रिपोतार्ज
मज़ा जीने का तुम जो चाहो तो दून चले आओ जी दून चले आओ
मज़ा जीने का गर जो चाहो तो अंदर चले आओ जी अंदर चले आओ। ये फिल्म का गाना है जो आज यूं ही याद आ गया तो मैंने इसे कुछ यूं कर दिया मज़ा जीने का तुम जो चाहो दून चले आओ जी दून चले आओ। कारण बना अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका प्रज्ञान विश्वम के पांचवे अंक के लोकार्पण का जो की देहरादून के सुभाष सैनी जी पर केंद्रित था। आदरणीय नीरव जी ने सूचना दी कि ये प्रज्ञान विश्वम का विषेष अंक सुभाष सैनी जी पर है आप लोकार्पण का हिस्सा बनने के लिए तैय्यार रहिए। दो तीन दिन के बाद अग्रज सैनी जी का फ़ोन आ गया कि आपको आना ही पड़ेगा, अब अग्रज के आदेश को टालने की हिम्मत कौन करेगा। हमने सहर्ष अपनी सहमति प्रदान कर दी। 🙏🏾
हमारे अतिरिक्त गुरुग्राम हरियाणा से निगम दम्पत्ति ,( राजेंद्र निगम एवम इंदु निगम जी) एवम राजेश प्रभाकर भी लोकार्पण का हिस्सा बनने के लिए देहरादून पहुंच रहे थे । सो 29 अक्तूबर को हम भी पहुंच गए देहरादून पिछले 43 बरस की यादों को संजोए। सैनी जी ने होटल हिल व्यू में रहने की व्यवस्था की हुई थी। लगभग 2 बजे होटल पहुंचा तो राजेश प्रभाकर पहले ही वहां विराजे मिले। नमस्कार चमत्कार, (बस यूं ही लिख दिया चमत्कार होना भी क्या था) राजेश जी ने कहा पहले खाना खा लें, मैं तो खा चुका हूं मैंने भी मुस्कुराते हुए कहा आज दिन के खाने की छुट्टी। सैनी जी ने प्रोग्राम के बाद घर पर डिनर रक्खा हुआ है सो......🤝
उत्तराखंड के शिक्षा विभाग के सहस्र धारा स्थित डायट के सभागार में नियत समय पर कार्यक्रम शुरु हो गया। मै स्वयं समय का पाबंद हूं इसलिए मुझे नीरव जी की यही बात पसंद आती है कि वे सामान्यत कार्यक्रम समय से शुरु कर देते हैं । यहां भी ऐसा ही हुआ। टैक्सी ड्राइवर ने होटल से डायट पहुंचने में कुछ ज्यादा ही समय लिया ख़ैर फिर भी हम 3.50 पर पहुंच गए। अध्यक्षता एम एम घिड़ल्याल जी ने की।दीप प्रज्ज्वल के पश्चात् सुमन सैनी जी द्वारा सरस्वती वन्दना प्रस्तुत की। थोड़ी देर बाद ही वह शुभ समय आ गया जब प्रज्ञान विश्वम के विषेष अंक का लोकार्पण समृद्ध मंच द्वारा सम्पूर्ण हुआ। उसके बाद आदरणीय नीरव जी के सधे हुए संचालन में कविता पाठ प्रारम्भ हुआ। एक से बढ़कर एक कवि कोई श्रृंगार पर पढ़ रहा था तो कोई व्यंग्य पर कोई ओज पर तो कोई हास्य पर। कुल मिलाकर बेहद उम्दा कवि सम्मेलन संपन्न हुआ। मैंने भी अपनी एक रचना प्रस्तुत की।
नमक दरिया में थोड़ा सा मिला दूं
मैं अपनी आंख का आंसू गिरा दूं
के अतिरिक्त
पानी ऊपर पानी लिक्खूं या फिर कोई कहानी लिकखूं
ख़ुद को बतलाऊँ मैं राजा और तुम्हें क्या रानी लिक्खूं
प्रोग्राम के बाद सैनी जी के घर जमी महफ़िल ने पुराने दिनों की याद ताज़ा कर दी जब रात में देर तलक कवि गोष्ठी में ऊंघते रहते थे लेकिन बैठे रहते थे क्या पता अपना नंबर आने वाला हो और हमें सोता समझकर कोई दूसरा अपनी कविता न चेप दे। ब्राह्मण को यदि बढ़िया खाना खाने को मिल जाए तो बल्ले बल्ले। रात बारह बजे होटल वापिसी। सुबह सात बजे सहस्र धारा पहुंच गए फिर से यादें ताज़ा करने। लेकिन 20=22 बरस पहले की अपेक्षा सहस्र धारा थोड़ा नहीं काफ़ी बदल गया हमने एक को रोककर पूछा तो बोला हुज़ूर ये सब चेंच 2014 के बाद ही आया चिकनी चिकनी 🛣️ सड़के इलैक्ट्रिक बस electrik 🚌 वगैरह फिर जय श्री राम कहते हुए निकल लिया भाई। हमने भी जय श्री राम बोलते हुए सहस्र धारा में नहाने का लुत्फ उठाया फिर वापिस होटल। नाश्ते के बाद सामान समेटा और राजेश जी को एयरपोर्ट रवाना कर हम भी प्रेमनगर पहुुंच गए। 1 नवंबर की सुबह 5 बजे की ट्रेन छुट गई सो बस से वापिस मेरठ सुनहरी यादों के संग।
एक अच्छे और सुनियोजित कार्यक्रम के लिए नीरव जी सैनी जी को हार्दिक शुभेच्छा ।
सैनी जी बेहतरीन आवभगत के लिए हृदय से धन्यवाद।
प्रदीप DS भट्ट 41123
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