फ़ेसबुक फुटवा पर न जाइए हुज़ूर, ये फ़िल्टर का कमाल है ।
"फ़िल्टर अगर न होता,ये जवान कैसे दिखतीं
बागों के फ़ेसबुक पर, कैसे जी फ़िर चहकतीं "
"मेले में पुस्तकों के, कल ढूँढ़ती थी आँखें
मेकअप बिना मुझको, इक भी दिखी न यारों"
........🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣
प्रदीप DS भट्ट -26324
दीक्षित दनकौरी जी ने अंतर्राष्टीय पुस्तक मेले हेतु एक व्हाट्सएप ग्रुप पर सभी को आमंत्रित किया कि "चलिए मिलते हैं प्रगति मैदान के पुस्तक मेले में तारीख़ 17 फ़रवरी अपरान्ह 1बजे गेट नंबर 1पर। हमने ग्रुप पर ही अपना हाथ उठा दिया 💪 जैसे जताना चाह रहे हों हमरे बिन सब कुछ सूना 🥰 कभी कभी आत्म मुग्धता का शिकार होना भी गुड वाली फीलिंग दे जाता है भाई लोगों 😊 ख़ैर हमने मेरठ से 16 फ़रवरी में अपनी लकुटी कमरिया उठाई और आ गये अपने मित्र पवन गोयल जी के पास। देखते ही बोले आओ ठाकुर आओ इत्ते दिनों बाद आए हो, सज़ा तो पक्का मिलेगी 😁
राम राम शाम शाम के बाद कुछ देर गप्पा मारी कुछ खाया पिया और तभी उन्होंने बताया कि बीच वाले पुत्र विनय का डायलिसस शरू हो चुका है वो भी हफ़्ते में दो बार, चलो ईस्ट देहली हॉस्पिटल चलते हैं। थोड़ी देर के लिए तो शान्ति पसर गईं लेकिन फ़िर उठे और चल पड़े ईस्ट देहली हॉस्पिटल के लिए। जीवन इसी का नाम है 🔱अगले दिन उसी बालक की अपोलो हॉस्पिटल में भी1:30 की appintment थी तो मुझे रास्ते में प्रगति मैदान ड्रॉप करते हुए चले गये।
तो लो जी हम तो 12:33 पर ही प्रगति मैदान गेट नंबर 1 पहुँच गये एक सेल्फ़ी ली और ग्रुप पर पोस्ट कर दी। जब 1 बजे तक कोई नहीं आया तो हमने ग्रुप पर झाँका आश्चर्य वहाँ दीक्षित जी की इन्तेज़ार की मुद्रा में एक फोटॊ हमने इधर उधर देखा जब नहीं दिखे तो फ़ोन घुमा दिया पता चला वे हॉल नंबर 1 पर खड़े हैं और हम गेट नंबर 1पर ख़ैर थोड़ी देर में उनके दर्शन किए किंतु हमें अपनी निमूढ़ता पर हँसी भी आई 😏😏😏😊 ख़ैर नमस्कार चमत्कार के बाद तय हुआ कि आने वाले और भी मित्रों की 1:45 तक प्रतीक्षा की फ़िर विसर्जन 😉😉😉😁😁😁
ठीक 1:45 पर कुल नौ रत्न जमा हो चुके थे सो फुटाव खींची और हॉल नंबर 1 व 2 में लगभग दो घण्टे बिताने के बाद तय किया कि एक ठो चाय हो जाए तभी सीमा सिकंदर और प्रोफेसर पूनम सिंह जी के दर्शन हो गये। सीमा जी से तो ग़ज़ल कुंभ में मुलाक़ात हो चुकी थी पूनम जी से पहली मुलाक़ात हुईं। चाय के साथ सीमा जी ने घऱ का बना हुआ सैंडविच ऑफर किया तो भईय्या हमने तुरत लपक लिया क्या पता बाद में मिले न मिले। 😜 बाद में एक ठो तिल वाला एक लड्डू अलग से हमने सोचा अपनी तो निकल पड़ी वैसे भी 3:30-4:00 का समय हो रहा था खाना न सही यही सही जो मिले लपेट लो भईय्या।
"भूखे भजन न होय गोपाला
पकड़ ये अपनी कंठी माला "
सर्वसम्मति से तय हुआ कि घऱ चला जाए तो जो थक गये थे वो निकल लिए किंतु हम कुछ देर और रुकना चाहते थे सो हम सीमा सिकंदर जी और पूनम जी फ़िर से हॉल की ओर मुड़े ही थे कि सामने से नासिरा शर्मा व्हील चेयर पर आती दिख गईं। पूनम जी तो उन्हें देखते ही चहक पड़ी कुछ कुछ सीमा जी भी। ख़ैर फरमाइश हुईं तो तुरंत कुछ फ़ोटो क्लिक किये नासिरा जी ने आग्रह किया कि फ़ोटोस उन्हें भी शेयर कर दिये जाएँ। तो तुरंत दान महा कल्याण की तर्ज़ पर जब तक वे गाड़ी तक पहुँची होंगी हमने ये शुभ काम भी कर डाला फ़िर वही हमारी तिकड़ी और पुस्तक मेला के 5 हॉल।घूमते रहे तभी एक मोहतरमा पर निग़ाह पड़ी फ़ेसबुक फ्रेंड हैं भई अच्छी लेखिका भी हैं देखकर अहसास हुआ कि फ़ोटो फ़िल्टर का आविष्कार जिसने भी किया इन जैसी मोहतरमा को देखकर ही किया होगा। ख़ैर मेकअप की दुकान कहना तो ज़्यादती हो जाएगी किंतु ........🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣 घूमते घुमाते ही अंत में रघुवीर शर्मा जी जो पत्नि सहित पुस्तक मेले का आनंद ले रहे थे से पूनम जी ने परिचय कराया। निश्चित ये एक ख़ुशनुमा शानदार मुलाक़ात रही। अंत में सभी ने रुखसती ली और हम भी मंथर गति से चलते हुए माननीय उच्च न्यायालय के गेट के सामने आकर ठहर गए। मेट्रो स्टेशन दूर था पैरों ने और आगे सरकने से मना कर दिया सो भैय्ये ओला ली और सीधे शाहदरा, खाया पीया और सो गये। अगले दिन ज़ल्दी जो उठना था एक ठो प्रोग्राम के लिए। 😱
यूँ ही प्रिय शिवम् झा ' राब्ता ' से बात हुईं तो पता चला कि वो देहरादून से कल पहुँचेगा 18 को सुबह दिल्ली आ रहा है साथ ही आग्रह किया कि आप अवश्य पधारें।कुछ देर बाद ही पोस्टर भी रिलीज़ कर दिया। मैं थोड़ा असमंजस में था इसलिए मैंने थोड़ा देरी से पहुँचने के लिए शिवम् से अनुमति ली। लेकिन आदत तो आदत है छूटती ही नहीं "देर से जाना ज़ल्दी आना" मुझे प्रोटोकॉल के विरुद्ध लगता है सो गोयल साहब से अनुमति ली और तीन मेट्रो बदलते हुए 10:45 पर मीटिंग हॉल में मुझसे पहले संजीव जी पहुँचे हुए थे। इनसे भी कल एक हल्की सी पुस्तक मेले में मुलाक़ात हुईं थी। मुलाक़ात हुईं तो बताया कि कल पुस्तक मेले में उनकी ....पुस्तक का विमोचन था। ख़ैर धीरे धीरे लोगों का आगमन हुआ। प्रोग्राम 11:45 पर शुरू हुआ। इसी बीच विवेक जी, खुर्रम नूर,राधा गुप्ता,नलनी जी , माहेश्वरी जी उनकी श्रीमती पूनम माहेश्वरी जी और एक और सुंदर सी 😊पूनम थी शायद पूनम मल्होत्रा।दो पूनम दोनों ही सुंदर दोनों ने ही अच्छी प्रस्तुतियाँ दीं। पूनम माहेश्वरी जी ने अच्छा संचालन किया उन्हें पूछकर ही संचालन से संबंधित कुछ सुझाव दिये। मानेंगी तो ठीक नहीं तो जय श्रीराम 👩❤️👨
तभी श्रीमती मजूमदार और सरीन जी से मुलाक़ात भी हो गईं। प्रिय राघव से भी मिलना आनंदित कर गया, मुझे नाम याद नहीं किंतु एक लड़के की प्रस्तुती अच्छी लगी। वहां उपस्थित कुछ....को उस लड़के की प्रस्तुती देखकर वे क्या लिख रहे हैं क्या पढ़ रहे हैं स्वयं की रचनाओं पर चिंतन करना चहिए।
जीस्त को मुझसे है गिला देखो
मैं जी रहा हूं हौसला देखो
साथ रहते हैं एक छत के तले
दरमिया फिर भी फासला देखो।
कुछ VVIP (संजीव जी को छोड़कर)अपना काव्य पाठ करके चलते बने भई VVIP हैं बहुत ज़्यादा व्यस्त हैं मेरी नज़र में जिंदगी में अस्त व्यस्त हैं 🤪 ख़ैर उनके नाम का ज़िक्र करना ही क्यूं 😝
पूरे दिन के कार्यक्रम में एक से बढ़कर एक प्रस्तुति। कुछ अच्छे कवि और शायर और कुछ लटके झटके वाले परफॉर्मर।कुल मिलाकर एक अच्छा कार्यक्रम। मेरे बराबर में गज़ल गो डॉक्टर कौशल सोनी जी प्रथम पंक्ति में विराजमान थे से संवाद अच्छा कायम हुआ साथ ही उनकी दो बेहतरीन गजलें सुनने का सौभाग्य मिला। मुझे 4 बजे निकलना था किंतु शिवम् ने पुनः अग्रिम पंक्ति में बैठने का आग्रह कर दिया। अफ़सोस दिल गड्ढे में 😎 कभी कभी अनुजों के आगे अग्रजों की नहीं चलती। 🥰 वापसी में इंद्रजीत जी एवम् श्रीमती दीपा शेखर झा से मिलना सुखद रहा। तभी फ़ोन की घंटी बजी मैंने देखा मेरी अभिन्न मित्र का फ़ोन है जब तक मैं उठाऊँ फ़ोन बंद हो गया। ख़ैर दिल्ली हाट से मेट्रो चेंज करते ही मैंने अपनी उन अभिन्न मित्र को फ़ोन लगा दिया। मैं सिर्फ़ जय श्रीराम ही कह पाया बाक़ी ....... बस पुच्छो ना जी। मित्र हैं नाराज़ होने का पूरा हक़ है उन्हें। भले ही जानबूझ गल्ती न की हो लेकिन गल्ती तो गल्ती है। भई दिल्ली टेरेटरी में दो दिनों से हूँ और मित्र को ख़बर तक नहीं ये तो दोस्त के साथ ज़्यादती हुईं न। मैंने मनाने की भरपूर कोशिश की लेकिन ..... ! अच्छी बात ये रही कि मुझे अपनी अभिन्न मित्र का डाँटना घणा अच्छा लगा। यही अच्छे मित्रों की पहचान भी है। बुरा लगा तो कह दिया। दिल में नहीं रक्खा ये अच्छी बात है। 'Again sry दोस्त '
प्रदीप DS भट्ट -19224
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