Thursday, 8 August 2019

हैदराबाद की चिनम्म्म












“जनता जनार्दन की मंत्री”
कृष्ण भक्त, प्रखर वक्ता और हैदराबाद की चिनम्म्म
(भूतो ना भविष्यते}


यूं तो भारत में कई राजनेता रहे हैं जिनका व्यक्तित्व  किसी परिचय का मोहताज नही रहा किंतु उनमें से कितने ऐसे हैं जिन्होनें अपनी ओजस्वनी वाणी से राष्ट्रीय ही नही वरन अंतर्रष्ट्रीय स्तर पर अपने सम्बोधन से समां बांध दिया हो। निश्चित रुप से गिने चुने ही ऐसे प्रखर वक्ता हुए हैं जिनमें स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपई का नाम सवर्ण अक्षरों में अंकित है, स्वर्गीय इंदिरा गांधी दूसरे नम्बर पर और तीसरे नम्बर पर निश्चित स्वर्गीय  सुषमा स्वराज्। यहां मैं नरेंद्र दामोदर मोदी जो कि भारत के प्रधान् मंत्री हैं का नाम इसलिए नही लेना चाहूँगा कि क्यों कि ये लेख सुषमा जी के विषय में लिखा जा रहा है और नरेंद्र दामोदर मोदी ने जो स्वयं के लिए जो मानक स्थापित किये हैं वे कई मर्तबा उनसे भी आगे चले जाते हैं।

कुछ लोग सुषमा जी को महिला राजनेताओं में सर्व श्रेष्ठ मानते हैं मेरी दृष्टी में ये उचित नही है क्यों कि राजनेता सिर्फ राजनेता होता है उसे हम किसी जेन्डर में नही विभक्त नही किया जा सकत। वैसे भी ये उचित नही है क्यों कि महिला हो या पुरुष वो प्रांत या राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करता है ना कि  किसी खास जेंडर का। ऐसा करने से हम स्वयं ही स्त्री पुरुष में भेद भाव कर रहे हैं जिससे समाज में वैमस्यता ही बढेगी जिससे सभी को बचा जाना चाहिए।

          जब हम विदेश मंत्रियों की बात करते हैं तो हमे सरदार स्वर्ण सिंह (इनके प्रखर वक्ता होने के कोई सबूत नही हैं) स्वर्गीय  अटल बिहारी बाजपाई जिन्हें संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी में दिये गये ओजस्वी भाषण के लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है। भारतवर्ष की संसद में और रैलियों में उनकी ओजस्वी वाणी सुनने के लिए लोग दूर दूर से चलकर आते थे फिर चाहे वो उत्तर भारत का कोई प्रदेश हो या सुदुर दक्षिण का कोई सुदूर इलाका, उनके चाहेने वाले हर जगह मौजूद थे। इसी प्रकार स्वर्गीय  इंदिरा गांधी के भाषण तार्किकता से लिए हुए और ओजस्वी होते थे फिर वो देश में हों य विदेश में किंतु स्वर्गीय  सुषमा स्वराज्  इन सब से भी अलग् ही नज़र आती थीं । उसका कारण शायद उनका आध्यात्मिक होना भी है। वे मर्यादा पुरुषोत्तम राम से प्रभावित रहीं वहीं वे परम कृष्ण भक्त थीं इसी कारण उन्होने अपनी एक मात्र संतान जो कि लडकी है का नाम बांसुरी रखा। ये उनके कृष्ण के प्रति उनके प्रेम और भक्ति को दर्शाता है।

          पांच वर्ष के विदेष मंत्री के अपने कार्यकाल में सुषमा स्वराज् जी ने जो लोगों से अपनत्व पाया उसे पाने के लिए लोग तरसते हैं। सही मायनों में उन्होने सोशल मिडीया का सही इस्तेमाल कहाँ और कैसे किया जाता है ये कई मंत्रालयों के मंत्रियों और अधिकारियों और अपने धुर विरोधियों को भी सिखाया कि कैसे एक ट्वीट पर तुरंत कार्यवाही की जा सकती है या की जानी चाहिए। गीता जो कि एक मूक बधिर बच्ची 20 वर्ष पूर्व गलती से भारत पाकिस्तान की सीमा क्रोस कर जाती है या, जर्मनी में अपना सामान चोरी होने पर मार्था सिर्फ ट्वीट पर अपनी समस्या बताती है और सुषमा जी तुरंत उससे उसका मोबाइल नम्बर लेकर कुछ ही देर में उसकी समस्या का समधान करने के लिए जर्मनी स्थित अधिकारियों को दौडा देती हैं। हामिद जिसे सात वर्ष पुर्व पाकिस्तान ने जासूसी के आरोप में जेल में डाल दिया था उनकी माँ की फरियाद पर तुरत फुरत कार्यवाही करते हुए पाकिस्तान को भी विवश कर दिया कि हमीद को छोड दे। इसी प्रकार हैदराबाद की जैनब बी जिन्हे सउदी अरब में अतयधिक परेशानियों का सामना करना पड रहा था सुषमा जी ने तुरंत कार्यवाही करके उन्हे सकुशल हैदराबाद पहुंचाने में मदद की।

याद करने बैठेगें तो ऐसे सैकडो प्रकरण निकल आयेगें जहाँ सुषमा जी की सह्रदयता के कारण कुछ उन्हें माँ, कुछ अपनी छोटी या बहन कहते हैं। जाधव केस के सिलसिले में महाराष्ट्र स्थित जाधव के परिवार को पूरा भरोसा  दिया कि वे इस बात को सुनिश्कित करेगीं की जाधव के मामले में पाकिस्तान कुछ उल्टा सीधा करने का कुत्सित प्रयास ना करे। उन्होने ही भारत के नामचीन वकील हरीश साल्वे से व्यक्तित्गत बात करके उनहे ये केस भारत की ओर से अंतर्राष्ट्रीय अदालत में लड्ने के कहा और हरीश साल्वे ने भी स्थिति की गम्भीरत्ता को ना केवल समझा बलिक मात्र एक रुपये की फीस में ये केस लडने का फैसला किया । यहाँ बात पैसे की नही देश के समान की थी। उडी अटैक के बाद संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में दिये गये उनके भाषण ने पाकिस्तान को नंगा करके रख दिया था। भाषण के बाद करतल धवनी से उनका सम्मान कौन भूल सकता है।

राजनेता होते हुए भी उन्होने अपने परिवार की जिम्मेदारी से कभी भी विमुख होने का प्राअस नही किया वरन एक अच्छी पत्नि एक अच्ची माँ होने का फर्ज़ उन्होने बखूबी निभाया जिस कारण उन्हे लिम्का बुक औफ रिकाड में सुखी दम्पती के तौर पर दर्ज  किया गया। व्यक्तिगत हो राजनैतिक या पारिवारिक वे हर मोर्चे पर फतह पाने में कामयाब रहीं । उन्होने राजनितिक जीवन में भी व्यक्तिगत सम्बंध बानाए। वसुंधरा राजे जहाँ उन्हे अपनी बडी बहन व राजनीतिक सलाह्कार मानती हैं वहीं सुमित्रा महाजन अपनी छोटी बहन, लालकृष्ण अड्वानी जहाँ उन्हे अपनी राजनैतिक पुत्री मानती थे वहीं  मुख्तार अब्बास नकवी उन्हें अपनी बडी बहन जिनसे वे हर रक्षा बंधन को राखी बंधवाते थे ऐसे ही उपराष्ट्रपति  एवम ऊपरी सदन के सभापति एम वैक्य्या नायडू को इस बात का मलाल रहेगा कि इस बार सुषमा उन्हें राखी नही बांधेगी इसी दुख से और भी कई नेता दुखी हैं जिन्हें सुषमा जी उन्हें हर वर्ष रक्षा बंधन पर राखी बांधा करती थी। निश्चित ही ये एक अपूर्णीय क्षती है जिसे शब्दों में बयान नही किया जा सकता।

परमपिता परमेश्वर उनकी आत्मा को मोक्ष प्रदान करे।


-प्रदीप देवीशरण भट्ट-08.08.2019

            

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