Tuesday, 14 April 2020

" इंतेज़ार "

"  इंतेज़ार  "


किसकी है प्रतीक्षा बोलो तो
जिसका तुम रस्ता देख रही 
दायीं ग्रीवा को मोड़ के तुम  
उच्छ्वास हो गहरी छोड़ रही 

छूटा किसका तुम साथ कहो
 हृदय व्याकुल की व्यथा कहो
 जो बीत गया सो बीत गया  
 बचा बाक़ी कितना विश्वास कहो 


आस भी रख विश्वास भी रख
तू स्वाद सफ़लता का भी चख 
तेरी चाहत सब होंगी पूरण  
चाहे केश की रख या नख की रख! ! ! 

-प्रदीप देवीशरण भट्ट - 
14:04:2020

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