" तुमने मुझे इस बुलंदी तक नवाज़ा क्यूँ था
गिर के मै टूट गया काँच के बर्तन कि तरह "
आदमी भी पैसे और प्रसिद्धि के लिए क्या -क्या नहीं करता । उदाहरण देख लो अपने जन्मदिन के दिन शाहरुख ने क्या कहा था कि" देश मे आशिष्णुता और असंवेदनशीलटा बढ़ रही रही है " आज वही शाहरुख अपनी फिल्म "दिलवाले" के फ्लॉप होने के दर से अपने बोले गए शब्दो का यह कहकर बचाव कर रह रहे कि मेरे शब्दो को अलग तरह से प्रचारित किया गया है। कर दी न नेताओ वाली बात आखिर करे भी तो क्यो न नेता और अभिनेताओ मे ज्यादा अंतर भी तो नहीं है । दोनों ही एक ही थ्योरी पर चलते हैं :" Out of side,out of Mind"
इसकी एक और बानगी देखिए जिस सलमान खान से लंबे समय से बैर चल रहा था उसे भी एक ही झटके मे खतम कर "Big Boss" मे अपनी फिल्म दिलवाले कि प्रमोशन के लिए एक विशेष add campaign कारवाई जा रही है ताकि दर्शको कि नाराजगी को दूर किया जा सके । और ऐसा सिर्फ शाहरुख ही नहीं वरन सलमान कि भी मजबूरी नज़र आती है क्यो कि उनकी भी "सुल्तान " फिल्म कि शूटिंग शुरू हो चुकी है और उन्हे भी डर है कि कहीं दर्शक आमिर और शाहरुख कि ही तरह उनकी भी फिल्म का boycott करने का फैसला न कर लें।
इसे कहते है DAR अपनी साख खो देने का अपनी प्रसिद्धि के बट्टा लगने का ।प्रसिद्धि के घोड़े पर सवार सामान्यता आदमी अपना होश खो देता है वो भूल जाता है ये जनता है कब किस को उठा दे कब किसको गिरा दे कोई नहीं जनता ।जिस जनता के पैसे और प्यार ने उन्हे इस लायक बनाया है वो जनता नहीं जनता जनार्दन होती है । सीधे शब्दो मे कहूँ तो इस समय शाहरुख कि फटी पड़ी है और इतनी जगह से कि उसे समझ नहीं आ रहा कि कहाँ कहाँ से सिले ।
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