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रिपोतार्ज़
“गुलमोहर तुमने दामन क्यूँ बिखेरे”
स्थितियाँ कभी भी हमारे हाथ में नहीं रहती इसलिए मैं बार बार कहता हूँ “मन चाहा होता नहीं प्रभु चाहें तत्काल” प्रिय शिल्पी भटनागर (अनुजा) की प्रथम पुस्तक “गुलमोहर तुमने दामन क्यूँ बिखेरे” का लोकार्पण नवम्बर-2022 में होना तय हुआ किंतु परिस्थितियाँ कुछ ऐसे बनी कि अंतिम समय में प्रोग्राम रद्द करना पडा। थोडी निराशा आनी लाज़मी है सो मैंने तुरंत प्रिय शिल्पी को फोन मिला दिया राम राम शाम शाम के बाद मुझे जल्दी ही अहसास हो गया कि उसका स्वर तो नमी लिए हुए है। मैंने सांत्वना देते हुए अपने कुछ अनुभव साझा किये फिर बताया कि निराशा के गर्द से ही आशा का जन्म होता है। अतएव जो नहीं हुआ उस पर माथा पच्ची करने से बेहतर है कि क्या अच्छा किया जा सकता है उस पर फोकस करते हैं। मेहनत रंग लाई और प्रिय शिल्पी हल्के से ही सही मुस्कुराई। कहते हैं न बाँटने से दु:ख आधा हो जाता है तो कुछ ऐसी ही अनुभूति शिल्पी और मुझे दोनों को ही हुई। चूँकि उससे रिश्ता अनुजा का है तो तकलीफ तो मुझे भी हुई ज्यादा न सही कम लेकिन हुई तो ज़रुर्। खैर जैसी प्रभु की इच्छा! मैंने कहा न ईश्वर जो चाहते हैं वो सदैव अच्छा ही होता है तो हुज़ूर अब ये कार्यक्रम जनवरी-14-2023 को तय किया। कादम्बिनी क्ल्ब के तत्वाधान में नवजीवन बालिका विद्यालय, रामकोट, हैदराबाद में। इसी बीच मेरी पुस्तक “असलियत में चाँद मेरे पास है” गुजरात के गाँधी नगर में 29 दिसम्बर-2022 को लोकार्पित भी हो गई।
इसी बीच मेरी प्रिय मित्र डॉक्टर राशि सिन्हा जो हिन्दी अंग्रेजी दोनों ही भाषाओं में लिखती है (उनकी एक साथ आठ पुस्तकें प्रकाशित होने वाली हैं) एवम अभी हाल ही में बिहार से यहाँ हैदराबाद में शिफ्ट हुई हैं, से बात चीत हुई तो मैंने उन्हें साहित्यिक माहौल से परिचित कराने के उद्देश्य से इस कार्यक्रम में आमंत्रित करने के लिए प्रिय शिल्पी से आग्रह किया जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार भी कर लिया। मैं नियत समय पर वहाँ पहुँच भी गया। प्रिय सौरव व शिल्पी दोनों बच्चों के साथ कार्यक्रम की तैय्यारियां में व्यस्त थे और इधर मैं राशि सिन्हा एवम मोहिनी गुप्ता से सम्पर्क कर उन्हें वैन्यू तक पहुँचने के विषय में गाइड कर रहा था। आखिर कुछ ही देर में मोहिनी जी अपने पतिदेव के साथ प्रकट हो ही गईं और उसके कुछ देर बाद डॉक्टर राशि सिन्हा अपनी बेटी अद्रिका कुमार के साथ वैन्यू पर आ पहुँची। प्रोफेसर ऋषभदेव शर्मा, डॉक्टर अहिल्या मिश्रा शुभ्रो मोहन्ता केंदीय हिंदी संस्थान के निदेशक गंगाधर वानोडे डॉक्टर कृष्णमूर्ती एवम बी के कर्णा एवम मेरी अनुजा शिल्पी के विराजमान होते ही कार्यक्रम का शुभारम्भ सरस्वती वंदना एवम दीप प्रज्ज्वल के साथ शुरु हुआ।
प्रिय शिल्पी की पुस्तक “गुलमोहर तुमने दामन क्यूँ बिखेरे” के विषय में डॉक्टर सुषमा व्यास ने अपने विचार प्रकट किये तत्पश्चात मंचासीन सभी अतिथियों ने अपने अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का प्रथम सत्र कुछ ज्यादा ही लम्बा हो गया जिस कारण उपस्थित सुधीजन स्वादिष्ट भोजन की खुशबू से ही काम चलाते रहे।
दूसरे सत्र में प्रोफेसर ऋषभदेव शर्मा एवम श्री भट्ट्ड की अध्यक्षता में कवि सम्मेलन का आयोजन निश्चित था। ज्योति नारायण (स्वास्थ्य ठीक न होने के बावजूद) , सुनीता लुल्ला, चंद्रप्रकाश दायमा, रवि वैद्य, संतोष पाण्डेय, वर्षा शर्मा, विनोद अनोखा, दर्शन सिंह, सुहास भटनागर,उमा सोनी, शिल्पी भटनागर, प्रदीप देवीशरण भट्ट, डॉक्टर राशि सिन्हा, मोहिनी गुप्ता, डॉक्टर आशा मिश्रा,प्रवीण प्रणव, डॉक्टर राजीव सिंह एवम अद्रिका कुमार (राशि सिन्हा की बिटिया) ने भी कविता पाठ किया। कार्यक्रम लगभग सात सांय 7 बजे तक चला। एक बात जो विशेष रही वह ये कि डॉक्टर अहिल्या मिश्र कादम्बिनी क्ल्ब की सर्वेसर्वा दूसरे सत्र में हॉल के बाहर बैठकर पूरे कार्यक्रम का आनंद लेती रहीं। मैं पिछले चार वर्षो के अनुभव के आधार पर यह कह सकता हूँ कि विविध तरह की व्याधियाँ उनको तंग करने का प्रयास करती हैं किंतु उनकी जीवटता के आगे उन व्याधियों को ही हार माननी पडती है। उनकी ये जीजिविषा कई लोगों को उत्साहित कर सकती है। हार न मानने का जबरदस्त माद्दा है उनमें इसके लिए वे निश्चित रुप से प्रणम्य हैं।
मैंने ऊपर ही कहा है ईश्वर जो चाहता है वह अच्छा ही होता है अब देखिए न मेरी पुस्तक मेरठ लिटरेरी फेस्टिवल में लोकार्पित होनी थी किंतु किन्ही कारणों वश वहाँ न हो सकी क्यूँ कि उसे गुजरात के गाँधी नगर में लोकार्पित होना था। इसी प्रकार प्रिय अद्रिका कुमार (डॉक्टर राशि सिन्हा की बिटिया) का जन्म दिन 16 नवम्बर को है। मुझे वहाँ उपस्थित होना था किंतु 14 की रात्रि में फोन पर ज्ञान हुआ कि माता जी को हॉस्पिटल में भर्ती किया है तो तुरंत फ्लाइट पकडी और दिल्ली होता हुआ मेरठ जा पहुँचा। वहीं से सारी वस्तु स्थिति से राशि और अद्रिका को अवगत कराया। चूँकि बच्चे के लिए गिफ्ट पहले ही खरीदा जा चुका था और वापिस दिल्ली आने के बाद भी उसे नहीं दिया जा सका तो तय किया गया आज जब वे इस कार्यक्रम में आएंगी तो ये शुभकार्य कर दिया जाएगा। और देखिए न ईश्वर की लीला अद्रिका का जन्मदिन का गिफ्ट अहिल्या मिश्र जी एवम अन्य की उपस्थिति में उसे प्रदान किया गया। मेरे अतिरिक्त उसे अन्य का भी आशिष मिल गया। अनुजा की पुस्तक के लोकार्पण के मौके पर मैंने भी अपनी पुस्तक “असलियत में चाँद मेरे पास है” कुछ विशिष्ट साहित्यकारों को स-प्रेम भेंट कर एक पंथ दो काज की कहावत को सार्थक कर दिया।
एक अच्छा कार्यक्रम मीना मूथा जी के कुशल संचालन में सम्पन्न हुआ।
-प्रदीप देवीशरण भट्ट-20.01.2023
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