“Women in blue”
“”यानि
भारतीय महिला क्रिकेट टीम”
महत्पूर्ण ये नहीं है कि
भारतीय महिला क्रिकेट टीम फाइनल में इंग्लैंड से मात्र ९ रनों से हार गई बल्कि
महत्वपूर्ण ये है कि टीम अपनी पूरी क्षमता से खेली किन्तु लक्ष्य का पीछा करते हुए
अगर भारतीय टीम को किसी चीज़ की कमी खली तो वो थी उसकी इतने बड़े और दबाव वाले मैचों
में अनुभवहीनता। जीत हार तो सिक्के के दो पहलू हैं जब दो पहलवान
लड़ते हैं तो कई मर्तबा होता है कि मजबूत पहलवान भी कमजोर पहलवान से हार जाता है।
इस बार भी कुछ कुछ ऐसा ही हुआ जिस इंग्लैंड को भारतीय टीम ने शुरुआत में ही हराया
था उसी टीम ने फाइनल भारतीय टीम के हाथ से छीन लिया। लेकिन काल का फाइनल अपने आप
में बेजोड़ था अंत तक लग रहा था कि भारतीय टीम आसानी से ये विश्वकप उठा लेगी किन्तु
लगातार विकेटों के गिरने से टीम लक्ष्य भेदने में असफल हुई किन्तु इसके बाद भी
भारतीय महिला क्रिकेट टीम के प्रति लोगो में ज़रा सी भी नाराज़गी ना होना यही
दर्शाता है कि भारत के लोग अब समय के साथ बदल रहे हैं कारण और भी हो सकते हैं
किन्तु लोगों की सोच महिलाओं के बारे में पिछले दो दशकों से लगातार बदलते जाना एक
शुभ संकेत हैं।
महिला
क्रिकेट के सम्मान में
"आखरी क्षणों तक लड़कर अपनी जान लड़ा दी तुमने
सबके दिलों में इक प्यारी सी जगह बना ली है तुमने
मत होना उदास बस एक हार से ऐ मेरी महिला मित्रों
आने वाले कल को इक नई राह दिखा दी है तुमने "
- प्रदीप भट्ट -
"आखरी क्षणों तक लड़कर अपनी जान लड़ा दी तुमने
सबके दिलों में इक प्यारी सी जगह बना ली है तुमने
मत होना उदास बस एक हार से ऐ मेरी महिला मित्रों
आने वाले कल को इक नई राह दिखा दी है तुमने "
- प्रदीप भट्ट -
2005 के बाद ये दूसरा मौका था जब भारतीय महिला क्रिकेट टीम महिला विश्व कप
के फाइनल में अपनी जगह बनाने में कामयाब रही। अपने
शुरूआती मुक़ाबले में ही मेजबान इंग्लैंड को हराकर महिला क्रिकेट टीम ने अपने बुलंद
हौसले का परिचय दे दिया था। पूरे विश्व कप में केवल दो टीमों से ही अपनी टीम को
हार का मुहं देखना पड़ा। संघर्ष कडा था किन्तु महिला क्रिकेट टीम ने सभी को ये जाता
दिया था कि कोई भी टीम उसे हल्के में लेने की कोशिश न करे इस बात को पहले क्वार्टर
फाइनल में न्यूज़ीलैंड को हराकर तत्पश्चात
सेमिफिनल में छ: बार के विश्व कप विजेता आस्ट्रेलिया को हराकर महिला
क्रिकेट टीम ने 125 करोड़ भारतियों के दिलों में 23 जुलाई -2015 को लॉर्ड्स
में होने वाले फाइनल में इंग्लैंड को हराकर 1983 के विश्व कप की यादें ताज़ा करने का एक
सपना दे दिया। जैसे ही सेमिफिनल में आस्ट्रेलिया को भारतीय टीम ने हराया पूरा भारत
देश टीम के पीछे चट्टान की तरह आकर खड़ा हो गया जिसकी शायद इस टीम ने कल्पना तक न
की थी । यहाँ तक कि वर्तमान और पूर्व क्रिकेट खिलाडियों ने एवम अन्य क्षेत्र के
खिलाडियों ने भी बढचढ कर हिस्सा लेते हुए भारतीय महिला क्रिकेट टीम को अपने
शुभकामना संदेशों से whatsup,twitter evm facebook जैसे सोशल मिडिया को पाट ही डाला।
कहाँ तो भारतीय महिला क्रिकेट टीम विश्वकप के लिए
क्वालीफाई करने के लिए साउथ अफ्रीका में जूझ रही थीं और कहाँ क़दम ताल करते हुए वह
फाइनल तक में पहुँच गई जब कि वर्तमान महिला टीम में केवल दो ही खिलाड़ी ऐसी हैं
जिन्हें चार विश्वकप खेलने का अनुभव है इनमें विश्व में महिला क्रिकेट में
सर्वाधिक 6000 रन बनाने
वाली मिताली राज जो कि भारतीय क्रिकेट टीम की कप्तान भी हैं और दूसरी हैं
झूलन गोस्वामी जिनके नाम 91 एक दिवसीय मैच में 196 विकेट का
रिकॉर्ड है। हरमन प्रीत कौर जिसने आस्ट्रेलिया जैसी सशक्त टीम के विरुद्ध सेमिफिनल
में १७१ रन की धमाकेदार पारी खेलकर पुरुष क्रिकेटरों को भी उनका मुरीद बना दिया
सबने दिल खोलकर इस लड़की की तारीफों के पुल बांध दिये। इसके अतिरिक्त सुषमा वर्मा जो की इस समय
भारतीय महिला क्रिकेट टीम की विकेट कीपर हैं और वेदा कृष्णमूर्थी जो हीटर के तौर पर जानी जाती हैं,पूनम पाण्डे
फ़ास्ट बोलर, गायकवाड,पूनम यादव और हिमाचल की दीप्ती शर्मा स्पिनर के तौर पर टीम को
संबल प्रदान करती हैं।
महिला विश्व
कप अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद् द्वारा संचालित किया जाता है। यह परिषद एक
दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय महिला वनडे प्रारूप के लिए विश्व चैम्पियनशिप के रूप में
कार्य करती है। अंतर्राष्ट्रीय महिला क्रिकेट परिषद् की स्थापना
1973 में हुई और उसी वर्ष पहली बार महिला विश्व कप का आयोजन किया गया। 2005 के बाद से विश्व कप नियमित रूप से चार साल
के अन्तराल पर अलग अलग देशों में आयोजित किया जाता है। भारत इस महिला विश्व कप की मेजबानी तीन बार कर चुका है। टीमों की
संख्या 2000 की एक घटना के बाद से आठ निर्धारित की गई। ऑस्ट्रेलिया अब तक के सबसे सफल टीम से कर रहे
हैं, उसने कुल छ: बार यह खिताब जीता है और केवल तीन
अवसरों पर फाइनल में जगह बनाने में असफल रही है। India women's national cricket team
जिसे “”विमन इन ब्लू “”“ के नाम से भी
जाना जाती है एक भारतीय राष्ट्रीय महिला
क्रिकेट टीम है। जिसका संचालन BCCI करती है। भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने पहला teat Cricket मैच 31 अक्तूबर 1976 को बंगलुरु में वेस्ट इंडीज के खिलाफ खेला था जबकि पहला एक दिवसीय 1 जनवरी 1978 कोलकत्ता में इंग्लैंड क्रिकेट टीम के खिलाफ खेला था और पहला मैच 5 अगस्त 2006 को डर्बी में इंग्लैंड के खिलाफ खेला था।
महिला
अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट पहले, 1934 में खेला
गया था जब इंग्लैंड से एक पार्टी के लिए ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड का दौरा किया।
पहले टेस्ट मैच दिसंबर 1934 को 28-31 खेला गया था, और इंग्लैंड ने जीती। न्यूजीलैंड के खिलाफ पहले टेस्ट में अगले वर्ष जल्दी पीछा
किया। इन तीन जातियों ही टेस्ट 1960 में जब दक्षिण अफ्रीका से खेला
इंग्लैंड के खिलाफ मैचों में से एक नंबर के लिए जब तक महिला क्रिकेट टीमों में खेल
रहे हैं बने रहे। सीमित ओवरों के क्रिकेट पहले 1962 में
इंग्लैंड में प्रथम श्रेणी टीमों द्वारा खेला गया था।[2] नौ साल
बाद, पहली बार अंतरराष्ट्रीय मैच एक दिन पुरुषों की क्रिकेट में
खेला गया था,
जब इंग्लैंड meborn cricket ground पर ऑस्ट्रेलिया पर ले लिया। 2017 तक कुल ग्यारह महिला क्रिकेट विश्व कपों का आयोजन हो चुका
है जिसका विवरण निम्नप्रकार से है:-
Sr.
No.
|
Year
|
Host
|
Final between
|
Won
|
|
1.
|
1973
|
England
|
England
|
Austrelia
|
England
|
2.
|
1978
|
India
|
England
|
Austrelia
|
Austrelia
|
3.
|
1982
|
Newzeland
|
England
|
Austrelia
|
Austrelia
|
4.
|
1988
|
Austrelia
|
England
|
Austrelia
|
Austrelia
|
5.
|
1993
|
England
|
England
|
Newzeland
|
England
|
6.
|
1997
|
India
|
Austrelia
|
Newzeland
|
Austrelia
|
7.
|
2000
|
Newzeland
|
Newzeland
|
Austrelia
|
Newzeland
|
8.
|
2005
|
Suth Afrika
|
India
|
Austrelia
|
Austrelia
|
9.
|
2009
|
Austrelia
|
Newzeland
|
England
|
Newzeland
|
10.
|
2013
|
India
|
Austrelia
|
West Indies
|
Austrelia
|
11.
|
2017
|
England
|
England
|
India
|
England
|
और अंत में हम भारतीय महिला क्रिकेट टीम के
उज्ज्वल भविष्य की कामना ही कर सकते हैं क्यों कि जो राह उन्होंने दिखायी है वह
आने वाले समय में भारत की युवा शक्ति को एक ने रूप में प्रस्तुत करने में सहायक
होगी।
-प्रदीप भट्ट –
Monday, JULY 24, 2017