्टिन ट्रूडो को फ़िर खुजली मची और उन्होंने कनाडा में अपनी गिरती साख को बचाने के लिए भारत पर फिर से बे सिर पैर के आरोप लगा दिए जैसे कि निज्जर की हत्या में भारत की खुफ़िया ऐजेंसी RAW के एक्स एजेंट शामिल हैं और हत्या भारत के लॉरेंस बिश्नोई गैंग ने की है जिसे सूचनाएँ RAW ने मुहैय्या कराई हैं। मिस्टर ट्रूडो  यहीं नहीं रुके वरन भारत के राजदूत सहित छ: राजनयिकों को कनाडा से ओटोया ( कनाडा की राजधानी) से जाने के लिए कह दिया। भारत ने इस बार तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कनाडा में अपने राजदूत संजय वर्मा को भारत वापिस बुलाने का आदेश तो दिया ही  साथ ही भारत में कनाडा के छ: राजनयिकों को 19 अक्तुबर तक भारत छोड़ने का फरमान भी जारी कर दिया। निश्चित रूप से कनाडा ने भारत से इस प्रकार के व्यवहार की उम्मीद सपने में भी नहीं की थी सो जस्टिन ट्रूडो इस खबर से पूरी तरह बौरा गए। जल्द ही कनाडा में चुनाव होने वाले हैं और वर्तमान रेटिंग के अनुसार ट्रूडो की रेटिंग रसातल की ओर अग्रसर है! कोढ़ में खाज वाली स्थिति तब पैदा हो गई जब लिबरल पार्टी ऑफ कैनेडा के प्रमुख ने ट्रूडो को स्वयं 28 अक्तुबर तक त्यागपत्र देने के लिए कह दिया। ट्रूडो  को ये झटका कुछ ज्यादा ही जोर से लगा है।

        जस्टिन ट्रूडो ने ऐसा पहली बार नहीं किया है जब पिछले साल जून-2023 में कनाडा ने निज्जर जो कि कनाडाई नागरिक है की हत्या पर भारत पर आरोप लगाए थे तब भी अंतर्राष्ट्रीय पटल पर काफ़ी हो हल्ला मचा था। ये विषय अलग है कि कनाडा स्वयं भी निज्जर को एक आतंकवादी मानता रहा है वरना क्या कारण रहे जो कनाडा ने उसकी हवाई यात्राओं पर प्रतिबंध लगा रक्खा था। चूँकि बात चुनाव में वोटों की है तो जस्टिन ट्रूडो  को कनाडा में रह रहे लगभग 2.1 सिखों के वोटों की दरकार है जब कि सिखों से ज्यादा वहाँ अन्य भारतीय बसते हैं जिनका वोट प्रतिशत सिखों से ज्यादा है किन्तु कनाडा भी तुष्टीकरण की राजनीति ही करता नजर आता है। जस्टिन ट्रूडो की स्थिति तब और खराब हो गई जब न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के वरिष्ठ नेता जगमीत सिंह ने 2022 में जस्टिन ट्रूडो को दिया गया राजनैतिक समर्थन यह कहते हुए वापिस ले लिया कि वह य़ह समझौता तोड़ रहे हैं क्यूँ कि ट्रूडो बेहद कमजोर, स्वार्थी और एक महा भ्रष्ट नेता हैं। इसका कारण भी बड़ा ही हास्यास्पद कम दयनीय ज्यादा लगता है, वोट की खातिर ट्रूडो कनाडा के हर छोटे बड़े गुरुद्वारे में सरापा प्राप्त कर रहे हैं।आख़िर क्यूँ?  जगमीत सिंह चाहते हैं कि ट्रूडो निज्जर की हत्या में भारत को घेरे लेकिन ट्रूडो आज तक निज्जर की हत्या में कोई ठोस प्रमाण प्रस्तुत नहीं कर सके यहाँ तक कि निज्जर का मृत्यु प्रमाण पत्र भी। जस्टिन ट्रूडो की दोगली नीति का एक उदाहरण और है।  कनाडा में पाकिस्तानी कट्टरपंथीयों द्वारा हिंसक वारदातें की जाती हैं 2020 में एक बलूच महिला करीमा बलूच की हत्या कर दी गई। इसी कनाडाई पुलिस की रिपोर्ट है कि करीमा डूब कर मरी, इसी प्रकार एक बलूच पत्रकार की भी पाकिस्तानियों द्वारा हत्या कर दी और उसे भी कनाडाई पुलिस ने.............।

          भारत ने स्वतंत्रता के पश्चात्य जब अपना संविधान तैयार किया तो उसमें ये वाक्य कनाडा के संविधान से लिया गया। " संघवाद के केन्द्र प्रसारक रूप जिसमें संविधान में केंद्र राज्यों से मजबूत होता है " कनाडा की कुल आबदी 39,854,546 है यानि दुनिया की आबादी का लगभग 0.49 प्रतिशत। इसमें 15 लाख भारतीय हैं जिनमें सिखों की जनसंख्या 7,70 हजार है। जनसंख्या के हिसाब से कनाडा विश्व का 38वां देश है जहाँ तक घनत्व का प्रश्न है यह प्रत्येक 4 पर 1 किलोमीटर है। लगभग 80 % लोग शहरों में रहते हैं।भारत की IT कंपनियों में से इन्फोसिस, टी सी एस, विप्रो,  एच सी एल टेक्नोलॉजी एवं टेक् महिंद्रा कनाडा में अपनी उपस्थिति बनाए हुए हैं। जहाँ तक भारत से कनाडा के निर्यात का प्रश्न है तो भारत से फार्मास्यूटिकल उत्पाद, बहुमूल्य पत्थर,इस्पात की वस्तुएं, मोती, विद्युत उपकरण, कार्बनिक रसायन, रबड़,  प्लास्टिक, चाय, कॉफ़ी, ऑप्टिकल फाइबर, चिकित्सा उपकरण के साथ ही डेयरी उत्पाद भी शामिल हैं वहीं कनाडा से भारत दाल,वुड्स पल्प, न्यूजप्रिंट,पोटाश, aisbestas, आइरन, स्क्रैप, कॉपर खनिज व केमिकल आयात करता है। दोनों देशों के बीच 2023-24 में 8.4 अरब डॉलर का व्यापार हुआ है। आज जब युद्द से ज्यादा व्यापार महत्वपूर्ण है तब कनाडा क्यूँ अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने पर उतारू है। भारत तो कनाडा की जगह कोई और देश से व्यापार बढ़ा लेगा लेकिन क्या कनाडा भारत से ये सब अफोर्ड कर सकता है.  1.45 करोड़ की जनसंख्या वाले देश की कितनी खपत है वो सभी देश भली भांति समझते हैं किन्तु कनाडा फ़िर भी खां म खां पंगा ले रहा है। 

       अब जब भारत ने हरदीप सिंह निज्जर मुद्दे पर कनाडा को धोबी पछाड़ दिया तो वह रोता हुआ "फाइव आइज " ( अमेरिका, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया न्यूजीलैंड और कनाडा का गुप्तचर गठबंधन है) से भी शिकायत की कि मोदी काका ने ज्यादा जोर से मारा है। बाकी देश तो शांत रहे किन्तु अमेरिका ने जरूर पन्ननू के विषय में थोड़ा बहुत हो हल्ला मचाया कि CRPF का एक अफ़सर पन्ननू की हत्या करवाने की साज़िश में शामिल है। पहले तो ये एक साज़िश है जो पूरी नहीं हुई।भारत सरकार ने इस विषय में आवश्यक जानकारी अमेरिका के साझा भी की लेकिन इसी बीच ये मसला सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और फिर उस अफ़सर के फेवर में जिस तरह की मुहिम चली उससे भारत सरकार भी अचंभित रह गई। अब कनाडा को बिल्कुल भी समझ नहीं आ रहा कि वो भारत से कैसे पेश आए जिससे बिगड़ी बात बन जाए।  भारत की कूटनीति की चर्चा आजकल विश्व पटल पर एक नजीर बनती जा रही है। इजराइल -फ़िलीस्तीन -हमास  युद्द हो या रूस यूक्रेन युद्ध सभी को लगता है कि भारत के प्रधानमंत्री मोदी एक मात्र नेता हैं जो इन युद्धों को रुकवाने में सक्षम है। भारत किसी एक पक्ष में कभी नहीं रहा 2014  के बाद जिस तेजी से स्थितियों ने करवट ली है उस स्थिति में भारत अब राष्ट्र सर्वोपरि के सिद्धांत का अक्षरशः पालन करता है। एक तरफ वह अमेरिका आस्ट्रेलिया जापान के साथ मिलकर क्वाड समूह बनाता है जिसका उद्देश्य चतुर्भुज सुरक्षा वार्ता है। क्वाड का गठन चीन की बढ़ती विस्तारवादी नीतियों को रोकने के उद्देश्य से किया गया है। वहीं भारत ब्रिक्स का संस्थापक सदस्य है जिसमें ब्राजील, रूस, चीन, भारत के अतिरिक्त साऊथ अफ्रीका है। इन चार देशों की जीडीपी का विश्व में हिस्सा 43% है। विश्व के तेजी से बदलते पॉवर ऑर्डर को देखते हुए हर देश इसमें शामिल होकर अपने को सुरक्षित करना चाहता है। पाकिस्तान इसका सदस्य बनने के लिए छटपटा रहा है किन्तु उसे अभी तक कामयाबी हाथ नहीं लगी है।

         कनाडा में अगले अक्तुबर यानि 2025 में चुनाव होने वाले हैं।जिस तरह से ट्रूडो की लोकप्रियता घट रही है उससे उन्हें आभास हो गया है कि वो अगले चुनाव में सत्ता से बाहर होने वाले हैं अगर उससे पहले वे इस्तीफा न दे दें। ख़ैर मसला ये है कि ट्रूडो ऐसा कर क्यूँ रहे हैं। आखिर कनाडा एक बड़ा देश है उसे ये कतई शोभा नहीं देता कि वो किसी भी देश पर अनाप शनाप आरोप लगा दे उसे ऐसा करने से पहले दस बार सोचना चाहिए।  ज़रा सी लापरवाही भरी टिप्पणी से अंतरराष्ट्रीय सम्बन्ध बिगड़ जाते हैं जिन्हें पटरी पर लाने में कई बार दशकों लग जाते हैं।ताज़ा उदाहरण भारत चीन सीमा विवाद को लेकर समझा जा सकता है जहाँ चीन की एक ग़लती से जून 2020 जारी तनाव अब जाकर थोड़ा घटना शुरू हुआ है। जहाँ तक कनाडा का मसला है मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि जब से ट्रूडो सत्ता में आए हैं उनके बयानों से भारत ही नहीं वरन अमेरिका चीन के अतिरिक्त कई अन्य शक्तिशाली देश भी असहज हुए हैं या परेशान हुए हैं। ये विषय अलग है कि बिना अमेरिका की सहमति के ट्रूडो कुछ भी कर पाने की स्थिति में हैं।  अमेरिका सबका है और किसी का नहीं। आजकल अमेरिका गाता फिरता है कि भारत - अमेरिका संबंध हिमालय की ऊंचाई की तरफ बढ़ रहे हैं जब कि अभी सितंबर में जब प्रधानमंत्री मोदी अमेरिका गए तो इसी अमेरिका के उकसावे पर गुरुवंत सिंह पन्ननू ने अमेरिका जिला न्यायालय में एक याचिका दायर की जिसमें उसने बताया कि भारत सरकार उसे मरवाना चाहती है इसलिए उसने न्यायालय से गुहार लगाई की  न्यायालय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सहित भारत को समन जारी करे।  कनाडा की पुलिस भी ट्रूडो से परेशान नज़र आती है वर्ना क्या कारण है कि निज्जर की हत्या के विषय में वो जो भी टिप्पणी करती है उसमें विरोधाभास नज़र आता है। कनाडाई पुलिस अपनी भद्द कैसे पिटवा रही है उसका उदाहरण एक और है इसी साल जून में कनाडाई पुलिस ने एक दावा नहीं नहीं नहीं रहस्योद्घाटन किया कि वे 1985 में हुए बम विस्फोट जिसमें एयर इंडिया का विमान कनिष्क हादसे का शिकार हो गया था और उसमें 300 लोग मारे गए थे जिसकी जाँच कनाडाई पुलिस अब भी कर रही है। निश्चित रूप से ये हास्यास्पद है कि कनाडाई पुलिस 39 वर्ष बीतने पर भी अंतरराष्ट्रीय हादसे की जाँच करने में नाकाम रही है अब ये जाँच कब तक चलती रहेगी इसका कोई उत्तर कनाडाई पुलिस के पास नहीं है। अब जब कनाडाई पुलिस 39 साल में एक जाँच न कर पाई हो तो उसने 1 वर्ष में कैसे पता लगा लिया कि निज्जर की हत्या में भारत, RAW विश्नोई गैंग शामिल है। हद तो तब हो गई जब ट्रूडो ने कनाडाई संसद में निज्जर की हत्या पर एक मिनट का मौन रखने का ऐलान कर दिया जब उनकी ही सरकार के सम्मानित सदस्यों ने विरोध किया तो कार्यक्रम कैंसिल कर दिया। भई या तो आप पहले ग़लत थे या अब। अब इस बात की समझ आ जाए तो उसे ट्रूडो थोड़े ही कहेंगे। भाई पिछले सात साल में उत्तर प्रदेश पुलिस से ही कुछ सीख लेते या भारत सरकार को रिक्वेस्ट करके उत्तर प्रदेश पुलिस से एक टीम बुला लेते वो कनिष्क और निज्जर दोनों ही जाँचों को निश्चित 39 दिनों में ही निपटा देती, सबूत के तौर पर दोनों हादसों के षड्यंत्र में शामिल लोगों के पैरों पर गोली मारती और कनाडाई पुलिस को सौंप देती हाँ अगर कोई साज़िश कर्ता ज्यादा ची चपड़ करता तो उसका राम नाम सत्य भी कर देती। सीखो कुछ उत्तर प्रदेश पुलिस से कनाडाई पुलिस। वैसे भी भारत की नज़र में मिस्टर टेढ़ा ट्रूडो एक जोकर से ज्यादा कुछ नहीं हैं जो समय समय पर विश्व पटल पर अपनी जोकराना हरकतों से सबका मनोरंजन करता नज़र आते हैं।

फाइव आइस बनाम थ्री आइस 
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         मैं पहले ही ऊपर बता चुका हूँ कि अमेरिका, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और कनाडा ने फाइव आइस नामक ग्रुप बना रक्खा है जिसका काम दूसरे देशों में जासूसी कर उसकी सूचना आपस में शेयर की जाती है। ये विषय अलग है कि ये एक दूसरे को काटने का भी प्रयास करते रहते हैं।अब भारत, चीन, ब्राजील रूस और अब साउथ अफ्रीका भी भारत रूस चीन की तिकड़ी के साथ आन मिला है तो जो काम फाइव आइस करती है। वही अब त्रिनेत्र करेगा।भारत की तरफ से कनाडा को कुल 26 अपराधियों के प्रत्यर्पण के लिए अनुरोध किया गया है किन्तु कनाडा ने अभी तक मात्र 5 अनुरोध ही स्वीकार किए हैं। गुरजीत सिंह,  गुरजिदर सिंह, गुरप्रीत सिंह, अर्शदीप सिंह एवं लखविदर सिंह लांडा़ सहित कईं आतंकियों के प्रत्यार्पण के केस पिछले दस सालों से भी ज्यादा पेंडिंग हैं, कनाडा उन पर कब सुध लेगा कोई नहीं जानता। भारत जहाँ अपने पड़ोसियों से मधुर संबन्धों का हामी है वहीं पड़ोसियों को है कि भारत की तरक्की से जलने से ही फुर्सत नहीं है फिर भी भारत के प्रयास जारी हैं। पाकिस्तान का ध्येय वाक्य ही है कि हम नहीं सुधरेंगे, पाकिस्तान जहाँ भारत का बच्चा है वहीं बांग्लादेश भारत का पोता हुआ न पर ससुरा पूरा अपने बाप पर गया है। कितना भी अच्छा कर लो गद्दारी करेगा ही आप इसे यूँ समझ सकते हैं जैसे कि भारत एक हार्ड वेयर है जिसके अंदर सनातन का सॉफ्टवेयर inbuilt होकर ऊपर से ही आया है जब कि बाकी जबरदस्ती उस सॉफ्टवेयर को uninstal कर अपने बनाए सॉफ्टवेयर डाल रहे हैं और परिणाम सामने है इसलिए भारत की आवश्यकता है कि वह अन्य देशों के साथ गठजोड़ कर अंदर बाहर सब कुछ साधने की कोशिश करता रहे। हाँ अगर कनाडा को ये मुट्ठीभर चरमपंथी ज्यादा भाते हैं तो बेहतर हो जस्टिन ट्रूडो  कनाडा के एक हिस्से को खालिस्तान घोषित कर दें।

         जस्टिन ट्रूडो की गलतियों का पिटारा जिसमें से न जाने कब कौन सा कबूतर निकल आए जो रायता फैला दे। पिछले वर्ष यू ए ई के खिलाफ कनाडा ने कुछ आपत्ति जनक कह दिया परिणामस्वरुप उन्होंने कनाडा में पढ़ने वाले अपने विद्यार्थियों को वापिस बुला लिया जिससे कनाडा की जी डी पी को क्षति उठानी पडी । 2024 के आंकड़ों के अनुसार 13 लाख भारतीय छात्र उच्च शिक्षा के लिए विदेश गए जिसमें से 3.37 लाख अमेरिका एवं 4.27 कनाडा गए। अब सोचिए अगर भारत अपने 4.27 लाख छात्रों को वापिस बुला ले तो क्या होगा। ये बात हमें समझ आती हैं किन्तु टेढ़े ट्रूडो को नहीं तो फिर ऐसे शख्स का पद पर रहने का क्या औचित्य है इसलिए उनकी पार्टी उनसे सख्त नाराज है। वैसे अभी हाल ही में ट्रूडो ने  स्वयं माना कि उन्होंने निज्जर हत्याकांड पर जो आरोप लगाए हैं उनके सबूत के तौर पर उनके पास कोई ठोस सबूत नहीं है।  बकौल भारतीय उच्चायुक्त वर्मा जी के अनुसार हर वर्ष सुनहरे भविष्य के लिए भारतीय छात्रों का उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाना आम बात है किन्तु शिक्षा पूरी होने पर नौकरी न मिल पाने पर छात्र चाय समोसे, पकौड़े बेच रहा है। ऐसा इसलिए भी कि वहाँ के विद्यालयों में अमूमन हफ्ते में एक दिन क्लास लगती है तो छात्र पार्ट टाईम काम करते हैं किन्तु जब शिक्षा पूरे होने पर भी कुछ नहीं हो पाता तो बच्चे आत्महत्या कर लेते हैं। 2022 से ओहोयो में पदस्थ उच्चायुक्त वर्मा जी बताते हैं कि हर हफ़्ते दो बच्चों के शव भारत भेजे जाते रहे हैं।निश्चित रूप ये एक गंभीर विषय है जिस पर भारतीय माता पिता को चिंता करने की आवश्यकता है। बेहतर होगा वे बच्चों की हायार एजूकेशन के साथ ये भी सुनिश्चित करें कि बच्चे जिंदा भी रहें. इस विषय में मोदी सरकार को भी चिंता के साथ साथ चिंतन की आवश्यकता है 

         आज भारत जिस तेजी से प्रगति पथ पर अग्रसर है उस अनुपात में उसके दुश्मनों की संख्या बढ़नी भी तय है जो सामने तो भारत का गुणगान करते हैं किन्तु पीठ पीछे प्रगति पथ में बाधा खड़ी करने में लगे रहते हैं। खैर मेरी छटी इंद्री मुझे सचेत कर रही है और एक सम्भावना भी बता रही है कि हो सकता है निज्जर की हत्या पाकिस्तान की बदनाम इंटेलिजेंट ऐजेंसी ISI द्वारा की गई हो और हो सकता है इसका इशारा अमेरिका ने दिया है क्यूँ कि अमेरिका भविष्य में  चीन, रूस भारत की तिकड़ी के साथ आने से अपने आपको असहज महसूस कर रहा है। तो हो सकता है मेरा अंदाज़ा सही हो। वैसे भी एक पुरानी कहावत है कि पानी में आग लगा कर जमालो दूर खड़ी तमाशा देखे। भारत कनाडा एक दूसरे का सिर फोड़ने में व्यस्त रहें और अमेरिका पाकिस्तान को मोहरा बना अपना उल्लू सीधा करते रहे।

         और अंत में अब जब 5 नवंबर को अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव का परिणाम घोषित हुआ तो जैसी उम्मीद थी कमला हैरिस कहें या कमला हारी आख़िरकार चुनाव हार गई और डोनाल्ड अमेरिकी राजनीति में अपनी जिजीविषा के दम पर पुनः ट्रम्प साबित हुए। अगर आप अमेरिकी राजनीति पर एक दृष्टि डालें तो पाएंगे कि ऐसा पहली बार हुआ जब कोई राष्ट्रपति गैप देकर विजयी हुआ। इन चार वर्षों में डोनाल्ड पर असीमित आरोप प्रत्यारोपों का दौर चला उन पर अत्याचारों की सभी सीमाएं लांघ दी गई किन्तु डोनाल्ड तो डोनाल्ड ठहरे आख़िर जीत कर ही माने। डोनाल्ड की जीत के लिए जितने यज्ञ अनुष्ठान भारत में हुए उससे डोनाल्ड की भारत में लोकप्रिता को देखकर कोई भी नेता रश्क कर सकता है। वैसे इसका कारण भी है अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में बांग्लादेश में हिन्दुओं और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के साथ जो वीभत्सता हुई उस पर जिस तरह से डोनाल्ड ट्रम्प ने खुलकर विरोध व्यक्त किया उससे अमेरिका में रह रहे भारतवंशियों में एक क्लियर कट संदेश गया कि  डोनाल्ड ट्रम्प का जीतना ही भारत के हित में है न कि कमला हैरिस का। वैसे भी अमेरिकी उपराष्ट्रपति के रूप में कमला हैरिस का कार्यकाल ऐसा नहीं रहा जिससे भारतीय समुदाय उनकी तरफ़ आकर्षित होता। डोनाल्ड ट्रम्प जनवरी 2025 में जैसे ही सत्ता नशी होंगे कई देशों की आफ़त आनी तय है इसका नमूना उन्होंने तुलसी गेबार्ड को राष्ट्रीय खुफ़िया विभाग का प्रमुख नियुक्त किया है। ट्रम्प के राष्ट्रपति का चुनाव जीतते ही चीन कनाडा पाकिस्तान सब जगह शोक व्याप्त हो गया था रही सही कसर तुलसी, रामास्वामी की नियुक्ति से कनाडा एकदम बैकफुट पर आ गया। जस्टिन trudo हैरान परेशान हैं इसलिए भारत के साथ हुए विवाद को कवर करने के उद्देश्य से 10 नवंबर को अर्श दीप उर्फ़ अर्श दीप डल्ला को आनन फानन में गिरफ्तार कर लिया गया। Brampton के हिन्दू मन्दिर में हुए खालिस्तनियो के हमले में शामिल कट्टरपंथी इंद्रजीत गोसाल  को भी गिरफ्तार किया किन्तु बाद में छोड़ भी दिया। भारत ने भी तुरन्त देरी किए बिना अर्श दीप के प्रत्यर्पण की मांग कर जस्टिन को असहज कर दिया। इसी के साथ जब कि 31 अक्तूबर को ही कनाडा की जासूसी ऐजेंसी CEC ( कम्युनिकेशन सिक्योरिटी ऐशबलिशमेंट) विभाग द्वारा एक लिस्ट जारी की गई थी जिसमें चीन, रूस ईरान और उत्तर कोरिया के अतिरिक्त भारत को भी इस सूची में रक्खा गया था जिनसे कनाडा को ख़तरे की बात कही गई थी। जहाँ तक भारत का प्रश्न है तो ये कहने में कोई संकोच नहीं कि मोदी ट्रम्प की दोस्ती 2029 तक किस किस को पानी पिलाने वाली है कोई नहीं जानता बस अंदाज़ा लगाया जा सकता है। मैं भी लगा रहा हूँ आप भी लगाईये ।

प्रदीप डीएस भट्ट-271124
कवि/लेखक 

         

Monday, 7 October 2024

"हुआ यूँ के "



 रिपोर्ताज 
              "हुआ यूँ के"
 
         हुआ यूँ के हिन्दी साहित्य भारती की उत्तर प्रदेश राज्य इकाई की सभा का आयोजन झाँसी में 29 सितंबर को होना निश्चित हुआ तो संस्था के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष रविन्द्र शुक्ल जी से हमें भी आमंत्रण प्राप्त हुआ। चूँकि इस संस्था से जुड़ाव हैदराबाद प्रवास के दौरान हुआ था तो हमने शुक्ल जी को अपनी दुविधा 😇बताई कि भैय्या हम तो तेलंगाना से जुड़े थे फिर हमें काहे आमंत्रण? शुक्ल जी बोले भैय्या जी अब आप मेरठ में निवास कर रहे हैं जो उत्तर प्रदेश में आता है और हम उत्तर प्रदेश में दो बार के मंत्री रह चुके हैं 😀 और ध्यान से सुनें हम झाँसी में विराजते हैं और झाँसी बुंदेलखंड में!समझ गए या कुछ और परिचय देंवे। आमंत्रण भेज दिया है आप अवश्य पधारें।🤗 अब सोचने की बारी हमारी थी हम मन ही मन बुदबुदाए बेटा तुम्हारा हैदराबाद से पत्ता साफ़ और उत्तर प्रदेश में हाफ ये विषय अलग है कि मेरठ दिल्ली NCR का भी हिस्सा है और भारत की प्रथम रीजनल ट्रेन मार्च तक मेरठ से दिल्ली तक पूर्ण रूपेण शुरू भी हो जाएगी। ख़ैर ट्रेन की खोजबीन शुरू हुई तो मेरठ से कोई भी ट्रेन हमें ले जाने के लिए तैय्यार ही न हुई (टिकिट ही  available न hue) तो क्या करते सो दिल्ली से दक्षिण express की कंफर्म टिकिट बुक की और वापसी की ltt to हरिद्वार की waiting ले ली।इसी बीच कथा रंग की सूचना मिली तो विनय सहित क्षमा मांग ली। क्यूँ  कि भैय्या कमिटमेंट है तो है!

         29 की सुबह ब्ला ब्ला ली और सीधे I P extension वहाँ से एक काम निपटाया और सीधे निर्माण विहार 😀अब ये मति पूछो काहे महाराज मित्रता भी कुछ होती है सो मिले फिर दिल्ली खादी भवन, शाम तक वहीं आनन्द के गोते लगाए फिर निर्माण विहार वाले मित्र के साथ कनाट प्लेस में मस्ती की फिर खरामा खरामा निजामुद्दीन स्टेशन।  इधर 22.50 पर ट्रेन ने सीटी दी और उधर हम नींद के आगोश में। 29 की सुबह सुबह 5.15 झाँसी पहुँचे बारिश हमारे स्वागत में बिछी बिछी जा रही थी  ख़ैर भीगते हुए ही ऑटो पकड़ा। बारिश के जोर के कारण रास्ता भूलना लाज़िम था अब अलसुबह 5.30 पर कौन रास्ता बताता है भाई सो तुरन्त होटल marvelous फोन किया तो फोन उठाया रविन्द्र शुक्ल जी ने थोड़ा अचकचा कर समस्या बताई तो उन्होंने ऑटो ड्राईवर का मार्ग दर्शन किया जिससे बारिश का आनन्द लेते हुए हम होटल पहुँच ही गए। 

        आश्चर्य इतनी सुबह सुबह 3,4 लोग रिसेप्शन पर स्वागत करते मिले, परिचय उपरांत हमें कन्नौज से पधारे डॉक्टर अमरनाथ दुबे जी के रूम में शिफ्ट कर दिया गया। अब सुबह सुबह यदि कोई  किसी को सोते से जगाए तो.......  खैर हमने अभयदान देते हुए कहा हुजूर आप सोए रहें हम एडजस्ट कर लेंगे तभी हमारे मोबाईल का 6.03 का अलार्म बज गया। हमने उसे चुप कराया और फ्रेश होने सीधे आरामगाह जा पहुँचे। तैय्यार हुए और सीधे रिसेप्शन पर! वहाँ कई लोगों से मिलना हो गया।

         9 बजे नाश्ता किया फिर ठीक 10 बजे राष्ट्रीय गीत से कार्यक्रम की शुरुआत हुई।  उत्तर प्रदेश राज्य के वर्तमान अध्यक्ष डॉक्टर वागिश दिनकर के स्थान पर प्रह्लाद बाजपेई जी को नया अध्यक्ष मनोनीत किया गया जब कि महामन्त्री अक्षय प्रताप सिंह के स्थान पर मेरे रूम मेट डॉक्टर अमरनाथ दुबे को सर्वसम्मति से महामन्त्री घोषित किया गया।सर्वसम्मति अर्थात उपस्थित जन समुह से दोनों हाथ ऊपर उठाकर ओम की ध्वनि करना। पूरा कार्यक्रम बिलकुल आरएएस पैटर्न पर। सच कहूँ आनन्द आ गया। इतने सारे लोगों में से एक मात्र परिचित के रूप में वागीश शर्मा (कथा रंग)जी से मिलकर आनन्द आ गया। सांय 6.30 तक कार्यक्रम चला बीच बीच में निश्चित अन्तराल पर  स्वादिष्ट  खाने पीने का कार्यक्रम अलग से अब चूँकि हम रात का खाना छोड़ चुके हैं अतएव संगी साथियों के आग्रह पर थोड़ी खिचड़ी लेकर खाना पूर्ति कर ली।लेकिन लेकिन लेकिन...

         अगले दिन नाश्ता करने के बाद टैक्सी के लिए रिसेप्शन पर रिक्वेस्ट की पता नहीं कहाँ गड़बड़ हुई एक घण्टे बाद एक बड़े वाला ऑटो हाज़िर, हम जैसे ही बाहर निकले ऑटो देखकर माथा ठनका हमने कारण पूछा तो ड्राईवर बोला हमसे तो यही मँगवाया है ख़ैर बेकार बहस में न पड़कर हमने पुनः बात कर टैक्सी मंगवाई और चल पड़े ओरछा मन्दिर दर्शन के लिए।लेकिन ये क्या ऑटो टैक्सी के चक्कर में ध्यान नहीं दिया कि मन्दिर 1 बजे बंद हो जाता है ख़ैर   बाहर से ही ईश्वर के दर्शन कर मुड़े ही थे कि देखा मन्दिर का द्वार खुला और भोग का एक थाल लेकर पुजारी जी ने एक व्यक्ति को दिया साथ में आई उनकी धर्म पत्नि मन्दिर के बंद दरवाज़े पर ही बड़ी श्रद्धा से साष्टांग कर रही थीं। मैंने पूछा तो रोहित सोनी नामक सज्जन ने बताया सर यहाँ प्रसाद के लिए काफ़ी लम्बी प्रतीक्षा करनी होती है हमारा नंबर भी सवा महीने के बाद आया है ,तब तक उनकी पत्नि भी हाज़िर हो गई दो तीन मिनट बात करने के बाद मैंने कहा यदि आप दोनों को आपत्ति न हो तो मुझे इस भोग का प्रसाद दे दें। उन्होंने नाम पूछा फिर पूछा कहाँ से आए हैं मैंने पूर्ण परिचय दिया तो दोनों ने प्रणाम किया फिर ये कहते हुए प्रसाद दे दिया कि भगवान ने  स्वयं प्रसाद के दूसरे कौर के लिए आपका चयन किया है। निश्चित उस समय मैं भाव विभोर हो गया। उनसे विदा ली और सीधे ओरछा फोर्ट। भले ही काफ़ी समय बीत गया है किन्तु विरासत तो विरासत है। मध्य प्रदेश शासन देखभाल कर रहा है सोचा कुछ खा लिया जाए सो काफ़ी कुछ नकारने के बाद दही खिचड़ी का ऑर्डर दे दिया। रात में भी और अब लंच में भी खिचड़ी प्रदीप बाबू बढ़िया है 😆😆😆😆


         बेतवा नदी पर दो चार फोटो खिंची ,जब जिंदगी ख़ुद ही भूलभुलैया बनी हुई हो तो भूलभुलैया देखकर क्या करेंगे सो ड्राईवर से कहा भैय्या लक्ष्मी मन्दिर चलो फिर सीधे झाँसी लोकल। ओरछा का लक्ष्मी मन्दिर देखा और सीधे रानी झाँसी के किले के बाहर से ही दर्शन किए दो चार फोटू फिर झाँसी शहर का एक चक्कर लगाया और सीधे होटल आकर कमरे में अब आप कहोगे  ये क्या बात हुई तो भैय्या 29 सितम्बर को बारिश  ने स्वागत किया था हम खुश थे तो झाँसी शहर ने अगले दिन जलती तपती गर्मी के भी दर्शन करा दिये।अब ऐसी गर्मी में फोर्ट की दीवारें भी तपती💥🔥 हुई मिली सो सब कुछ देखना डॉप कर दिया।

         शाम को कुछ ठंडक हुई तो जान में जान आई। चूँकि लंच में दही खिचड़ी खाई थी तो 8 बजे कुछ भूख महसूस हुई। डिनर में फिर वही पकवान देखकर वापिस कमरे में आए दही खिचड़ी खाई फिर आराम किया और रात 12 बजे स्टेशन। 1.10 पर ट्रेन आई और सुबह 9 बजे मेरठ। एक अच्छा कार्यक्रम, दो अच्छे दिन बिताकर वापिस मेरठ आकर लगा भैय्या जो आनन्द घर में है वो और कहाँ 💓सो खाया पीया और चादर तानकर नींद के आगोश में, अब महराज ट्रेन कित्ती भी अच्छी हो ससुरी नींद ठीक से आती न है तो हुआ यूँ के!!!!!!!


प्रदीप डीएस भट्ट-101024