Monday, 18 December 2023

"देर आए दुरुस्त आए"



यायावर की डायरी से

            "देर आयाद आए"
आप सब सोच रहे होंगे कि ये क्या नया शिगूफा है भाई "यायावर की डायरी से" तो मित्रों हुआ यूं कि जब Abs4 के मैसुरू अधिवेशन में 19 वें अधिवेशन हेतु दर्शन बेजार जी द्वारा केरल के 'कोच्चि' का नाम प्रस्तावित हुआ तो हर्षित होना स्वाभाविक था किंतु किन्ही अपरिहार्य कारणों से अधिवेशन का स्थान बदलकर 'तिरुवंतपुरम' किया गया तो मन में यही विचार आया कि" मन चाहा होता नहीं प्रभु चाहें तत्काल"। ईश्वर की माया तो ईश्वर ही जाने। ख़ैर इस बार Abs4 द्वारा आपके मित्र को "यायावर" की उपाधि से विभूषित किया गया है तो सोचा हर इवेंट को दो पहलुओं में विभक्त कर देते हैं पहला "यायावर की डायरी से" और दूसरे पहलू को 'रिपोतार्ज' द्वारा जो कि सिर्फ़ कार्यक्रम पर फोकस होगा तो आइए यायावर की प्रथम डायरी का श्रीगणेश रामेश्वरम यात्रा से करते हैं।

हैदराबाद में पोस्टिंग के दौरान कोरोना भैय्या से एक लम्बी मुलाकात चली थी। वैक्सिन आई नहीं थी तो अपने मित्र सुहास भटनागर के साथ घर पर बैठे बैठे ही हमने 23 दिसंबर 2020 की जामनगर से रामेश्वरम को जाने वाली ट्रेन की दो टिकिट बुक कर दी किंतु जैसे ही वापिसी के लिए 25 दिसंबर की टिकिट बुक करनी चाही तो लिखा आ गया भैय्या कोरोना भाऊ के कारण ट्रेन कैंसिल की जाती है। आप समझ सकते हैं मूड कित्ता ख़राब हुआ होगा । 12 वर्ष मुंबई में रहकर सिर्फ़ त्रयंबकेश्वर के ही दो तीन दर्शन किए थे सो हमने महाराष्ट्र स्थित परली बैजनाथ घणेश्वर एवम भीमा शंकर के दर्शन करने का फ़ैसला किया और दिसंबर के अंतिम सप्ताह में ये पुण्य अर्जित किया किंतु रामेश्वरम के दर्शन न कर पाने की टीस बाकी थी सो जैसे ही तिरुवंतपुरम फाइनल हुआ हमने 6 दिसंबर की सुबह विजय प्रशांत जी के साथ दिल्ली से मदुरै फ्लाइट, मदुरै से रामेश्वरम बस से पहुंचे। 7 की प्रातः 5.30 बजे 22 कुंडो के पानी से स्नान कर विधिवत पूजन अर्चन कर मन एवम आत्मा तृप्त की तदुपरांत हल्का नाश्ता और फिर निकल पड़े धनुष कोड़ी के लिए। बेहद मनोहारी स्थान। दक्षिण भारत की प्रथम यात्रा का विवरण यहीं तक। अगले अंक में मदुरै के मीनाक्षी टेंपल का विवरण।

प्रदीप भट्ट ,'यायावर'

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