शिरीष ने गाड़ी पार्क कर जैसे ही घर में कदम रक्खा सुधा तुरन्त पानी का ग्लास लेकर ड्राइंग रूम में उपस्थित हो गई. गिरीश ने सुधा को ऊपर से नीचे की ओर देखा फिर बोला कुछ बात है सुधा, सुधा ने एक दम अचकचा कर कहा नहीं ऐसा कुछ भी नहीं बस तुम पहले फ्रेश हो जाओ फिर बात करते हैं. ठीक है कहकर शिरीष ने पानी का ग्लास टेबिल पर रखा और फ्रेश होने चला गया. सुधा ने खाली ग्लास उठाया तो वो एक दम जैसे नींद से जागी फिर ख़ुद को कोसते हुए बोली ये क्या किया आज मैंने शिरीष को खाली पानी दे दिया.शादी के चौदह सालों में ऐसा कभी नहीं हुआ था जब शिरीष ऑफिस या टूर से घर आया हो और सुधा ने उसे खाली पानी दिया हो. शिरीष की बचपन से आदत थी कि वह जब भी स्कूल या कॉलेज से घर आता था पानी और गुड़ का सेवन करता था .सुधा जब इस घर में ब्याह कर आयी थी तो सासू माँ ने उसे पहले दिन ही ये हिदायत दी थी कि शिरीष की इस आदत का वो जरूर सम्मान करे और उसने आज तक इस आदत का पूरा सम्मान किया था किन्तु आज. वो चुपचाप किचन में गई, शिरीष और अपने लिए मसाले वाली चाय बनाई फिर दो तीन तरह के बिस्किट प्लेट में रखकर वह वापिस ड्राइंग रूम में आ बैठी. थोड़ी देर में शिरीष सफ़ेद कुर्ता पायजामा पहने ड्राइंग रूम में पहुँचा शिरीष को देखते ही सुधा उठी और कुछ कहने के लिए उसने जैसे ही मुँह खोला शिरीष ने हाथ के इशारे से उसे बैठने के लिए कहा जब सुधा बैठ गई तो शिरीष बोला जरूर कोई ऐसी बात है जिसने तुम्हें इतना विचलित कर दिया जिससे तुम पानी के साथ गुड़ देना भूल गईं. आराम से बैठो एक लम्बी श्वांस लो फिर बताओ क्या हुआ .
No comments:
Post a Comment