“इसकी फ़ितरत बदली है, न है ये
कभी बदलने वाली
पूंछ कुत्ते की है, ये तो सीधी नहीं होने वाली”
कुलभूषण जाधव जो कि एक पूर्व भारतीय नेवी सैन्य कमांडर रहा है और
रिटायर्मेंट के पश्चात् अपना खुद का व्यापर कर रहा है पाकिस्तान की कुख्यात ख़ुफ़िया
एजेंसी ISI द्वारा ईरान से अपहरण कर लिए जाता है और
ये घोषित कर दिया जाता है कि वो एक भारतीय जासूस है जो कि बलूचिस्तान में
पाकिस्तान सरकार के ख़िलाफ़ काम कर रहा है। इस विषय में जो
पाकिस्तान सरकार ने सबुत मुहैय्या कराएँ हैं वो सिरे से हास्यास्पद है जैसे कि ये
कहना कि उसके पास भारतीय पासपोर्ट है? क्या कोई भी ऐसा व्यक्ति जो जासूसी जैसे
कार्य में हो वो कभी अपनी पहचान इस प्रकार से जग जाहिर करेगा और तो और वो अपने ही
देश का वैध पासपोर्ट अपने पास रखेगा कदापि नहीं? उसकी एक मात्र जो विडियो क्लिप दिखाई जा रही है उसको
डोक्टार्ड विडियो कहते हैं जिसमें कम से कम 50 कट की पुष्टि होती है।आइये कुछ
और तथ्यों पर प्रकाश डालते हैं:-
कुलभूषण जाधव एक रिटायर्ड नौसेना अधिकारी हैं, जिन्हें रॉ का एजेंट बताया जा रहा है।
अप्रैल, 2016 में पाक
सरकार ने उन पर आतंकवादी और तोड़फोड़ की कार्रवाइयों में लिप्त होने का आरोप लगाया
था। इसी वर्ष इसी वर्ष मार्च में विदेशी मामलों पर पाकिस्तान
के प्रधानमंत्री के सलाहकार सरताज अजीज ने सीनेट में घोषणा की थी कि जाधव को भारत
को वापस नहीं किया जाएगा। पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव को भारतीय दूतावास के किसी भी
अधिकारी से संपर्क तक नहीं करने दिया गया है, मूल प्रश्न ये है कि अंतर्राष्टीय
पंचाट के सन्दर्भ में देखे तो पायेगें कि यदि किसी व्यक्ति पर जासूसी का आरोप लगता
है तो यदि उसके पास साधारण उस देश का पासपोर्ट है तो उस पर सैनिक अदालत में मुकदमा
नहीं चलाया जा सकता किन्तु पाकिस्तान तो पाकिस्तान है उसे अंतर्रराष्ट्रीय कानूनों
के कहाँ पड़ी है उसका सिर्फ़ एक ही मकसद है कि 29
सितम्बर-2016 को जो सर्जिकल स्ट्राइक भारतीय
सेना द्वारा पाक अनधिकृत कश्मीर में कि गई है उसका बदला कैसे लिया जाये सो उसने
जाधव को ईरान से किडनैप करके और सिर्फ़ एक ही दिशा में सैनिक अदालत में कार्यवाही
कराकर ये निश्चित करने का प्रयास किया है कि जाधव को फंसी दे दी जाये ताकि नवाज़
शरीफ़ अपने देश में अपनी कुछ इज्ज़त बचा पायें क्यों कि जबसे भारतीय सेना द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक की है वो
पाकिस्तान में किसी को मुहं दिखाने के लायक नहीं रह गए हैं।
ये कैसा विरोधाभास है कि कुलभूषण जाधव का अपहरण ईरान में मार्च-2016 में
किया गया और बताया गया कि कुलभूषण जाधव बलूचिस्तान में विध्वंसक कार्यवाहियों को
अंजाम दे रहा था किन्तु दिसम्बर 2016 में ही पाकिस्तान
के प्रधान मंत्री के विदेशी मामलों के सलाहकार मियां सरताज अजीज ने साफ शब्दों में
इस बात को स्वीकार था कि जाधव के पास से
बरामद डोजियर में कुछ भी आपत्ति जनक नहीं पाया गया है न ही जाधव के खिलाफ़ उन्हें
कोई सबूत ही मिला है फिर ये सब अचानक सैन्य अदालत में पेशी और फंसी कि सजा यही
दर्शाती है कि पाकिस्तान अपने आप को ही बेनकाब करना चाहता है ताकि अंतर्रराष्ट्रीय
स्तर पर उसका रसूख और घट जाये।
कल यानि 11 अप्रैल को नयी
डेल्ही में इंडो पाक सेमिनार में जब एक महिला पत्रकार ने कसूरी पर जाधव से संबधित
प्रश्नों के बौछार कर दी तो वो बगले झाँकने लगे लेकिन ज्यादा तकलीफ़ देह स्थिति तो
तब उत्पन्न हो गई जब बेहुदे मणिशंकर अय्यर (ये वाही महानुभाव है जो पाकिस्तान जाकर
वहां एक चैनल से चर्चा के दौरान ये कहते हैं कि आप मोदी को हटायें) उस महिला
पत्रकार के सवालों पर झुंझलाए और उसे नसीहत देने की कोशिश करते नज़र आये अब इस आदमी
को कोई कैसे और क्यों समझाएं कि अगर उसे पाकिस्तान से इतनी ही मुहब्बत है तो वही
जाकर बस जाएँ कम से कम हमें इस आदमी का बेशर्म चेहरा तो नहीं देखना पड़ेगा एक दूसरी
घटना में नॅशनल कांफ्रेंस जिसके अध्यक्ष जनाब फारुख अब्दुल्लाह जो भारत का खाते
हैं भारतीय गाने गाते हैं ठुमके भी भारतीय अंदाज़ में लगते हैं किन्तु इनके लहू में
पाकिस्तानी बहता है, के एक और
छुटभैय्ये नेता मुस्ताफ्फ़ कमाल जाधव केस को पाकिस्तानी कानून के दायरे में बताते
नज़र आते हैं समझ नहीं आता हम लोग मणि शंकर अय्यर,मुस्तफा कमाल,फारुख अब्दुलाह,दिग्विजय
सिंह जिन्हें दिग्भ्रमित कहना ज्यादा उचित होगा और न जाने कितने छद्म सकुलरों को
झेलने के लिए अभिशप्त हैं।
ये तो भला हो गृहमंत्री और विदेश मंत्री का जिन्होंने कल संसद में कल
कुलभूषण जाधव को फांसी दिये जाने का सख्त लहजे में विरोध प्रकट किया और पाकिस्तान
को कड़े शब्दों में चेतावनी भी जारी कर दी कि अगर पाकिस्तान एक तरफा कार्रवाई से
बाज नहीं आया तो उसे इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे वैसे भी विदेश सचिव एस जयशंकर
ने पुरजोर शब्दों में जाधव के खिलज जो प्रकिया अपने जा रही है और उसे हास्यास्पद
करार देते हुए कहा है कि बिना किसी पुख्ता साबुत के जो प्रकिया अपनाकर फांसी कि
सजा जाधव को सुनाई गई है वह अंतर्राष्टीय कानून के विरुद्ध है एस जयशंकर ने दिमश्रे (Diplomatic
Demand Letter) जरी करते हुए कड़े शब्दों में कहा कि अगर इस मामले में
न्याय और क़ानूनी प्रकिया का पालन नहीं किया जाता है तो भारत के लोग जाधव कि फांसी
को सुनोयिजित हत्या मानेगें ।
ये हमारे ही देश में संभव है कि कश्मीर में सरे आम सैनिकों को ठोकरों से
मारा जाता है उन पर पत्थर फेंके जाते हैं और हमारे वीर सैनिक सम्पूर्ण धैर्य धारण
करते हुए कुछ नहीं बोलते हमारे सैनिक जिन कश्मीर के लोगों कि हर तरह से मदद करते
हैं चाहे वो बाढ़ हो चाहे या कोई अन्य प्रकार कि मदद किन्तु कश्मीर के लोग इतने ना
शुक्रे हैं कि जो सेना इनकी मदद करती है उसी के काफ़िले पर हमला करती हैं सरे आम
सेना को बेज्जत करती रहती है और हमारे देश के अवार्ड वापसी गैंग, आतंकवादियों के मरने
पर छाती पीटने वाले छद्म नेता और बिका हुआ मिडिया उस सैनिक के विषय में कुछ बोलते
हैं और न ही कुछ दिखाते हैं जिससे ये साबित होता है कि इन लोगों के खाले मगरमच्छ
से भी ज्यादा मोटी हैं जिसमें देशभक्ति के लिए कोई जगह नहीं नहीं उन्हें सिर्फ़
उन्हीं विषयों पर बोलना और दिखाना है जिन में नकारात्मकता झलकती हो क्यों कि
सकारात्मक ख़बर से तो इन सब जाहिल लोगों को सख्त एलर्जी है पहले सरबजीत अब कुलभूषण
जाधव इनके साथ कुछ भी हो इन जाहिल लोगों को इससे कोई सरोकार नहीं है और हाँ वो
मोमबत्ती गैंग भी तभी एक्टिव होता है जब कोई मर जाता है तो उसकी याद में मोमबत्ती
लेकर जगह जगह मार्च निकालने लगते हैं ताकि साबित किया जा सके कि उनमे कितनी ज्यादा
देशभक्ति है ।
अब अंत में
एक विश्लेषण भारतीय राजनीती के आज के हालत पर- आवश्यक यह है कि ऐसे दोगले लोगों को तुरंत प्रभाव से
समुद्र में उठाकर फ़ेंक देना चाहिए आखिर हम कैसे देश में रह रहे हैं जहाँ हिन्दू
अपने त्यौहार नहीं मना सकते उन्हें अदालत की शरण लेनी पड़ती है (पश्चिम बंगाल की
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी या मुन्न्व्वरा बानो) रामनवमी मनाने के लिए अदालत की
दरकार हनुमान जन्मोत्सव मनाने की कोशिश करे तो पुलिस लाठी चार्ज करती है। हम भारत
में रह रहे हैं या पाकिस्तान में केरल में सरे आम आरएसएस कार्यकर्ताओं को मारा जा
रहा है विपक्ष मुहं में दही जमकर बैठ जाता है क्यों? ये राजनीती का कौन सा रूप है
भाई? 125 करोड़ भारतवासियों में से 22 करोड़ मुसलमानों के लिए ज़मीन आसमां एक क्यों किये दे रहीं
हैं ममता बनर्जी या केरल के मुख्यमंत्री क्यों नहीं 22 करोड़ मुसलमानों को भारत में रहने वाले अन्य लोगों के
मानिंद ही सभी नियम क़ायदे मानने को कहा जाये। उत्तर प्रदेश उत्तराखंड के चुनाव से
भी क्या इन जाहिल राजनीतिज्ञों ने कुछ नहीं सिखा वो दिन हवा हुए जब तुष्टिकरण की
राजनीती करते हुए कांग्रेस देश पर 60 साल राज्य कर जाती है उत्तर
प्रदेश उत्तरखंड के चुनाव परिणाम यही बताते हैं कि 125 करोड़ में से 103
करोड़ लोगों के बनिस्पत अगर २२ करोड़ का ख़याल ज्यादा रखा गया तो 2025 आते आते कहीं सांसद और राज्य विधान सभा में विपक्ष में बैठने के लिए कोई एक सांसद या विधयक भी न मिले।
-प्रदीप
भट्ट – 12,april,2017
No comments:
Post a Comment