रिपोतार्ज़
"प्रदीप बाबू बढ़िया है"
अगर मैं अपनी साहित्यिक यात्रा का पुनर्रावलोकन करने बैठूं तो इसका आगाज़ स्कूली पत्रिका संभावना में प्रकाशित मेरी पहली कविता "शहीदों का मज़ार" जिसकी अंतिम पंक्तियाँ कुछ यूँ थी:-
"तभी अनिश्चय के बादल में बिजली चमकी,
रस्ता पाया
याद मुझे फिर ये दिन आया
दौड़ा दौड़ा गया शहीदों के मज़ार पे
इन फूलों का हार उन्हीं पर जा चढ़ाया"
निश्चित रूप से मेरी प्रथम कविता माखनलाल चतुर्वेदी की कविता सुमन की चाह से प्रभावित थी।
फिर नाटक, कहानी लिखते लिखते कविता से दिल लगा बैठा😊 ग़लत न समझें ये शब्दों वाली कविता का जिक्र है मांसल देह वाली कविता का नहीं😁 फिर आकाशवाणी में वार्ता प्रसारित हुई फ़िरनौकरी वग़ैरह वग़ैरह। दिल्ली से मेरठ से मुम्बई फिर हैदराबाद यानि साहित्यिक पारियाँ कभी exprsss ट्रेन सी कभी पैसिंजर ट्रेन से चलती रही।
अब नौकरी है तो रिटायरमेंट भी है सो सोचा रिटायरमेंट से पहले ज़्यादा न सही कुछ शांत वातावरण में एक कुटिया या फ्लैट ले लिया जाए सो मई में मेरठ में शहर की सरहद से बाहर एक फ़्लैट ले लिया। शांत सौम्य वातावरण हरे भरे खेत, लाईट की आँख मिचौली साथ ही नेटवर्क समस्या सो अलग लेकिन अच्छी जगह एवम शांत वातावरण के सामने ये समस्या कुछ भी नहीं😃
अभी मेरठ के मित्रों को सूचना नहीं दी है कि "गब्बर इज़ बैक"😊 पहली बार अहसास हो रहा है फ़्लैट लेना अलग बात है और इंटीरियर के नाम पर मानसिक क्लेश किसे कहते हैं। बन्दों का काम है कि ख़त्म ही नही हो रहा ख़ैर आदरणीय नीरव जी से ज़रूर संपर्क बना रहा। 16 अगस्त को आग्रह कि आपको 20 अगस्त को गुरुग्राम के कार्यक्रम में शिरक़त करनी है। शाम को राजेश प्रभाकर जी का कॉल आ गया (मेरा राजेश से प्रथम परिचय 26 अप्रैल-2022 को राजपाल यादव जी के निवास पर हुआ था इत्तिफ़ाक़ ये कि एक ही शहर में होने के बावज़ूद राजेश जी और राजपाल जी पहली बार मिल रहे थे और मुलाक़ात का माध्यम मैं बना) सो जब राजेश जी ने स्वर साधना के कार्यक्रम में उपस्थित होने का आग्रह किया तो मैंने सहर्ष हामी भर ली।
20 अगस्त-2023 प्रात: 4:30 के अलार्म से दिनचर्या शुरू हुई। सामान्य परस्थितियों में मुझे समय से कार्यक्रम में पहुँचने की आदत है फिर चाहे आमंत्रण अतिथि के तौर पर हो या विशिष्ट अतिथि के तौर पर हो या कि फिर कार्यक्रम अध्यक्ष के तौर पर। मुझे ख़ुशी है कि उत्तर प्रदेश से चलकर दिल्ली से हरियाणा के गुरुग्राम तक मैं 09:58 पर कार्यक्रम स्थल के प्रांगण में प्रवेश कर चुका था।स्वागत प्रिय राजेश श्रीवास्तव ने किया फिर आदरणीय नीरव जी, मधु जी,यशपाल जी राजेश प्रभाकर प्रिय अनुज अवधेश कनौजिया, कुमार राघव, कुलदीप कौर मोनिका शर्मा इत्यादि ।कुछ अपरिचित चेहरे भी थे जिनसे मेरा प्रथम बार परिचय हो रहा था। जिनमें पंकज जौहरी कृष्ण गोपाल सोलंकी सुनील शर्मा प्रेम बिहारी मिश्र इत्यादि।
थोड़े से विलम्ब से ही सही कार्यक्रम आदरणीय नीरव जी की अध्यक्षता में प्रारम्भ हुआ। नीरव जी को जर्मनी के प्रतिष्टित मैक्स मूलर सम्मान से नवाज़ा गया है। स्वर साधना संस्था द्वारा नीरव जी की इस उपलब्धि पर ही ये विशेष कार्यक्रम माधव सेवा केंद्र में उनके सम्मानार्थ आयोजित किया गया।वरिष्ठ साहित्यकार अशोक जैन जी विजय प्रशान्त, प्रिय रमाकांत (पूरे कार्यक्रम में एक्टिव रोल निभाया) प्रिय सुनीता सिंह के मधुर स्वर में सरस्वती वंदना सुनकर 'स्वर साधना मंच" अभिभूत हुआ। "अह्म ब्रह्मास्मि" की सर्वेसर्वा दीपशिखा जी संस्था का नाम बहुत ही सुंदर रक्खा है। सभी उपस्थित कवियों ने रचना पाठ करके कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज़ कराई। ये देखकर अच्छा लगा कि प्रिय मोनिका शर्मा औऱ राजेश श्रीवास्वत का इस बात पर फोकस करते रहे कि कार्यक्रम में कोई त्रुटि न रह जाए । मेरी नज़र में इस कार्यक्रम की यही उपलब्धि रही कि स्वर साधना मंच को दो कर्मठ सहयोगी मिल गए। दोनों को आशीष।
भोजनोपरांत हम ठीक 4 बजे निकले और से:सायं ९:15 मेरठ। तो भैय्या एक यादगार यात्रा एक यादगार कार्यक्रम कुछ नये मित्रों से मुलाक़ात या यूँ कहूँ तो ज्यादा बेहतर कि कुल मिलाकर एक यादगार दिन।
स्वर साधना मंच प्रगति पथ पर सदैव अग्रसर रहे और साहित्यिक आकाश पर अपने लिए एक विशेष स्थान बनाएं।
टीम "स्वर साधना मंच" शुभेच्छा।
राजेश प्रभाकर जी को विशेष🌹🌹