पिछले लगभग दो माह से मीडिया में संदेशख़ाली ही संदेशख़ाली छाया हुआ है। पहले जब ED की टीम शाहजहां शेख के घऱ और अन्य परिसरों पर छापा मारने गईं तो वहाँ के स्थानीय मुस्लिम समुदाय के लोगों जिन्हें शाहजहाँ शेख का सरंक्षण प्राप्त है ने ED एवम् अर्ध सैनिक बलों पर जानलेवा हमला कर दिया। ED के कितनों अधिकारियों/कर्मचारियों एवम् पुलिस प्रशासन (स्थानीय नहीं ) को सर में चोटें लगी।आख़िर ED अधिकारियों को अपनी जान की सलामती के लिए वहाँ se भागना पड़ा। जब इस पर हो हल्ला हुआ तो मुख्यमंत्री एवम् उनके प्यादों ने केंद्र सरकार पर ही इसकी ज़िम्मेदारी डालते हुए ठीकरा फोड़ दिया। वामपंथियों को सत्ता से पद्चुय्त कर सत्ता में आयीं ममता बनर्जी अब वो सब तिकड़में अपना रही हैं जिससे व अनंतकाल तक सत्ता का सुख भोगती रहें। किंतु क्या ये सम्भव है। सनातनी होकर सनातनियों पर अत्याचार वो भी उन लोगों का पक्ष लेकर जिस जगह से डायरेक्ट एक्शन डे की शुरुआत हुईं थी। हर चीज़ की एक्सपायरी निश्चित है। और अब दूसरे पार्ट के रूप में उस बांग्लादेशी शाहजहाँ शेख द्वारा संदेशख़ाली की आदिवासी महिलाओं पर किये गये वीभत्स कृत्य। तिमिर तो छंटना ही है और नई भोर होनी भी निश्चित है।
पश्चिम बंगाल के 24 परगना जिले के बशीरहाट उपखण्ड के सी डी ब्लॉक जिसका क्षेत्रफल लगभग 198 KM है जिसमें 1पंचायत समिति 8ग्राम पंचायतें 103 ग्राम संसद 24मौजा और 24 गाँव बसे हुए हैं इन्हीं में से एक गाँव है संदेशख़ाली जिसकी आबादी दो लाख के क़रीब है। यहाँ मुख्यतः बंगाली हिन्दी और अंग्रेज़ी भाषा बोली जाती है। यहाँ पर आदिवासी काफ़ी संख्या में रहते हैं जो मुख्यतः बांग्ला भाषी है। चूँकि गाँव में रोज़गार के ज्य़ादा साधन नहीं हैं तो ज़्यादातर घरों के पुरुष बाहर जाकर काम करने को बाध्य हैं।
कईं महीनों से TMC के शाहजहाँ शेख और उसके गुर्गों द्वारा संदेशख़ाली की महिलाओं पर किये जा रहे अत्याचारों की की भनक जब एक पत्रकार संतू पान जो बांग्ला समाचार चैनल रिपब्लिक बांग्ला के लिए काम करता है को लगी तो वो इसे कवर करने संदेशख़ाली गया जिसकी सूचना स्थानीय TMC सो कॉल्ड नेताओं को लगी तो उसे तुरंत गिरफ़्तार कर लिया गया। कलकत्ता हाईकोर्ट ने इस गिरफ़्तारी पर अपनी नाराज़गी भी जताई है लेकिन ममता बनर्जी के पुलिस प्रशासन को इससे कुछ फ़र्क नहीं पड़ा। धीरे धीरे मामले ने ज्य़ादा ज़ोर पकड़ा तो भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने अपने सहयोगियों के साथ संदेशख़ाली जाने का निर्णय लिया तो तुरंत राज्य सरकार ने धारा 144 लगा दी एवम् पुलिस प्रशासन ने सुकांत मजूमदार के साथ अभद्र व्यवहार किया जिस कारण वे अपनी गाड़ी पर गिर पड़े और बेहोश हो गये। इस घटना से केंद्रीय सरकार राज्यपाल से रिपोर्ट तलब कर ली अपनी रिपोर्ट में राज्यपाल ने लचर कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए और संदेशख़ाली में महिलाओं पर हुए अत्याचार की विभीषिका को दृष्टिगत रखते हुए केंद्र सरकार से तुरंत दखल देने का आग्रह किया। इसी बीच राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्षा रेखा शर्मा अपनी टीम लेकर संदेशख़ाली पहुँच गईं। उनकी टीम द्वारा उन महिलाओं से बात की गईं। बातचीत में महिलाओं द्वारा बताया गया कि शाहजहाँ शेख के गुंडे दिन में ही किसी भी घऱ में घुस जाते हैं। घऱ के पुरुषों से घऱ की महिलाओं एवम् लड़कियों की परेड कराई जाती है। जो महिला लड़की पसंद आ जाती है वे उसे उठाकर स्थानीय TMC कार्यालय ले जाते हैं कईं बार एक रात या कईं बार कईं रातों के बाद (ज़्यादातर मामलों में लड़कियों को) उन्हें मुक्त किया जाता है। अगर पुलिस से शिक़ायत करें तो पुलिस भी उन्हें ही प्रताड़ित करती है। कईं बार TMC के गुंडे उन्हें पुलिस के सामने ही मारते हैं ऊपर शिक़ायत की बात करने पर घऱ के छोटे बच्चों पर बंदूक तानकर बोलते हैं शिक़ायत की तो सबको यहीं ढ़ेर कर देंगे। महिला आयोग के आश्वासन के बाद एक ही दिन में संदेश ख़ाली की महिलाओं द्वारा शाहजहाँ शेख और उसके गुंडों के विरुद्ध 18 FIR दर्ज़ हुईं हैं जो राज्य सरकार द्वारा अपनी अकर्मण्यता को दर्शाता है।
राष्ट्रीय महिला आयोग ने भारत सरकार को संदेशख़ाली से संबंधितअपनी रिपोर्ट सौंप दी है। अपनी रिपोर्ट में संदेश ख़ाली में अराजक माहौल महिलाओं के साथ बड़े पैमाने पर हुए अत्याचार/बलात्कार का ज़िक्र करते हुए पश्चिम बंगाल में तुरंत राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफ़ारिश की है। कुछ दिनों से संदेशख़ाली की घटनाओं से संबंधित एक वीडियो भी वायरल हो रहा है जिसमें शाहजहाँ शेख और उसके गुंडों द्वारा आदिवासी सनातनी महिलाओं पर किये जा रहे अत्याचारों का विवरण पेश किया गया है। जैसे कि बताया जाता है कि अत्याचार केवल और केवल आदिवासी सनातनी स्त्रियों के साथ ही हो रहा है। अगर कोई महिला या लड़की TMC ज्वाइन करना चाहती है तो उसे पहले निवस्र होने के लिए कहा जाता है फ़िर उस पर फब्तियां कसी जाती है उसे रात में जब बुलाएं आने के लिए कहा जाता है।सुन देखकर ऐसा लगता है जैसे भारत में अभी भी कुछ राज्यों में मुगलिया सल्तनत चल रही है।
अंत में महिला अधिकारों का दंभ भरने वाले किसी भी विपक्षी पार्टी के नेता या नेत्री ने मणिपुर पर ख़ूब छाती पीती किंतु संदेशख़ाली पर कुछ भी न बोलने की जैसे क़सम ख़ा ली है वहाँ जाकर उन महिलाओं के ज़ख्मों पर मरहम लगाने की बात तो छोड़ ही दीजिए। इंडी की चिंदी चिंदी बिखर गईं लेकिन इन के मन में अब भी आस बाक़ी है शायद कुछ हो जाए। इस शायद कुछ हो जाए की फ़िराक में संदेशख़ाली की महिलाएं जीते जी मरती हैं तो मरें इनकी बला से किंतु इस बार भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को सोचना और समझना पड़ेगा कि वे भी इसे सिर्फ़ राजनैतिक रोटियाँ सेंकने का माध्यम न समझें वरन TMC प्रमुख को एक कड़ा संदेश दें कि भारत सरकार इस वीभत्स कांड पर मौन नहीं बैठने वाली। संदेशख़ाली की आग कईयों को जलाने को तैय्यार बैठी है इसलिए इस बार भारत सरकार की ओर से 140 करोड़ लोगों के लिए "संदेश ख़ाली" न जाए।
प्रदीप D भट्ट -21:02:2024
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