Wednesday, 25 October 2023

हीरो हो तो लगो भी मियां वरना.....


रिपोतार्ज़

"सीने में जलन आँखों में तूफ़ान सा क्यूँ है"

आप सोच रहे होंगे आज रिपोतार्ज़ का शीर्षक कुछ अज़ीब सा क्यूँ है। भैइय्य्या जब ससुरी ज़िंदगी में तूफ़ान ही तूफ़ान हों तो कोई क्या करे।बचपन से एक उक्ति सुनते आ रहे हैं कि:😉

"क़िस्मत में हों कंकर, तो क्या करेंगे शंकर"

अब ऐसा लगता है कि ये उक्ति विशेष तौर पर मेरे लिए ही लिखी गईं है। जीवन के तीसरे प्रहर में लकड़ी वाले से, पेंट वाले से प्लम्बर इत्यादि से इतना अत्याचार होना लिखा था सो भईय्या भोग रहे हैं।😔 काफी नुक़सान झेलकर एक सीख मिली कि बेटा ज़रूरत से ज़ियादा दरियादिल भी अच्छी नहीं होती। कुछ प्रजाति ऐसी होती हैं जिनकी पूँछ कभी सीधी नहीं होती अलबत्ता ये प्रजाति नलकी टेढ़ी करने में दक्ष होते हैं। प्रणाम है ऐसी प्रजाति को !🐶

ख़ैर इसी ऊहापोह में के मध्य नौयडा से आदरणीय नीरव की फ़ोन पर मधुर वाणी सुनी। आग्रह था 13 अक्टूबर को हिन्दी भवन में हाज़िर होना है। जीवन में कुछ लोग ऐसे भी होने चाहिए जिनका आग्रह आदेश के बराबर हो सो नीरव जी उन्हीं चंद विभूतियों में से एक हैं।🔱 एक दिन पूर्व ही प्रिय राजेश प्रभाकर जी गुरुग्राम से भी आमंत्रण/निवेदन प्राप्त हो गया। हमने भी सोचा प्रोग्राम तो सायं 4 बजे से है तो क्यूँ न प्रकशाधीन पुस्तक " उरनाद  " का हाल चाल ले लिया जाए सो पहुँच गये सेक्टर 19 स्थित इंडिया बुक के ऑफिस में। इंडिया बुक के सर्वेसर्वा डॉक्टर संजीव एक बेहतरीन इंसान हैं।बिना लाग लपेट के बात करना पसंद करते हैं। बेहतरीन ☕काफ़ी के साथ लगभग डेढ़ घण्टे की गुफ़्तगू के बाद उनसे विदा ली।

मुझे लगा सेक्टर 19 से हिन्दी भवन (ITO) एक डेढ़ घंटा तो लगेगा किंतु मैं लगभग 45 मिनिट बाद ही हिन्दी भवन के दरवाज़े पर दस्तक दे रहा था "मैं हूँ हसीना खोल दरवाज़ा दिल का, आ गया दीवाना तेरा" की तर्ज़ पर। हॉल में एंट्री की तो सामने कुसुम सिंह 'अविचल' कानपुर के दर्शन हो गए। हम दोनों ही एक दूसरे को देखकर चौंक गए क्यूँ कि अभी 30 सितंबर को ही मैं उनकी पुस्तक के विमोचन में लखनऊ में उपस्थित था। काफ़ी देर तक बात चलती रही फ़िर स्वरूप किशन जी कि एंट्री हुईं जो इस कार्यक्रम के मुख्य आतिथि थे। इनसे पिछले वर्ष नवंबर में मेरठ लिटरेरी फेस्टिवल में मुलाक़ात हुईं थी। धीरे धीरे हॉल भरने लगा। बहुत सारे चिरपरिचत चेहरे मुस्कान बिखेरते हुए मिल रहे थे तभी राजेश प्रभाकर जिनकी शान में ये कार्यक्रम रखा गया था। चौंकिये मत राजेश प्रभाकर जी का 13 अक्टूबर को अवतरण दिवस था। लोग 13 तारीख़ को अच्छा नहीं मानते किंतु हम सब की तो निकल पड़ी। थोड़ी देर में नीरव जी मधु जी के साथ उपस्थित हुए। मैं सोच रहा था अवतरण दिवस किसका है राजेश प्रभाकर या नीरव जी का। भईय्या हीरो तो वही लग रहे थे न👩‍❤️‍👨।अच्छी बात ये रही कार्यक्रम समय से शुरू हो गया। 

सायं 4 बजे से लगभग 10 बजे (सूत्रों से मिली सूचना के आधार पर) चलता रहा। कुछ आत्ममुग्धता के शिकार लोगों को ये समझना होगा कि वे कार्यक्रम की शालीनता को बनाए रखने में यदि सहयोग नहीं करते तो एक न एक दिन मुझ जैसे सिरफ़िरे से उलझना पड़ सकता है। मैं और स्वरूप किशन जी 8:50 पर विदा लेकर मेरठ के लिए निकल लिए और रात्रि 11:15 घऱ वापिस।Thx स्वरूप किशन जी।

-प्रदीप DS भट्ट-19102023