"साहस"
तू मुझसे आगे है माना लेकिन मैं हार न मानूगाँ
मुश्किल हों हालात मगर मैं रार तुझी से ठानूगाँ
रुकना झूकना न सीखा मैंने क़दम ये बढ़ते जाएगें
थककर जो बैठेगें उनका संबल मैं बन जाऊगाँ
गिरने से घबराना कैसा साहस तुम भर लो दिल में
इच्छा शक्ति सुदृढ़ हो तो हल होती मुश्किल पल में
नभ छूने का साहस रक्खो मैं रस्ता तुम्हें दिखऊगाँ
आज हुआ हूँ अस्त पुनः कल सुबह सवेरे आऊगाँ
तू सूरज है माना लेकिन छोटा सा मैं भी 'दीप' तो हूँ
पंछी जब गाते हैं गाना वो पार्श्व का मैं संगीत तो हूँ
चलते रहना ही जीवन है ये सीखा है मैंने तुमसे
तुम भी पहुँचो मंज़िल तक मैं गीत ख़ुशी के गाऊगाँ
-प्रदीप देवीशरण भट्ट -
19:11:2020