Thursday, 28 April 2016

पनामा भूकम्प




“ पनामा भूकंप ”


          बचपन मे पनामा सिगरेट का नाम सुना था थोड़े बड़े हुए तो पनामा शहर और पणामा नहर का नाम सुना और अब जब कुछ समझदार हुए तो पनामा पपेर्स लीक का मामला सामने आया है। जिस तरह से इस पर हड़कंप मचा हुआ है तो इस एक नया और उचित जाना चाहिये और मेरी नज़र में इसके लिए पनामा भूकंप श्रेयस्कर होगा । जिसकी त्रिवता को नापने का अभी तक प्रयास ही किया जा रहा है।  ऐसा क्या है इस कांड मे कि अच्छे अच्छों की बोलती बंद हुई पड़ी है । उद्योगपतियों,अभिनेता को तो छोड़ो विश्व परिदृश्य अपना डंका बजने वाले खिलाड़ी हो या नेता सब के सब ओंधे मुँह पड़े है। माइक पर गला फाड़ने वालों की जैसे बोलती ही बंद हो गई है। लगभग 500 भारतीयो के नाम पनामा पपेर्स लीक मामले मे लिप्त बताए जाते हैं। आखिर क्या है पनामा पपेर्स लीक मामला आइये इस पर कुछ प्रकाश डालने से पूर्व पनामा शहर के विषय मे कुछ रोचक तथ्य साझा करते हैं ।

 

         1501 ईसवी से इस देश पर स्पेन का अधिकार था जब यहॉ सोने की खदानों का पता चला तो अमरीकी भी इस देश की लूटमार के लिए टूट पड़े 1 नवम्बर सान 1821 को पनामा देश स्पेन के कब्जे से अलग होकर कोलामीबिया से जुड़ गया था। सान 1501 इसवीं मे 1903 ईसवी में पनामा की जनता का संघर्ष सफल हुआ और यह देश पूर्ण रुप से स्वतंत्र हो गया। 1 नवम्बर 1954 को अल्जीरिया मे अहमद बिन बिल्ला ने अल्जीरिया मुक्ति मोर्चे के अस्तित्व मे आने के साथ ही आजादी के लिए संघर्ष शुरू हो गया। 20वीं सदी के प्रारम्भ मे पनामा फ़्रांस के पूर्ण अधिकार मे आ गया और इस दौरान आलजीरया की जनता का आजादी का संघर्ष भी जारी रहा लेकिन ये संघर्ष एकजुटता लिए हुए नहीं था जिस कारण 132 वर्ष के समर्ज्यवादी शासन के पश्चात फ़्रांस को अल्जीरिया से बाहर निकालना पड़ा पनामा गणराज्य दक्षिण अमरीकी महाद्वीप में स्थित है।

 

     पनामा, जिसका औपचारिक नाम पनामा गणतंत्र (स्पेनी: República de Panamá, रेपुब्लिका पानामा) है, मध्य अमेरिका का सबसे दक्षिणतम राष्ट्र है। यह पनामा भूडमरु पर स्थित है जो उत्तर अमेरिका और दक्षिण अमेरिका के दो महाद्वीपों को धरती की एक पतले डमरू से जोड़ता है। इसके उत्तरपश्चिम में कोस्टा रीका, दक्षिणपूर्व में कोलम्बिया, दक्षिण में प्रशांत महासागर और पूर्व में कैरिबियाई समुद्र है जो अंध महासागर का एक भाग है। पनामा की राजधानी का नाम पनामा नगर है (स्पेनी में Ciudad de Panama, "सियुदाद दे पानामा")। पनामा की जनसंख्या 2010 में 34,05,813 थी और इसका क्षेत्रफल 75517 वर्ग किमी है।

     पनामा स्पेन का उपनिवेश हुआ करता था लेकिन सन् 1821 में स्पेन से नाता तोड़कर वह नुएवा ग्रानादा (Nueva Granada), एकुआदोर और वेनेज़ुएला के साथ एक "ग्रान कोलम्बिया" नाम के संघ में शामिल हो गया। यह संघ 1830 में टूट गया। नुएवा ग्रानादा एक ही राष्ट्र में जुड़े रहे और इसने अपना नाम बदलकर कोलम्बिया रख लिया। बीसवी सदी के आरम्भ में संयुक्त राज्य अमेरिका पनामा के क्षेत्र में से पनामा नहर बनाना चाहता था, क्योंकि इस से अमेरिका के पूर्वी और पश्चिमी तटों के बीच में समुद्री यातायात को बहुत बड़ा फ़ायदा होने वाला था। अमेरिका के उकसाने पर पनामा में कोलम्बिया से अलगाववाद की लहर उठी और 1903 में पनामा कोलम्बिया से अलग होकर एक स्वतन्त्र राष्ट्र बन गया। अमेरिकी सेना के अभियंताओं ने 1904 और 1914 के बीच में खुदाई कर के पनामा नहर तैयार कर दी, लेकिन अमेरिका और पनामा के समझौते के अंतर्गत इस नाहर पर अमेरिका का नियंत्रण रहा। यह बात पनामा को खटकती रही और वह अमेरिका से नहर के क्षेत्र की वापसी की मांग करता रहा। 1977 में अमेरिका इस नहर  को 20वीं शताब्दी के अंत तक पनामा को वापस करने के लिए राज़ी हो गया।

 

पनामा नहर (स्पेनी: Canal de Panamá) मानव निर्मित एक जलमार्ग अथवा जलयान नहर है जो पनामा में स्थित है और प्रशांत महासागर तथा (कैरेबियन सागर होकर)अटलांटिक महासागर को जोड़ती है। इस नहर की कुल लम्बाई 77.1 कि॰मी॰ है। यह नहर पनामा स्थलडमरूमध्य को काटते हुए निर्मित है और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रमुखतम जलमार्गों में से एक है।अमेरिका के पूर्वी और पश्चिमी तटों के बीच की दूरी इस नहर से होकर गुजरने पर तकरीबन 8000 मील (12,875 कि॰मी॰) घट जाती है क्योंकि इसके न होने की स्थिति में जलपोतों को दक्षिण अमेरिका के हॉर्न अंतरद्वीप  से होकर चक्कर लगाते हुए जाना पड़ता था।


इस नहर का निर्माण 14 अगस्त 1914 को पूरा हुआ और 15 अगस्त 1914 को यह जलपोतों के आवागमन हेतु खोल दी गई। अभी हाल ही में (14 अगस्त 2014 को) पनामा नहर के निर्माण की 100वीं बरसी मनाई गयी है। जब यह नहर बनी थी तब इससे लगभग 1000 जलपोत प्रतिवर्ष गुजरते थे और अब सौ वर्षों बाद इनकी संख्या लगभग 42 जलपोत प्रतिदिन हो चुकी है।यह नहर अपने आप में अभियांत्रिकी की एक बड़ी उपलब्धि और विलक्षण उदाहरण भी मानी जाती है। यह नहर एक मीठे पानी की गाटुन झील से होकर गुजरती है और चूँकि इस झील का जलस्तर समुद्रतल से 26 मीटर ऊपर है, इसमें जलपोतों को प्रवेश करने के लिये तीन लॉक्स का निर्माण किया गया है जिनमें जलपोतों को प्रवेश कराकर और पानी भरकर उन्हें पहले ऊपर उठाया जाता है, ताकि यह झील से होकर गुजर सकें।इन लॉक्स की वर्तमान चौड़ाई 35 मीटर है और यह समकालीन बड़े जलपोतों के लिये पर्याप्त नहीं है अतः इसके विस्तार का प्रोजेक्ट चल रहा है जिसके 2015 तक पूरा होने की उम्मीद है।पनामा नहर को अमेरिकन सोसायटी ऑफ सिविल इंजीनियर्स ने आधुनिक अभियांत्रिकी के सात आश्चर्यों में स्थान दिया है।

·        फुटबॉल और बॉक्सिंग के साथ-साथ बेसबॉल यहां का सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला खेल है।
·                आप पनामा में रहकर एक ही दिन में चाहें तो अटलांटिक महासागर या फिर प्रशांत महासागर में तैराकी कर सकते हैं।
·        पक्षियों की जितनी प्रजातियां कनाडा और अमेरिका को मिलाकर नहीं पाई जाती होंगी, उससे ज्यादा इस छोटे से देश पनामा में पाई जाती है।
·        यहां वेश्यावृति (प्रॉस्टीट्यूशन) लीगल है. कानून इसे रेगुलेट भी करता है. यहां सेक्स वर्कर को आई कार्ड रखना होता है।
·        पनामा में होमोसेक्‍शुअल कपल के बीच संबंध बनाने को लेकर कानूनी सहमति है. लेकिन इन्हें उतने हक नहीं दिए गए हैं जितने एक आम कपल को उपलब्ध हैं।
·                पनामा में दूसरे देशों से रिटायरमेंट के बाद लोग रहने के लिए आते हैं. वे यहां ज्यादातर रियल एस्टेट के बिजनेस में हैं.
·        यहाँ की अधिकारिक करेंसी डॉलर है।

 

 आखिर क्या मामला है पनामा लीक पपेर्स
     पनामा मे कार्यरत्त मोसेक फोन्सेका जो कि एक लॉं फर्म है ने तकरीबन 1.15 करोड़ के लगभग पपेर्स एक गुमनाम सोर्स का इस्तेमाल करते हुए जर्मनी के एक न्यूज़ पेपर सुदूशे जितुंग को भिजवाए। इस न्यूज़ पेपर ने ये सारे पपेर्स एक अंतराष्ट्रीय संस्था (ICIJ) जो कि एक खोजी पत्रकार संघ है से साझा किए ।तत्पश्चात 100 के लगभग मीडिया समूहों के 300 से ज्यादा पत्रकारों ने अपने स्तर पर जांच की और पाया कि ये अभी तक के इतिहास मे सबसे बड़ी जांच कहा। ICIJ लगभग 2 लाख 14 हजार ओफ़्फ़्शोर कंपीनियों कि जांच से 1 करोड़ 15 लाख के करीब पपेर्स को बरामद किया गया। जिससे पूरे विश्व परिदृश्य पर भूचाल जैसे स्थिति उत्पन्न हो गई । आखिर ये सब है क्या? कैसे कुछ लोगों,कंपीनियों या कॉर्पोरेट घरानों ने कैसे और किस तरह टैक्स कि चोरी की।क्यों की हर देश का टैक्स का अपना एक अलग मंत्रलाया होता है जो की टैक्स चोरी करने वालों पर कड़ी दृष्टि रखता है। लेकिन कुछ देशों मे टैक्स चोरी की अपनी परिभाषा है जिसे ये लोग अपने हिसाब से भुनाते रहते हैं।
टैक्स हैवन देश
     टैक्स हैवन उन देशों के लिए प्रयुक्त होता है जहां पर आर्थिक और राजनैतिक रूप से स्थिर माहोल पाया जाता है। विदेशी निवेशकों और व्यक्तियों या कारोबारियों को नाममात्र का टैक्स लयबिलिटी प्रदान करता है।इस तरह के देशों मे कमाई करने पर किसी भी प्रकार का कोई टैक्स नहीं लगता है। इसी  बात का फायदा ज़्यादातर अन्य देशों के अमीर लोग इन देशों मे इन्वेस्ट करते हैं।इसके अतिरिक्त इन देशों मे इन्वेस्ट करने के लिए उस देश का नागरिक होने या उस देश मे रहने की भी बाध्यता नहीं होती है। पनामा को टैक्स हैवन देश का तमगा भी इसलिए मिला है क्यों कि पनामा के टैक्स सिस्टम के अंतर्गत आने वाले टैरेट्रियल सिस्टम के अनुसार residence or Non रेज़िडेन्स कंपीनियों से तभी टैक्स वसूल किया जाता है जब इंकम पनामा मे ही पैदा कि गई हो। पनामा मे cop-ration टैक्स सिस्टम भी है जिसका फायदा भारत ही नहीं अपितु अन्य देशों के अमीर लोग भी उठाते हैं और उनके अपने देश मे कमाई गई कमाई को टैक्स से बचाने के लिए पनामा जैसे देशों मे इन्वेस्ट करते हैं। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि फ़ॉरेन इनवेस्टमेंट पर पनामा मे किसी भी प्रकार के टैक्स की देनदारी नहीं बनती।
      
                    मोसेक फोन्सेका लॉं फर्म
     मोसेक फोन्सेका की उपरोक्त घटना पर बड़ी तीखी प्रतिक्रिया आई है। उनका कहना है कि विश्व के अन्य देश पनामा के प्रगति से जले भुने बैठे हाँ फिर करना जानबूझ कर विश्वस्तर पर पनामा को बदनाम करने का अंतर्राष्ट्रीय कुचक्र किया गया है। उनका यह भी कहना है कि ये प्रकार का जुर्म है।इस विषय मे पनामा सरकार ने कहा है की वो इस पूरी डील को संधिग्ध मानते हैं और उन्होने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर होने वाली किसी भी जांच मे सहयोग प्रदान करने की पहल करने का ऐलान किया है।

     अब इस पूरे प्रकरण मे जो मुख्य अंतर्राष्ट्रीय स्तर के नेताओं के लगभग 140 नाम सामने आए हैं,उनमे ब्लादिमीर पुतिन(रूस), नवाज शरीफ (पाकिस्तान) पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनज़ीर भुट्टो, चीन के राष्ट्रपति शी जिंपिंग,मिस्र के पूर्व राष्ट्रपति हुस्नी मुबारक,सीरिया के राष्ट्रपति बशार अल असद,फुटबालर मेसी,पूर्व भारतीय क्रिकेटर अशोक मल्होत्रा,गौतम और कारण थापर और नीरा रदीय  का नाम भी शामिल है। जारी सूची मे 500 के लगभग भारतियों के नाम है जिनमे अभिनेता अमिताभ बच्चन,ऐश्वर्य राय के अलावा डीएलएफ़ के मालिक के पी सिंह और इंडिया बुल्स के समीर गहलोत शामिल हैं।

     लीक हुए पपेर्स 1975 से 2015 के मध्य के हैं। लीक हुए कागजात से पता चलता है कि कैसे 140 नेताओं,अभिनताओं और सेकड़ों कि संख्या मे सेलिब्रिटीज़ ने टैक्स हेवन देशों मे इन्वेस्ट किया।कुछ शेडो कंपिनियां ,ट्रस्ट और corporation बनाए गए जिनके जरिये टैक्स कि चोरी कि गई।लीक हुए ज़्यादातर कागजात खासतौर पर पनामा,ब्रिटिश वर्जिन आइलेंडों और बहामास मे हुए इनवेसमेंट के बारे मे तफसील से बताते हैं। इसलिए समाचार पत्रों द्वारा इसे पनामा पपेर्स नाम दिया गया।


::: प्रदीप भट्ट ::::
28.04.2016



 

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