Wednesday, 25 May 2022

" रिलीज़ "

 



                                                                                  “रिलीज़”

          प्रिया लगभग दौडती हुई पहली मंज़िल पर अपनी माँ के कमरे में पहुँच कर ठिठक गई, वह बुरी तरह हाँफ रही थी। शारदा चौधरी ने एक उचटती हुई सी निगाह उस पर डाली और बोली, क्या हुआ, अपने को संयत करते हुए प्रिया लगभग चीखती हुई बोली, माँ मैं ये क्या सुन रही हूँ ? शारदा चौधरी ने फिर एक उचटती हुई निगाह प्रिया की तरफ डाली और पूछा क्या सुन रही हो, खुलकर बोलो तो पता चले। प्रिया को शायद ऐसे किसी उत्तर की उम्मीद नही थी वह फिर बोली- माँ तुम मलिक अंकल के साथ शादी कर रही हो, बोलो माँ, शरदा चौधरी से कोई जवाब न पाकर वह फिर चिखी माँ तुम्हें शर्म नही आती इस उम्र में ये सब करते हुए तुम्हें तो सोचकर भी पाप लगना चाहिए। तुम्हारी इस हरकत से मेरे ससुराल में कितना बडा हंगामा हो गया है। तुम्हारा आठ साल का नाती है छ: साल की नातिन, वैभव भैय्या और भाभी सब टेंशन में हैं, तुम्हें ये क्या सूझी माँ, कुछ तो समाज का हमारा ख्याल करना चाहिए था ना। प्रिया एक साँस में पता नही क्या क्या कह गई। किंतु शारदा चौधरी अभी भी शांत भाव से पलंग पर ही बैठी सब कुछ सुनती रहीं। 

          तुम्हें और कुछ कहना है प्रिया या सब हो गया, एक बार फिर प्रिया को जोर का झटका जोर से लगा, वह हतप्रभ सी रह गई। माँ तुम जानती भी हो कुछ समझती भी हो या यूँ ही बैठे बिठाए मलिक की गोद में बैठने का फैसला ले लिया। वैभव की शादी पिछ्ले साल ही तो हुई है जल्दी ही तुम दादी बनने वाली हो, कुछ तो शर्म करो माँ। तुम्हारी उम्र अब 30-35 की नही रही बल्कि 53 साल की है। क्या इस उम्र में भी तुम्हें अय्याशी सूझ रही है, अब तुम्हारी उम्र नीचे से रिलीज़ होने की नही रही। तुम एक साथ चार चार घर बर्बाद करने पर तुली हो। इतना बडा मकान, दो दो गाडी, पापा का चलता हुए बिजनेस, जिसे अब तुम और वैभव सँभाल रहे हो। आखिर ऐसा निर्णय लेने से पहले तुम्हें पापा की बिलकुल भी याद नही आईं, पापा कितना प्यार करते थे तुम्हें और तुम उन्हें। फिर ये सब सब क्यूँ माँ। वैभव की तो हिम्मत ही नही हो रही तुमसे बात करने की और वो तुमसे बात भी क्या करेगा, भाभी अलग परेशान है कि उनके मैयके वाले क्या कहेंगे। तुम ऐसा कैसे कर सकती हो माँ। चीखते चीखते प्रिया रोने लगी और वहीं धम्म से ज़मीन पर बैठ गई।

          शारदा चौधरी अभी भी शांत भाव से सब कुछ सुन रही थीं, उन्होंने प्रिया से फिर पूछा कुछ और कहना सुनना है या आगे के शब्द उन्होंने जानबूझ कर हवा में तैरने के लिए छोड दिये। प्रिया ने सर उठाकर शारदा चौधरी की तरफ देखा, रो रो कर उसकी आँखे एकदम लाल हो चुकी थीं। फिर एक दम चिल्लाकर बोली हाँ मेरा हो चुका और तुम भौंको। शारदा चौधरी जानती थीं कि प्रिया अभी भी कॉफी अप्सेट है इसलिए बोलीं हाँ मैं भौकूँगीं, आज तो ज़रुर भौकूँगी फिर एकदम शांत स्वर में बोलीं  पहले तुम फ्रेश हो जाओ अगर ठीक लगे तो दो कॉफी बना लाओ फिर बैठकर बात करते हैं। मुझे उम्मीद है तुम अपनी माँ के लिए इतना तो कर सकती हो। प्रिया यंत्रवत सी खडी होकर वॉशरुम में गई फ्रेश हुई फिर किचन में जाकर दो कॉफी बनाकर माँ के पलंग के सामने कुर्सी डालकर बोली। अब बचा ही क्या है कुछ बोलने सुनने के लिए माँ फिर भी कहो मैं सुनने के लिए तैयार हूँ किंतु अंतिम बार।अगर आपने अपना फैसला नही बदला तो आज ये हमारी अंतिम मुलाकात होगी। एक फीकी सी मुस्कान के साथ शारदा चौधरी ने प्रिया के हाथ से कॉफी का मग लिया फिर न जाने क्या सोचकर उसके सिर पर हाथ फेरते हुए बोली मैं इतनी भी बुरी नही प्रिया जितना तुम सोचे बैठी हो। खैर सुनो.....


          मैं जब 19 बरस की थी तब तुम्हारे पापा के साथ मेरी शादी हुई, तुम्हारे पापा का भरा पूरा परिवार था, मैं खुश थी मुझे कभी भी मायके की याद ज्यादा याद नही आई क्यों कि मुझे यहाँ पूरा मान सम्मान मिला। 21बरस की उम्र तुम आई फिर 24 की उम्र में वैभव फिर पता ही नही चला तुम दोनों की परवरिश में समय कैसे पंख लगाकर उड गया। तुम्हारा MBBS का 3rd year था और वैभव का इंजीनियरिंग में 1st year था,जब तुम्हारे पापा अचानक प्रभु के चरणों में विलीन हो गये। मैं उस समय 42 साल की थी। तुम्हारे पापा के जाने के बाद सभी ने हमसे किनारा कर लिया। सबको चिंता थी तो सिर्फ बिजनेस के अपने अपने हिस्से की, चलो शुक्र है तुम्हारे दादा जी जिंदा थे सो उन्होंने स्वंय ही बिजनेस के चार हिस्से कर सबको बराबर बाँट दिया। हमारे हिस्से में जो भी आया वो मेरे और तुम दोनों के लिए कॉफी था। मुझे जितनी समझ बूझ थी उसके अनुसार मैंने इसे आगे बढाया, ज्यादा का तो पता नही फिर भी तुम दोनों की पढाई लिखाई, शादी वगैरह में अच्छा खासा पैसा खर्च हुआ वो सब इस चलते हुए बिजनेस से ही आया। तुम्हारी शादी को भी 9 साल हो गये हैं विभू की शादी को दूसरा लग गया है, तुम दोनों अपने अपने कामों में व्यस्त हो। मुझे ये बिलकुल भी पसंद नही कि मैं अपनी मर्ज़ी किसी पर थोपूँ फिर चाहे वो मेरे अपने बच्चे ही क्यूँ न हों। कहते कहते शारदा चौधरी ने एक लम्बा पॉज़ लिया। तुम आज लगभग तैंतीस साल की हो गई हो और मैं 53 की होकर चौवन में लग गई हूँ। इसमें कोई शक नही कि तुम्हारे पापा घर का भी ख्याल रखते थे मेरा भी बच्चों का भी और बिजनेस का भी और शायद  कहते कहते शारदा चौधरी ने फिर एक लम्बा पॉज़ लिया, मुझे कोई शियाकत भी नही उनसे, हर व्यक्ति की ज़िंदगी में कुछ पल अपने लिए भी होने चाहिए जो शायद तुम्हारे पापा भी चाहते थे। पहले तुम दोनों की जिम्मेदारी, फिर तुम्हारी शादी फिर विभू की जिम्मेदारी फिर शादी। तुम दोनों अपनी अपनी फैमली में खुश हो और मैं भी तुम दोनों से कोई शिकवा शिकायत नही रखती क्यों कि समय के साथ ऐसा ही होता है और हमें इसे हँसकर स्वीकार कर लेना चाहिए न कि बच्चों को कोसते हुए ज़िंदगी गुजारनी चाहिए।

          खैर मलिक जी मेरी ज़िंदगी में 2-3 बरस पूर्व आए, हर तरह से जिंदादिल इंसान, तकलीफें हैं किंतु सिर्फ अपने लिए मानते हैं किसी को उन तकलीफों में शामिल करना पसंद नही करते। उनका मानना है लोगों को बताकर या सुनाकर क्या होगा, लोग सुनेंगें हमदर्दी जतायेंगे फिर भूल जायेंगे, कभी उनमे से किसी से मुलाकात होगी तो वो मेरी ज़िंदगी के भरे हुए पन्ने मुझे ही सुनायेंगे इसलिए किसी को कुछ न बताना है न जताना है। ईश्वर ने जो ज़िंदगी दी वो उसमें बहुत खुश हैं। उनसे जो भी मिलता है वो उन्हें उनके व्यवहार के कारण याद रखता है। तकलीफों के बीच रहकर भी कैसे खुश रहा जाता है ये मैंने उन्हीं से सीखा।  

          आज की तारिख में उनका मुझसे कैसा सम्बंध है ये तुम अभी नही समझ पाओगी। कुछ और बाल पकने दो। हाँ उनकी उम्र भी बता देती हूँ वे 58 वर्ष के हैं, एक बेटी है जिसकी शादी हो चुकी है। भारतीय जीवन बीमा निगम से स्वैछिक रिटायर्मेंट ले लिया है। पेंशन में खुश हैं। उनका वैवाहिक जीवन न के बराबर है जानती हो अच्छी बात क्या है कि इसके बावज़ूद घर की जिम्मेदारी अभी तक निभाते आ रहे हैं। मैंने एक दिन जोर देकर पूछा भी था तकलीफ नही होती जो साथ है उसके साथ बात भी नहीं तो जानती हो हँसकर बोले “ ये ज़रूरी नही उससे नफरत करुँ, दूर रहने के और भी रास्ते” और फिर जोर से बडी देर तक खिलखिलाकर हँसते रहे। अब रही तुम्हारी रिलीज़ होने वाली बात तो प्रिया- रिलीज़ होने की कोई उम्र नही होती। महत्वपूर्ण यह है कि आप रिलीज़ कहाँ से होना चाहते हैं, सिर्फ नीचे से या ऊपर से यानि दिल से भी। हम समय समय पर नीचे से रिलीज़ होते रहते कभी चाह्ते हुए भी और कभी न चाह्ते हुए भी किंतु ऊपर यानि दिल में पता नही क्या क्या भरकर बैठे रहते हैं, किसी को दिल से रिलिज़ होने का मौका मिलता है किंतु ज्यादातर को निश्चित नही और इसमें पुरुष और  स्त्रियाँ दोनों ही होती हैं। स्त्रियाँ तो कभी कभी अपनी सहेली से कह सुन भी लेती हैं किंतु ज्यादातर पुरुष स्वंय में ही घुटते रहते हैं। से याद रखो नीचे से रिलीज़ तो कुदरत भी कर देती हैं किंतु ऊपर से हमें स्वंय होना पडता है और इसके लिए एक ऐसे व्यक्ति की ज़रुरत पडती है सबके साथ तो रहे किंतु आपके साथ विशेष्। कहते हैं न ढूँढने से तो भगवान भी मिल जाते हैं सो मैं इसे ईश्वर की कृपा मानती हूँ कि जो मुझे मलिक जी टकरा गये। प्रिया तुम शायद गुस्से में कुछ ज्यादा ही तल्ख हो गई थीं इसलिए अपनी माँ पर ही तुमने ये सवाल दाग दिया। प्रिया कुछ बोलना चाहती थी किंतु शारदा चौधरी ने हाथ के इशारे से चुप रहने के लिए कह दिया और फिर प्रवाह को आगे बढाते हुए बोलीं। लडकी हो या औरत एक उम्र तक ही रिलीज़ हो पाती है मैं भी हुई और तुम अब भी हो रही हो, कभी स्वंय के द्वारा या कभी अपने साथी के द्वारा किंतु जितना जोर हम नीचे की रिलीज़ पर देते हैं या सोचते हैं क्या उतना कभी ऊपर के रिलीज़ पर देते हैं। कभी नहीं।नीचे से रिलीज़ करने वाला साथी मिल जाता है किंतु ऊपर से रिलीज़ करने वाला.... किस्मत वालों को ही मिलता है। (शारदा चौधरी प्रिया की बातों से इतनी दुखी हो गई थीं कि कई वाक्यों को उन्होंने कई बार दोहरा दिया था।) कुछ रुककर वो फिर बोलीं  खैर सुनों मैं और मलिक जी शादी नही कर रहे क्यों कि मलिक जी पहली से ही बहुत कुछ सह चुके हैं बडी मुश्किल से उन्होंने खुद को सम्भाला है और अब लोगों को कैसे सम्भ्ला जाता है सिखाते हैं। हम दोनों ने ही तय किया है कि महीने में एक या दो बार हम दोनों ही कहीं बाहर जाया करेंगे एक दूसरे को ऊपर से रिलीज़ होने में मदद करेंगे कभी ज़रुरत पडी तो नीचे से भी।और हाँ अय्याशी ही करनी होती तो मैं ग्यारह साल इंतेज़ार नही करती। किसी के साथ समय निभाने को अय्याशी नही कहा जा सकता अगली बार जब तुम ये शब्द इस्तेमाल करो तो सौ बार सोचना। एक अंतिम बात उन्हें मेरी ज़रुरत कम है मुझे उनकी ज्यादा क्यों कि उन्होंने बरसों से तकलीफों में जीना सीख लिया है और मैंने अभी शुरु ही किया है। 


-प्रदीप देवीशरण भट्ट-25:05:2022

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