“कभी कभी बेमन भी करना पडता है”
16 मार्च को हैदराबाद की वरिष्ठ साहित्य्कार एवम कादम्बिनी क्ल्ब की सर्वेसर्वा अहिल्या मिश्रा जी का फोन आया आया। अत्र कुशलम तत्रास्तु के उपरांत उहोंने नव निर्मित मकान के गृह प्रवेश के लिए सादर आमंत्रित किया साथ ही बताया कि कादम्बिनी क्ल्ब अब तीसवें वर्ष में प्रवेश कर रहा है इसलिए अपनी परम्परा तो तोडते हुए क्ल्ब की 368वीं सभा का आयोजन 19 मार्च-2023 को उनके नवनिर्मित घर में साहित्यिक मनिषियों के सानिध्य में समप्न्न होगा। मेरा मानना है कि वरिष्ठों का आग्रह भी आदेश के बराबर होता है। अपनी आदतानुसार मैं निर्धारित समय से कुछ मिनिट पूर्व ही मधुरा नगर स्थित उनके आवास पहुँच गया। निश्चित रुप से नव निर्मित गृह का निर्माण बडे ही मनोयोग से किया गया है। अतिथियों के स्वागत में वे स्वयं भूतल स्थित सभा गृह में उपस्थित थीं। अपनी निगरानी में वे प्रत्येक कार्य का निरीक्षण स्वंय ही कर रही थी। मेरे पहुँचते ही उन्होंने आग्रह किया कि मैं पहले नव निर्मित गृह का अवलोकन कर अपना आशीर्वाद प्रिय मानवेंद्र, डॉक्टर आशा मिश्र ‘मुक्ता’ एवम दोनों प्रिय पोतियों को दूँ। यही घर के बडो का काम है जिसे वे पूरी तन्मयता से पूर्ण करने का प्र्यास कर रही हैं। मेरा मानना है कि “बडा वही जो बडो जैसे काम करे”। इसी वर्ष अहिल्या जी अपने जीवन के 75 वर्ष भी पूरे कर रहीं हैं। मतलब एक साथ तीन शुभ कार्य- नव निर्मित गृह प्रवेश, कादम्बिनी क्ल्ब की 368वीं सभा का आयोजन एवम सोने पे सुहागे स्वरुप अहिल्या जी का 75वां जन्मदिन!!!
धीरे धीरे सभा सजने लगी । स्वादिष्ट एवम सुगंधित भोजनोपरांत अहिल्या जी के अतिरिक्त वरिष्ठ साहित्यकार डॉक्टर प्रोफेसर ऋषभ देव शर्मा जी, वरिष्ठ साहित्यकार वेणु गोपाल भट्ट्ड जी, वरिष्ठ साहित्य्कार अजीत गुप्ता जी, केंद्रिय हिंदी संस्थान के निदेशक डॉक्टर गंगाधर वानोडे जी,सुमन मलिक एवम मदन देवी पोकरणा जी मंचासीन हुए। जहाँ प्रथम सत्र में शुभ्रा मोहंतो एवम उनकी टीम ने होली के रंगो की बौछार अपने गीतों द्वारा की वहीं दूसरे सत्र में उपस्थित कवियों ने अपने अपने रचना पाठ से सबका मन मोह लिया। दर्शन सिंह, सुहास भटनागर, श्रीमती एवम श्री सोनी, सुनीता लुल्ला, मोहिनी गुप्ता, मायला जी, धानुका जी, भगवती अग्रवाल, रवि वैद्य , अद्रिका कुमार,डॉक्टर राशि सिन्हा, डॉक्टर राजीव सिंहनितेश सागर, विनोद अनोखा, सीताराम माने, अजय पाण्डेय, संगीता शर्मा, किरण सिंह, तृप्ती मिश्र, विनीता शर्मा, सिवांगी गुप्ता, तरुणा मन्ना, सरिता सुराणा, आर्या झा, मोहित ओझा, रंजीता, पूनम जोधपुरी, सत्य नारायण काकडा, जी पर्मेश्वर, डॉक्टर कृष्णा सिंह, दीपक दिक्षित, इंदु सिंह, डॉक्टर पूर्णिमा शर्मा, सुनिला सूद, मीना मूथा, शिल्पी भटनागर, मंचासीन सभी वरिष्ठ साहित्यकारों ने अपनी अपनी रचनाओं से होली मिलन कार्यक्रम में भरपूरि समां बाँधा। मैंने भी अपनी दो रचनाओं से उपस्थित जन समूह का अपनी ओर ध्यान आकृष्ट किया।
“रंगो की बौछार, प्यार की होली में
तन मन भीगा जाए, प्यार की होली में
जल सरंक्षण पर तुम हमको, लेक्चर दो
अब अपनी सरकार, प्यार की होली में”
“तुलसी सूख जाएगी”
“वो बच्चों की तरह भोली है, हरदम मुस्कुराएगी
अगर अपनी कसम दे दूँ, मुझे आँखे दिखाएगी
करुँ मैं लाख कोशिश पर, शहर बिलकूल न आएगी
मेरी माँ को यही डर है, के तुलसी सूख जाएगी”
मुझे प्रसन्न्ता है कि मेरी दूसरी रचना “ तुसली सूख जाएगी” को उपस्थित जन समूह द्वारा खडे होकर सराहा गया। हैदराबाद में ये दूसरा मौका था जब मुझे ये सम्मान मिला। लगभग साढे छ: बजे कार्यक्रम का समापन हुआ। एक बात जो हमें खल रही थी कि संतोष पाण्डेय उर्फ संतोष रजा जो अच्छे गज़ल कार हैं क्यूँ नहीं आए। विनोद अनोखा जी से ज्ञान हुआ कि उनकी तबियत ठीक नहीं है इसलिए उन्हें हॉस्पिटल के आई सी यू में एडमिट किया गया है। हम सभी उनकी सेहत के लिए प्रार्थना कर ही रहे थे कि कार्यक्रम खत्म होते होते दु:खद सूचना प्राप्त हुई कि प्रिय संतोष हमारे बीच नहीं रहे। ये हम सभी के लिए जबरदस्त झटका था। पिछले वर्ष ही उनकी धर्मपत्नि का देहांत हुआ था और इस वर्ष...... ये अपूर्णीय क्षति है। मुझे भी दो तीन लगे इससे उबरने में लेकिन आश्चर्यजनक रुप से कल प्रथम नवरात्र के दिन प्रिय संतोष मुझे स्वपन्न में दिखायी दिये। अजीब बात ये है कि वो किसी दवाई और वैद्य का जिक्र रहे थे । सायं सुहास भटनागर से मुलाकात के दौरान मैंने उनसे ये बात साझा की। ये ठीक है जो इस संसार में आया है वो जाएगा ही किंतु....... कुछ का जाना अचम्भित कर जाता है।14 जून-2020 में सुशांत का जाना भी कुछ ऐसा ही था तब मैंने सुबह कुछ पंक्तियाँ लिखी थी और दोपहर होते होते वो मनहूस खबर आ गई थी।
“जाने का तेरे गम भी है, अफसोस भी मगर
इतना मलाल है तू, बता कर नहीं गया”
-प्रदीप देवीशरण भट्ट-23.03.2023