कार्यक्रम पूर्व रिपोतार्ज़
प्रदीप बाबू बढिया है!!!
"चेन्नई आ रहा हूँ मैं"
“आजादी का अमृत
महोत्सव”
यानि
“शब्दाक्षर
साहित्यिक महोत्सव, चेन्नई"
सामान्यत: मैं किसी भी इवेंट के
समपन्न होने के पश्चात ही रिपोतार्ज लिखता हूँ। मुझे ये लिखने में कोई संकोच नहीं
कि जितनी तारीफ मुझे गीत गज़ल कविता या आर्टिकल के लिए मिलती है उससे कहीं ज़ियादा मेरे
रिपोतार्ज के लिए मिलती है। (कभी कभी आलोचना भी कि यार इस गीत/गज़ल /कविता या
आर्टिकल में मज़ा नही आया। किंतु संतोष की बात ये है कि रिपोतार्ज के विषय में आज
तक कोई आलोचना नहीं हुई वरन कुछ मित्र तो फोन करके पूछते हैं “अबे अगला कब लिख
रिया है” (मित्र ऐसे ही बात करते हैं, कमीने कहीं के) खैर पिछले वर्ष
सितम्बर माह में ज्योति नारायण जी का फोन आया नमस्कार चमत्कार के बाद बोलीं “ आप
अपना एक चित्र व परिचय मुझे तुरंत भेज दें। पिछले साढे तीन वर्ष के हैदराबाद
प्रवास में काफी सारे साहित्यिक मित्रों से मिला हूँ ज्योति जी का सद व्यव्हार
काबिले तारीफ है। इसलिए बिना किसी ना नुकुर के तुरंत ही दोनों चीज़े भेज दी गईं।
कुछ दिनों बाद ही उनका फोन आया कि 29 सितम्बर-2021 को शब्दाक्षर की मीटिंग घर पर
ही रखी है आपको संगठन मंत्री बनाया गया है। कैलेंडर पर निगाह दौडाई तो पाया बुद्द्वार
है किंतु आदेश की अवहेलना तो अपने बस की बात न थी सो एक ठो सी एल ली और पहुँच गये।
बढिया माहौल में सरस्वती वंदना के साथ मीटींग शुरु हुई और रुचिकर रात के खाने के
साथ सम्पन्न ( अब हैदराबाद में देल्ही स्टाइल का खाना मिल जाए तो बल्ले बल्ले होनी
स्वाभाविक है)
तभी कोरोना ने देश के दरवाजे पर पुन:
दस्तक दी तो मीटिंग्स का सिलसिला वर्चुअल हो गया किंतु मीटिंग रुकी नहीं। मुझे याद
है 15 मार्च की मीटिंग्स,
जिसमें मुझे अध्यक्ष का दायित्य सौंपा गया। सांय 7 बजे से रात्रि 11.30 बजे तक
मैराथन मीटिंग चली किंतु अच्छी बात यह है कि सभी ने साहित्यिकआन्नद की अनुभूति प्राप्त
की। अप्रैल के अंतिम सप्ताह में मैं नेपाल
एक साहित्यिक कार्यक्रम में सम्म्लित होने के लिए गया था। देल्ही वापिस आने
पर सूचना मिली कि चेन्नई में अगस्त के
प्रथम सप्ताह में “शब्दाक्षर साहित्य महोसव” का भव्य आयोजन किया जा रहा है।
सहभागिता हेतु निमंत्रण भी था। सो हैदराबाद आने के बाद सबसे पहले जो काम किया वो
था टिकिट बुकिंग का। चूँकि शुक्रवार होने के कारण अवकाश लेना सम्भव नहीं था सो 5 अगस्त की सांय छ: बजे का टिकिट किया और वापिसी
का नौ अगस्त का।
अब बात करते हैं इस आयोजन की जिस
प्रकार से शब्दाक्षर के कर्मठ पदाधिकारी निस्वार्थ भाव से अपनी सेवाएँ दे रहे हैं
वो काबिले तारीफ है प्रिय सागर शर्मा हों या निशांत सिंह ‘गुलशन’ (उपनाम के
अनुरुप) केवल कोठारी जी हों या रवि प्रताप सिंह जी या फिर ज्योति नारायण जी या फिर
अन्य वो मित्र जो किसी न किसी रुप में इस साहित्यिक महोत्सव में अपना सहयोग दे रहे
हैं ( जैसे रामसेतु के निर्माण में नर हो या वानर या हम जैसी चिखूरी) वह अनुकरणीय है।
अंत में इस वर्ष भारत अपनी स्वतंत्रता के 75
वर्ष मना रहा है। तो फिर हम क्यूँ पीछे रहें, सो हम यानी शब्दाक्षर के सभी मित्र गण शब्दाक्षर के “चेन्नई-साहित्यिक
महोत्सव” को “आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत” अभूतपूर्व बनाने का अवश्य
प्रयत्न करेंगे।
तो आईये मिलते हैं चेन्नई के लश
गार्डन रिसोर्ट, में 6 7 व 8
अगस्त-2022 को और मचाते हैं धमाल।
जय श्री राम!!!!!
-प्रदीप देवीशरण
भट्ट-03.08.2022
उपाध्यक्ष, “शब्दाक्षर”, तेलांगना
ईकाइ, हैदराबाद
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