"अब पड़ा तबियत में कुछ आराम सा
तुमने जब पूछा कि कैसे हो प्रदीप "
स्वास्थ्य थोड़ा नरम गरम होने के कारण यात्रा का वृतांत की दूसरी कड़ी में देरी हो गई। ख़ैर रामेश्वरम से लगभग १२ बजे बस ली और चल पड़े मदुरै स्थित मीनाक्षी टेंपल के लिए। एक बात जिसने मुझे प्रभावित किया वह थी मदुरै में और से रामेश्वरम तक साफ़ सुथरी सड़के। नॉर्थ में बस के अंदर पानी कोलड्रिंक बेचनेवालो की धूम रहती है किंतु तमिलनाडु की बसों में लोकल सामान और पानी बिकता तो देखा लेकिन कोल्ड ड्रिंक न जी न। लगभग ४ बजे मदुरै बस स्टैंड और वहां से ऑटो द्वारा मीनाक्षी टेंपल। मीनाक्षी टेंपल में भीड़ सोच रहा था रात दस बजे तक भी दर्शन हो जाएं तो जय श्रीराम वो भी विशेष टिकिट के बाद भी हालात खराब
थे किंतु पंक्ति के साथ ही पीने के पानी की उचित व्यवस्था भी उपलब्ध थी। लेकिन एक बार दैनिक सांध्य पूजन अर्चन के बाद पंक्ति बड़ी तेजी से घटने लगा।लगभग ६ बजे दर्शन कर बाहर निकले फिर प्रशांत जी के साथ पेट पूजा की। मध्य रात्रि की ट्रेन पकड़ी और प्रातः ६ बजे कन्याकुमारी। स्टेशन से २फर्लांग की दूरी पर स्थित होटल लिया, कुछ देर आराम फिर निकल पड़े।
सबसे पहले कन्याकुमारी माता के दर्शन किए फिर विवेकानंद रॉक के दर्शन किए। सबसे अद्भुत था तमिल के महान कवि तिरुवल्लू की मूर्ति के दर्शन करना। गर्मी पूरे प्रचंड वेग में थी इसलिए खाना खाया और होटल वापिस। सांय को सूर्यास्त देखने निकल पड़े। बेहतरीन नज़ारा किन्तु अफ़सोस दिल गड्ढे में बेहतरीन नज़ारा तो देखने को मिला किन्तु कन्याकुमारी में सूर्योदय एवम सूर्यास्त के दर्शन नहीं कर पाए। बादलों की आंख मिचौली ने सूर्य को हमसे दूर ही रक्खा।
"सूरज निकलना चाहता है बादल की ओट से
उठिए हुज़ूर ए आला पड़ा काम बहुत है "
क्या करते कुछ शंख खरीदे और चल पड़े मंथर गति से होटल की ओर आख़िर अगले दिन सुबह तिरुवंतपुरम की ट्रैनवा जो पकड़ती थी। तो ९ दिसंबर को प्रातः इडली खाई और चल पड़े अखिल भारतीय सर्वभाषा संस्कृति समिति के तीन दिवसीय अधिवेशन में शिरकत करने के लिए।
तो तैय्यार हो जाइए रिपोतार्ज के लिए
प्रदीप DS भट्ट -211223
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