Wednesday, 21 February 2024

संदेशख़ाली न जाए

"इस बार संदेश ख़ाली न जाए"

         पिछले लगभग दो माह से मीडिया में संदेशख़ाली ही संदेशख़ाली छाया हुआ है। पहले जब ED की टीम शाहजहां शेख के घऱ और अन्य परिसरों पर छापा मारने गईं तो वहाँ के स्थानीय मुस्लिम समुदाय के लोगों जिन्हें शाहजहाँ शेख का सरंक्षण प्राप्त है ने ED एवम् अर्ध सैनिक बलों पर जानलेवा हमला कर दिया। ED के कितनों अधिकारियों/कर्मचारियों एवम् पुलिस प्रशासन (स्थानीय नहीं ) को सर में चोटें लगी।आख़िर ED अधिकारियों को अपनी जान की सलामती के लिए वहाँ se भागना पड़ा। जब इस पर हो हल्ला हुआ तो मुख्यमंत्री एवम् उनके प्यादों ने केंद्र सरकार पर ही इसकी ज़िम्मेदारी डालते हुए ठीकरा फोड़ दिया। वामपंथियों को सत्ता से पद्चुय्त कर सत्ता में आयीं ममता बनर्जी अब वो सब तिकड़में अपना रही हैं जिससे व अनंतकाल तक सत्ता का सुख भोगती रहें। किंतु क्या ये सम्भव है। सनातनी होकर सनातनियों पर अत्याचार वो भी उन लोगों का पक्ष लेकर जिस जगह से डायरेक्ट एक्शन डे की शुरुआत हुईं थी। हर चीज़ की एक्सपायरी निश्चित है। और अब दूसरे पार्ट के रूप में उस बांग्लादेशी शाहजहाँ शेख द्वारा संदेशख़ाली की आदिवासी महिलाओं पर किये गये वीभत्स कृत्य। तिमिर तो छंटना ही है और नई भोर होनी भी निश्चित है। 

         पश्चिम बंगाल के 24 परगना जिले के बशीरहाट उपखण्ड के सी डी ब्लॉक जिसका क्षेत्रफल लगभग 198 KM है जिसमें 1पंचायत समिति 8ग्राम पंचायतें 103 ग्राम संसद 24मौजा और 24 गाँव बसे हुए हैं इन्हीं में से एक गाँव है संदेशख़ाली जिसकी आबादी दो लाख के क़रीब है। यहाँ मुख्यतः बंगाली हिन्दी और अंग्रेज़ी भाषा बोली जाती है। यहाँ पर आदिवासी काफ़ी संख्या में रहते हैं जो मुख्यतः बांग्ला भाषी है। चूँकि गाँव में रोज़गार के ज्य़ादा साधन नहीं हैं तो ज़्यादातर घरों के पुरुष बाहर जाकर काम करने को बाध्य हैं।

         कईं महीनों से TMC के शाहजहाँ शेख और उसके गुर्गों द्वारा संदेशख़ाली की महिलाओं पर किये जा रहे अत्याचारों की की भनक जब एक पत्रकार संतू पान जो बांग्ला समाचार चैनल रिपब्लिक बांग्ला के लिए काम करता है को लगी तो वो इसे कवर करने संदेशख़ाली गया जिसकी सूचना स्थानीय TMC सो कॉल्ड नेताओं को लगी तो उसे तुरंत गिरफ़्तार कर लिया गया। कलकत्ता हाईकोर्ट ने इस गिरफ़्तारी पर अपनी नाराज़गी भी जताई है लेकिन ममता बनर्जी के पुलिस प्रशासन को इससे कुछ फ़र्क नहीं पड़ा। धीरे धीरे मामले ने ज्य़ादा ज़ोर पकड़ा तो भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने अपने सहयोगियों के साथ संदेशख़ाली जाने का निर्णय लिया तो तुरंत राज्य सरकार ने धारा 144 लगा दी एवम् पुलिस प्रशासन ने सुकांत मजूमदार के साथ अभद्र व्यवहार किया जिस कारण वे अपनी गाड़ी पर गिर पड़े और बेहोश हो गये। इस घटना से केंद्रीय सरकार राज्यपाल से रिपोर्ट तलब कर ली अपनी रिपोर्ट में राज्यपाल ने लचर कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए और संदेशख़ाली में महिलाओं पर हुए अत्याचार की विभीषिका को दृष्टिगत रखते हुए केंद्र सरकार से तुरंत दखल देने का आग्रह किया। इसी बीच राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्षा रेखा शर्मा अपनी टीम लेकर संदेशख़ाली पहुँच गईं। उनकी टीम द्वारा उन महिलाओं से बात की गईं। बातचीत में महिलाओं द्वारा बताया गया कि शाहजहाँ शेख के गुंडे दिन में ही किसी भी घऱ में घुस जाते हैं। घऱ के पुरुषों से घऱ की महिलाओं एवम् लड़कियों की परेड कराई जाती है। जो महिला लड़की पसंद आ जाती है वे उसे उठाकर स्थानीय TMC कार्यालय ले जाते हैं कईं बार एक रात या कईं बार कईं रातों के बाद (ज़्यादातर मामलों में लड़कियों को) उन्हें मुक्त किया जाता है। अगर पुलिस से शिक़ायत करें तो पुलिस भी उन्हें ही प्रताड़ित करती है। कईं बार TMC के गुंडे उन्हें पुलिस के सामने ही मारते हैं ऊपर शिक़ायत की बात करने पर घऱ के छोटे बच्चों पर बंदूक तानकर बोलते हैं शिक़ायत की तो सबको यहीं ढ़ेर कर देंगे। महिला आयोग के आश्वासन के बाद एक ही दिन में संदेश ख़ाली की महिलाओं द्वारा शाहजहाँ शेख और उसके गुंडों के विरुद्ध 18 FIR दर्ज़ हुईं हैं जो राज्य सरकार द्वारा अपनी अकर्मण्यता को दर्शाता है। 

         राष्ट्रीय महिला आयोग ने भारत सरकार को संदेशख़ाली से संबंधितअपनी रिपोर्ट सौंप दी है। अपनी रिपोर्ट में संदेश ख़ाली में अराजक माहौल  महिलाओं के साथ बड़े पैमाने  पर हुए अत्याचार/बलात्कार का ज़िक्र करते हुए पश्चिम बंगाल में तुरंत राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफ़ारिश की है। कुछ दिनों से संदेशख़ाली की घटनाओं से संबंधित एक वीडियो भी वायरल हो रहा है जिसमें शाहजहाँ शेख और उसके गुंडों द्वारा आदिवासी सनातनी महिलाओं पर किये जा रहे अत्याचारों का विवरण  पेश किया गया है। जैसे कि बताया जाता है कि अत्याचार केवल और केवल आदिवासी सनातनी स्त्रियों के साथ ही हो रहा है। अगर कोई महिला या लड़की TMC ज्वाइन करना चाहती है तो उसे पहले निवस्र होने के लिए कहा जाता है फ़िर उस पर फब्तियां कसी जाती है उसे रात में जब बुलाएं आने के लिए कहा जाता है।सुन देखकर ऐसा लगता है जैसे भारत में अभी भी कुछ राज्यों में मुगलिया सल्तनत चल रही है। 

         अंत में महिला अधिकारों का दंभ भरने वाले किसी भी विपक्षी पार्टी के नेता या नेत्री ने मणिपुर पर ख़ूब छाती पीती किंतु संदेशख़ाली पर कुछ भी न बोलने की जैसे क़सम ख़ा ली है वहाँ जाकर उन महिलाओं के ज़ख्मों पर मरहम लगाने की बात तो छोड़ ही दीजिए। इंडी की चिंदी चिंदी बिखर गईं लेकिन इन के मन में अब भी आस बाक़ी है शायद कुछ हो जाए। इस शायद कुछ हो जाए की फ़िराक में संदेशख़ाली  की महिलाएं जीते जी मरती हैं तो मरें इनकी बला से किंतु इस बार भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को सोचना और समझना पड़ेगा कि वे भी इसे सिर्फ़ राजनैतिक रोटियाँ सेंकने का माध्यम न समझें वरन TMC प्रमुख को एक कड़ा संदेश दें कि भारत सरकार इस वीभत्स कांड पर मौन नहीं बैठने वाली। संदेशख़ाली की आग कईयों को जलाने को तैय्यार बैठी है इसलिए इस बार भारत सरकार की ओर से 140 करोड़ लोगों के लिए "संदेश ख़ाली" न जाए।


प्रदीप D भट्ट -21:02:2024
         S

Tuesday, 20 February 2024

"अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक मेला "

रिपोतार्ज़ 

फ़ेसबुक फुटवा पर न जाइए हुज़ूर, ये फ़िल्टर का कमाल है ।

 "फ़िल्टर अगर न होता,ये जवान कैसे दिखतीं 
 बागों के फ़ेसबुक पर, कैसे जी फ़िर चहकतीं "

"मेले में पुस्तकों के, कल ढूँढ़ती थी आँखें 
 मेकअप बिना मुझको, इक भी दिखी न यारों" 
  ........🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣 

प्रदीप DS भट्ट -26324

 दीक्षित दनकौरी जी ने अंतर्राष्टीय पुस्तक मेले हेतु एक व्हाट्सएप ग्रुप पर सभी को आमंत्रित किया कि "चलिए मिलते हैं प्रगति मैदान के पुस्तक मेले में तारीख़ 17 फ़रवरी अपरान्ह 1बजे गेट नंबर 1पर। हमने ग्रुप पर ही अपना हाथ उठा दिया 💪 जैसे जताना चाह रहे हों हमरे बिन सब कुछ सूना 🥰 कभी कभी आत्म मुग्धता का शिकार होना भी गुड वाली फीलिंग दे जाता है भाई लोगों 😊 ख़ैर हमने मेरठ से 16 फ़रवरी में अपनी लकुटी कमरिया उठाई और आ गये अपने मित्र पवन गोयल जी के पास। देखते ही बोले आओ ठाकुर आओ इत्ते दिनों बाद आए हो, सज़ा तो पक्का मिलेगी 😁

राम राम शाम शाम के बाद कुछ देर गप्पा मारी कुछ खाया पिया और तभी उन्होंने बताया कि बीच वाले पुत्र विनय का डायलिसस शरू हो चुका है वो भी हफ़्ते में दो बार, चलो ईस्ट देहली हॉस्पिटल चलते हैं। थोड़ी देर के लिए तो शान्ति पसर गईं लेकिन फ़िर उठे और चल पड़े ईस्ट देहली हॉस्पिटल के लिए। जीवन इसी का नाम है 🔱अगले दिन उसी बालक की अपोलो हॉस्पिटल में भी1:30 की  appintment थी तो मुझे रास्ते में प्रगति मैदान ड्रॉप करते हुए चले गये। 

       तो लो जी हम तो 12:33 पर ही प्रगति मैदान गेट नंबर 1 पहुँच गये एक सेल्फ़ी ली और ग्रुप पर पोस्ट कर दी। जब 1 बजे तक कोई नहीं आया तो हमने ग्रुप पर झाँका आश्चर्य वहाँ दीक्षित जी की इन्तेज़ार की मुद्रा में एक फोटॊ हमने इधर उधर देखा जब नहीं दिखे तो फ़ोन घुमा दिया पता चला वे हॉल नंबर 1 पर खड़े हैं और हम गेट नंबर 1पर ख़ैर थोड़ी देर में उनके दर्शन किए किंतु हमें अपनी निमूढ़ता पर हँसी भी आई 😏😏😏😊  ख़ैर नमस्कार चमत्कार के बाद तय हुआ कि आने वाले और भी मित्रों की 1:45 तक प्रतीक्षा की फ़िर विसर्जन 😉😉😉😁😁😁

ठीक 1:45 पर कुल नौ रत्न जमा हो चुके थे सो फुटाव खींची और हॉल नंबर 1 व 2 में लगभग दो घण्टे बिताने के बाद तय किया कि एक ठो चाय हो जाए तभी सीमा सिकंदर और प्रोफेसर पूनम सिंह जी के दर्शन हो गये। सीमा जी से तो ग़ज़ल कुंभ में मुलाक़ात हो चुकी थी पूनम जी से पहली मुलाक़ात हुईं। चाय के साथ सीमा जी ने घऱ का बना हुआ सैंडविच ऑफर किया तो भईय्या हमने तुरत लपक लिया क्या पता बाद में मिले न मिले। 😜 बाद में एक ठो तिल वाला एक लड्डू अलग से हमने सोचा अपनी तो निकल पड़ी वैसे भी   3:30-4:00 का समय हो रहा था खाना न सही यही सही जो मिले लपेट लो भईय्या। 

"भूखे भजन न होय गोपाला
 पकड़ ये अपनी कंठी माला " 

सर्वसम्मति से तय हुआ कि घऱ चला जाए तो जो थक गये थे वो निकल लिए किंतु हम कुछ देर और रुकना चाहते थे सो हम सीमा सिकंदर जी और पूनम जी फ़िर से हॉल की ओर मुड़े ही थे कि सामने से नासिरा शर्मा व्हील चेयर पर आती दिख गईं। पूनम जी तो उन्हें देखते ही चहक पड़ी कुछ कुछ सीमा जी भी। ख़ैर फरमाइश हुईं तो तुरंत कुछ फ़ोटो क्लिक किये नासिरा जी ने आग्रह किया कि फ़ोटोस उन्हें भी शेयर कर दिये जाएँ। तो तुरंत दान महा कल्याण की तर्ज़ पर जब तक वे गाड़ी तक पहुँची होंगी हमने ये शुभ काम भी कर डाला फ़िर वही हमारी तिकड़ी और पुस्तक मेला के 5 हॉल।घूमते रहे तभी एक मोहतरमा पर निग़ाह पड़ी फ़ेसबुक फ्रेंड हैं भई अच्छी लेखिका भी हैं देखकर अहसास हुआ कि फ़ोटो फ़िल्टर का आविष्कार जिसने भी किया इन जैसी मोहतरमा को देखकर ही किया होगा। ख़ैर मेकअप की दुकान कहना तो ज़्यादती हो जाएगी किंतु ........🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣 घूमते घुमाते ही अंत में रघुवीर शर्मा जी जो पत्नि सहित पुस्तक मेले का आनंद ले रहे थे से पूनम जी ने परिचय कराया। निश्चित ये एक ख़ुशनुमा शानदार मुलाक़ात रही। अंत में सभी ने रुखसती ली और हम भी मंथर गति से चलते हुए माननीय उच्च न्यायालय के गेट के सामने आकर ठहर गए। मेट्रो स्टेशन दूर था पैरों ने और आगे सरकने से मना कर दिया सो भैय्ये ओला ली और सीधे शाहदरा, खाया पीया और सो गये। अगले दिन ज़ल्दी जो उठना था एक ठो प्रोग्राम के लिए। 😱

        यूँ ही प्रिय शिवम् झा ' राब्ता ' से बात हुईं तो पता चला कि वो देहरादून से कल पहुँचेगा 18 को सुबह दिल्ली आ रहा है साथ ही आग्रह किया कि आप अवश्य पधारें।कुछ देर बाद ही पोस्टर भी रिलीज़ कर दिया। मैं थोड़ा असमंजस में था इसलिए मैंने थोड़ा देरी से पहुँचने के लिए शिवम् से अनुमति ली। लेकिन आदत तो आदत है छूटती ही नहीं "देर से जाना ज़ल्दी आना" मुझे प्रोटोकॉल के विरुद्ध लगता है सो गोयल साहब से अनुमति ली और तीन मेट्रो बदलते हुए 10:45 पर मीटिंग हॉल में मुझसे पहले संजीव जी पहुँचे हुए थे। इनसे भी कल एक हल्की सी पुस्तक मेले में मुलाक़ात हुईं थी। मुलाक़ात हुईं तो बताया कि कल पुस्तक मेले में उनकी ....पुस्तक का विमोचन था। ख़ैर धीरे धीरे लोगों का आगमन हुआ। प्रोग्राम 11:45 पर शुरू हुआ। इसी बीच विवेक जी, खुर्रम नूर,राधा गुप्ता,नलनी जी , माहेश्वरी जी उनकी श्रीमती पूनम माहेश्वरी जी और एक और सुंदर सी 😊पूनम थी शायद पूनम मल्होत्रा।दो पूनम दोनों ही सुंदर दोनों ने ही अच्छी प्रस्तुतियाँ दीं। पूनम माहेश्वरी जी ने अच्छा संचालन किया उन्हें पूछकर ही संचालन से संबंधित कुछ सुझाव दिये। मानेंगी तो ठीक नहीं तो जय श्रीराम 👩‍❤️‍👨

तभी श्रीमती मजूमदार और  सरीन जी से मुलाक़ात भी हो गईं। प्रिय राघव से भी मिलना आनंदित कर गया, मुझे नाम याद नहीं किंतु एक लड़के की प्रस्तुती अच्छी लगी। वहां उपस्थित कुछ....को उस लड़के की प्रस्तुती देखकर वे क्या लिख रहे हैं क्या पढ़ रहे हैं स्वयं की रचनाओं पर चिंतन करना चहिए।

जीस्त को मुझसे है गिला देखो
मैं जी रहा हूं हौसला देखो
साथ रहते हैं एक छत के तले
दरमिया फिर भी फासला देखो। 

कुछ VVIP (संजीव जी को छोड़कर)अपना काव्य पाठ करके चलते बने भई VVIP हैं बहुत ज़्यादा व्यस्त हैं मेरी नज़र में जिंदगी में अस्त व्यस्त हैं 🤪 ख़ैर उनके नाम का ज़िक्र करना ही क्यूं 😝

      पूरे दिन के कार्यक्रम में एक से बढ़कर एक प्रस्तुति। कुछ अच्छे कवि और शायर और कुछ लटके झटके वाले परफॉर्मर।कुल मिलाकर एक अच्छा कार्यक्रम। मेरे बराबर में गज़ल गो डॉक्टर कौशल सोनी जी प्रथम पंक्ति में विराजमान थे से संवाद अच्छा कायम हुआ साथ ही उनकी दो बेहतरीन गजलें सुनने का सौभाग्य मिला। मुझे 4 बजे निकलना था किंतु शिवम् ने पुनः अग्रिम पंक्ति में बैठने का आग्रह कर दिया। अफ़सोस दिल गड्ढे में 😎 कभी कभी अनुजों के आगे अग्रजों की नहीं चलती। 🥰 वापसी में इंद्रजीत जी एवम् श्रीमती दीपा शेखर झा से मिलना सुखद रहा। तभी फ़ोन की घंटी बजी मैंने देखा मेरी अभिन्न मित्र का फ़ोन है जब तक मैं उठाऊँ फ़ोन बंद हो गया। ख़ैर दिल्ली हाट से मेट्रो चेंज करते ही मैंने अपनी उन अभिन्न मित्र को फ़ोन लगा दिया। मैं सिर्फ़ जय श्रीराम ही कह पाया बाक़ी ....... बस पुच्छो ना जी। मित्र हैं नाराज़ होने का पूरा हक़ है उन्हें। भले ही जानबूझ गल्ती न की हो लेकिन गल्ती तो गल्ती है। भई दिल्ली टेरेटरी में दो दिनों से हूँ और मित्र को ख़बर तक नहीं ये तो दोस्त के साथ ज़्यादती हुईं न। मैंने मनाने की भरपूर कोशिश की लेकिन .....  !  अच्छी बात ये रही कि मुझे अपनी अभिन्न मित्र का डाँटना घणा अच्छा लगा। यही अच्छे मित्रों की पहचान भी है। बुरा लगा तो कह दिया। दिल में नहीं रक्खा ये अच्छी बात है। 'Again sry दोस्त '  

प्रदीप DS भट्ट -19224

Tuesday, 6 February 2024

नागपुर विजिट

रिपोतार्ज़ 

"दोस्ती में प्रेम का स्थान होना चाहिए 
 क्या ज़रूरी है कि कोई नाम होना चाहिए" 

आप भी सोच रहे होंगे कि इस बार के रिपोतार्ज़ में दोस्ती 🤝के ऊपर ही ग़ज़ल का मतला ठोक दिया। तो मित्रों आप सही सोच रहे हैं। नागपुर में 27,28 जनवरी को युगधारा के दो दिवसीय साहित्यिक महोत्सव हेतु आमंत्रण मिला तो मैं उस वक़्त केरल प्रवास पर था और होटेल के कमरे में आराम फ़रमा रहा था। मैंने अत्यधिक व्यस्तता के चलते बड़ी ही विनम्रता से मित्र राम कृष्ण सहस्रबुड्डे जो कि अब संतरा🍑 नगरी नागपुर में सेट्ल हो चुके हैं को कार्यक्रम में उपस्थित न हो पाने के लिए क्षमा माँग ली। कुछ देर तो शान्ति रही फ़िर उधर से आवाज़ आईं आपके ऊपर मेरा विशेष आधिकार है और अगर मैं चाहूँ तो अपने विशेषाधिकार 👏का भी प्रयोग कर सकता हूँ बाक़ी आपकी सद इच्छा।  सच कहूँ तो दिसंबर -2021 के बाद उनसे मिलना भी नहीं हुआ तो मैंने फ़िर विनम्रता के साथ एक हफ़्ते का समय माँगा फ़िर 21 दिसंबर को उन्हें सूचना दी कि मैंने आने जाने का टिकिट रिज़र्व करा लिया है। मैं 26 जनवरी को चलूँगा और 29 जनवरी को वापसी तय है। उधर से रामकृष्ण जी बोले गुरु हमें पता था हमारे आग्रह को टाल नहीं पाओगे। 

जैसा कि आपको पता ही है मित्रों नॉर्थ में मिड नवंबर से मिड फ़रवरी तक कितनी ख़ूबसूरत सर्दी 🫥पड़ती है। कोहरा इतना कि सड़क के उस ओर का मकान न दिखाई पड़े। सूर्य देवता की मर्ज़ी है दर्शन दें न दें। इनर वियर चार पाँच जोड़ी भी हों तो कम ही हैं।  बस एक ही रास्ता होता है स्त्री का सहारा लिया जाए 😜 ग़लत मत समझियो भैइय्या स्त्री यानि आयरन यानि प्रेस। वैसे ज्यातर स्त्रियाँ ही स्त्री कर इन गीले इनर/आउट वियर की अकड़ ढीली करती हैं। ख़ैर 26 जनवरी को पहले भतीजी को उसके जन्मदिन पर विश् किया फ़िर एक साल का रिचार्ज (ये मेरा स्टाइल है जिस बच्चे का जन्मदिन होता है उसका एक साल का रिचार्ज 😄 नो cash) कर दिया फ़िर सीधे बस स्टैंड और noida होते हुए सीधे सरोजनी नगर मार्किट जहाँ मित्र से मिलना तय था। लेकिन ये क्या पूरा मार्किट बंद और भूख अपने पूरे तामझाम के साथ सताने लगी। ख़ैर मित्र आईं चाय पीते हुए तय किया कि कनॉट प्लेस चला जाए वहीं घूमेंगे फिरेंगे ऐश करेंगे और क्या 🤗🤗🤗🤗🤗

आश्चर्य कनॉट प्लेस का खादी भवन 26 जनवरी को खुला हुआ था सो एक दो पुराने मित्रों से मिले कुछ अपने लिए ख़रीदा फ़िर अपना सामान वहीं रक्खा और मित्र को लेकर पहुँच गये जनपथ मार्किट। दो तीन घण्टे इधर उधर गपशप करते हुए स्ट्रीट फूड का आनंद लिया और वापिस खादी भवन। सामान लिया मित्र से विदाई ली और चल पड़े नई दिल्ली रेलवे स्टेशन आंध्र प्रदेश एक्सप्रेस पकड़ने। लेकिन ये स्टार्टिंग पॉइंट होने के बाद भी  ट्रेन आधा घंटा लेट। ये तो ज़ुल्म है भाई हाड कपाती ठंडी में  बेचारा प्रदीप 😫। B-1/9 में पहुँचे चारों तरफ़ बच्चे ही बच्चे। एक लड़की ने टूटी फूटी हिन्दी में बताया कि "हम कुल 33 बच्चे include एक ladies टीचर और एक male हैं अंकल जी 😏 हम सब विशाखापट्टनम से भी 150 km से 26 जनवरी देखने आए थे आज़ घऱ वापिस जा रहे हैं।" उनका I  कार्ड देखा तो पाया कि ये आदिवासी मंत्रालय के आमंत्रण पर आए हैं। सारा खर्च सरकार कर रही है। सुनकर अच्छा लगा 😄। रात्रि 12-1 बजे तक बच्चे तेलगू में गपियाते रहे। न जाने कब अपुन को निंद्रा रानी ने अपने आगोश में ले लिया। 

अगले दिन 8 बजे आँख खुली तो पाया कि कोहरे ने ट्रेन की रफ्तार को कुंद सा कर दिया है। एक तेलगू परिवार से प्लेटफॉर्म पर बात हो रही थी कि अगर ट्रेन आधा घंटा यहीं से लेट चलेगी तो रास्ते में दो चार घण्टे लेट होनी निश्चित है।उन्होंने बताता सर ये सुबह 4:15 भोपाल पहुँचती है थोड़ा लेट हो जाए तो अच्छा है हमने भी मस्ती में कह दिया😉 हमने ड्राइवर से बात कर ली है अब ये ट्रेन 4:15 की जगह  8:15 पहुँचेगी।  वे हँस पड़े तो हमने कहा आपने दिल्ली पुलिस का स्लोगन नहीं पढ़ा क्या।  "दिल्ली पुलिस आपके लिए सदैव आपके साथ" तो क्या भारतीय ट्रेन ये स्लोगन नहीं अपना सकती " भारतीय ट्रेन आपके लिए सदैव आपके साथ"  इस बात पर हमारे साथ उसी बेंच पर बैठे सरदार जी भी ठहाका लगाए बिना न रह सके। ये फॅमिली अपने बॉस की बेटी की शादी में भोपाल जा रहे थे बामुश्किल चार महीने का बच्चा होगा जिसे उसके वज़न से ज्य़ादा कपड़े पहनाए हुए थे। ख़ैर हमें जैसे ही कल रात्रि की बात याद आई हम मन ही मन मुस्कुरा पड़े।  पोहे के नाश्ते के बाद मोबाइल पर सदमा फ़िल्म के बारे में एक आर्टिकल पढ़ रहे थे। उस आर्टिकल में एक वाक्य आया "उसकी एड़ी भी गीली नहीं हुईं " बस मिल गया मसाला और दतिया स्टेशन आने तक सिर्फ़ पंद्रह मिनिट में एक नज़्म लिख डाली।  सायं 4:45 भोपाल आया तब जाकर गाड़ी ने रफ़्तार पकड़ी उधर लगातार फ़ोन पर सहस्र बुध्दे जी update ले रहे थे गुरु कहाँ तक पहुँचे। आख़िर हमने कह दिया देखो हुज़ूर हमें  इस ट्रेन के लच्छन ठीक न लग रे अब ये ससुरी ट्रेन जब पहुंचाएगी तभी पहुंचेगे वैसे अफीशियल ये ट्रेन 13-14  घण्टे लेट हो चुकी है। सो कुल मिलाकर आज का कार्यक्रम तो अटेंड न हो पावेगा। बाक़ी जय श्रीराम। सायं को मैसेंजर पर एक मोहतरमा का मैसेज जिसमें उन्होंने नज़्म की काफ़ी तारीफ़ लिखी थी साथ ही आग्रह कि समय निकालकर बात कर लें। ऐसा अक्सर होता है किन्तु इन मोहतरमा की विनम्रता ने ध्यान आकर्षित किया। सो उत्तर स्वरूप लिख दिया कि पहली फुर्सत में कॉल करता हूं। ख़ैर जैसे तैसे ट्रेन ने हमें 9:45 संतरा नगरी यानि  नागपुर फ़ेंका।  बाहर आए ऑटो लिया और सीधे होटेल गुलशन प्लाज़ा। रिसेप्शन पर ही प्रिय सौम्या, पूनम मिश्र एवम् रामकृष्ण सहस्र बुड्ढे जी ने स्वागत किया।हमारे वाली ट्रेन में ही ब्रजेश गुप्ता बांदा से भी थे जो लगभग साथ साथ ही होटेल पहुँचे थे। दोनों को कमरा नंबर 207 अलॉट हुआ। फ्रेश हुए नीचे आए खाना खाया और फ़िर वापिस कमरे में। 

28 को सुबह तैय्यार होकर सीधे पाँचवें माले स्थित मीटिंग हॉल में। नाश्ता हुआ और फ़िर 10:20 पर प्रोग्राम शुरू। संचालन की कमान क्रमशः सहस्र बुड्डे अविनाश बाग़डे एवम् चन्द्रिका प्रसाद मिश्र जी ने संभाली।प्रिय सौम्या ने युगधारा संस्था का पिछले छः बरस का लेखा जोखा प्रस्तुत किया। भविष्य की योजनाओं का ख़ाका खींचा तदुपरांत 
उद्घाटन कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो विश्वम्भर  शुक्ल ने की, मुख्य अतिथि के रूप में नगर के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ सागर खादीवाला और विशिष्ट अतिथि श्री अजय पाठक उपस्थित थे। पुस्तक लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता डॉ श्रीनिवास शुक्ल सरस ने की, मुख्य अतिथि डॉ प्रमोद शुक्ल तथा विशिष्ट अतिथि शिवमोहन सिंह थे। सम्मान समारोह की अध्यक्षता डॉ सरस ने की, मुख्य अतिथि डॉ वीणा दाढ़े और विशिष्ट अतिथि श्री एस पी सिंह थे।कार्यक्रम में प्रो विशंभर शुक्ल, रवि शुक्ल, मुकेश सिंह, विभा प्रकाश की पुस्तकों का लोकार्पण हुआ।विभिन्न सत्रों का संचालन क्रमशः रामकृष्ण वि सहस्रबुद्धे, अविनाश बागड़े और डॉ चंद्रिका प्रसाद मिश्र ने किया। इसी अवसर पर संस्था की ओर से साहित्यकारों को विभिन्न सम्मानों से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर मुझे भी यानि प्रदीप DS भट्ट को शब्द शिल्पी सम्मान से सम्मानित किया गया। प्रथम सत्र में एक मोहतरमा जो इस बात से नाराज़ हो गईं कि मेरा परिचय क्यूँ नहीं दिया सो झटके से उठीं ऐंकर से माइक छीना फ़िर अपनी साहित्यिक यात्रा /गतिविधियों पर जबरदस्ती दर्शकों को फ़ोकस करने पर मज़बूर किया फ़िर बड़बड़ाती हुईं धम्म से कुर्सी पर पसर गईं। मुझे बेसाख्ता अपना शाहकार शेर याद हो आया सो मैंने उसे पब्लिक में धीरे से उछाल दिया। जिन्होंने सुना और समझा उन्होंने बढ़िया है👌👌👌👌👌 का इशारा कर दिया और बाक़ी अज्जि छड्डो भी ...😜

"ख़ुद को ख़ुश रखने की तरक़ीब यूँ निकाल ली 
 ख़ुद ही ख़रीदी फ़ूल माला, ख़ुद ही गले में डाल ली" 

अंतिम सत्र में बीकानेर से पधारे वरिष्ठ ग़ज़ल गो रवि शुक्ल की अध्यक्षता में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन में कृष्ण कुमार द्विवेदी, अर्चना अर्चन, पूनम मिश्रा, हेमलता मिश्रा मानवी, अरुण नामदेव, रूबी दास, प्रभा मेहता, मुकेश सिंह, बृजेश गुप्त,जयश्री कांत, धारा वल्लभ पांडे, मंजूषा किंजवादेकर अनिल मालोकर , रामकृष्ण सहस्र बुढ्ढे ,माधुरी मिश्र, बालकृष्ण महाजन,अमिता शाह सहित उपस्थित कवियों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत कीं। मैंने भी अपनी एक ग़ज़ल पढ़कर वाहवाही लूट ली।

“मेरे अपने मिटाने पर तुले हैं”

सखा सब आजमाने पर तुले हैं
नया कुछ गुल खिलाने पर तुले हैं

जनम से नूर आँखों में नही है
मगर दर्पण दिखाने पर तुले हैं

कोई खतरा नही है मुझसे फिर भी
मुझे झूठा बताने पर तुले हैं

न जाने कौन आया ज़िंदगी में
जो सब मुझको हराने पर तुले हैं

कमी क्या रह गई मेरी वफा में
सभी जो भूल जाने पर तुले हैं

ज़रा सा सच ही तो बोला था मैंने
मेरे अपने मिटाने पर तुले हैं

कोई गल्ती नही है मेरी फिर भी
मेरा सर सब झुकाने पर तुले हैं

न जाने क्या है उनकी बेबसी भी
मरे को फिर जिलाने पर तुले हैं

के उनके दिल में क्या है वो ही जाने
मुझे सूरज बताने पर तुले हैं

कोई हो एक गर समझाऊँ उसको
सभी दिल को दुखाने पर तुले हैं

किसी का क्या बिगाडा बोलो मैंने
जो सब मुझको गिराने पर तुले हैं

मैं मुंसिफ हूँ मगर तुम ‘दीप’ देखो
मुझे मुज़रिम बताने पर तुले हैं

सबसे अच्छी बात ये रही कि कार्यक्रम 5 बजे की टाइम लाइन में ही पूर्ण हो गया जब कि ऐसा अक्सर होता नहीं है। एक बात जिस पर प्रिय सौम्या को विचार करना चाहिए कि हर सत्र में मुख्य अतिथि एवम् विशिष्ट अतिथि अलग अलग होने चाहिए। नीरसता से मुक्ति मिलेगी। शुक्ल पक्ष को अहमियत दीजिए लेकिन कृष्ण पक्ष को भी अहमियत मिलनी चाहिए। भगवान कृष्ण कृष्ण पक्ष में ही अवतरित हुए हैं। एंकर को डायस पर विराजमान होते देखकर आश्चर्य लगा। इन विसंगतियों से बचा जाना चाहिए। प्रिय सौम्या जो कि युगधारा की राष्ट्रीय महासचिव हैं की सौम्यता देखिए कि वे आपने भाई प्रणव के साथ लगभग पूरे कार्यक्रम में सबसे पीछे बैठी रहीं ।उससे भी बड़ी बात वरिष्ठ ग़ज़ल गो रवि त्रिपाठी भी छटी पंक्ति में ही बैठे रहे। ख़ैर व्यवस्थाएं हैं आगे दुरुस्त होंगी ऐसा मेरा अंतर्मन कहता है। 

अगले दिन की शुरुआत धारा वल्लभ पाण्डेय एवम् उनकी श्रीमती,मैं और मित्र सहस्र बुड्डे जी ने ज़ीरो प्वाइंट की visit से की। यहीं वो स्थान है जहाँ से भारत वर्ष के सभी शहरों की नपाई शुरू होती है,फ़िर शहीद स्मारक तदुपरांत राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का म्यूजियम फ़िर कार्यालय देखने जा पहुँचे। बड़ी ही आत्मियता से हमारा परिचय लेकर सेक्यूरिटी चैक कराने से लेकर अंदर कार्यालय में छुड़वाया गया। लगभग एक घण्टे हमने उस स्थान को देखा समझा जाना लगभग सौ वर्षो का इतिहास समेटे म्यूज़ियम को अपने नज़रिये से समझा।  वापसी में बेहतरीन चाय पी फ़िर वापिस होटेल। थोड़ा आराम किया और फ़िर चल पड़े स्टेशन की ओर बिलासपुर नई दिल्ली राजधानी के सफ़र के लिए। ट्रेन 15 मिनिट पहले ही आ पहुँची। B-2/65 में जा पहुँचे। खाना खाया और सो गये। अगले दिल उठे तो पाया ट्रेन लेट है। शायद कहना चाह रही थी कि राजधानी हैं तो क्या हुआ कोहरा हमें भी सताता है जी। लगभग डेढ़ बजे नई दिल्ली रेलवे स्टेशन फ़िर मेट्रो बस का सफ़र करते हुए सायं 5:45 मेरठ।  चलो जी एक और साहित्यिक यात्रा पूरी हुईं। सियावर रामचंद्र की जय।।

प्रदीप DS भट्ट -6224