Wednesday, 15 April 2020

- कर्तव्य पथ -


-कर्तव्य पथ -
पूरब से पश्चिम के द्वार तलक 
सूरज तुम प्रतिदिन जाते हो 
तुम अंधकार से लड़ते-लड़ते 
क्या प्रतिदिन थक न जाते हो

बस सीखा तुमने जलते जाना 
प्रतिदिन पथ पर चलते जाना
नहीं तिमिर से कोई भी झगड़ा 
बस कर्तव्य प्रकाश है फ़ैलाना 

ठहरो कुछ विश्राम तो ले लो
सेवा का कुछ अवसर दे दो
तुमसा तो तेज नहीं है फ़िर भी 
मुझको भी कुछ क्षण जलने दो 

- प्रदीप देवीशरण भट्ट - 
16:04:2020

- मैं औऱ म्याऊं -

         
      - मैं औऱ म्याऊं 

अभी बंद सभी घर में बैठे हैं 
प्यारी म्याऊं म्याऊं तू भी बैठ 
जो मैं खाती वो तू भी खा ले
पर बे-मतलब ना मुझसे रूठ 

तुझको तो दुध मलाई पसन्द है 
पर मुझको प्रिय बस तेरा साथ
पाबंदी है बाहर निकलने पर तू   
गुस्सा ना कर, कर मुझसे बात

लपक के आ गोदी में बैठ तू 
फ़िर जितना चाहे उतना रूठ तू 
नेह बंधन के बिन दोनों उदास
ना मांग तू मुझसे इसमें छूट तू! 

-प्रदीप देवीशरण भट्ट -
15:04:2020

Tuesday, 14 April 2020

" इंतेज़ार "

"  इंतेज़ार  "


किसकी है प्रतीक्षा बोलो तो
जिसका तुम रस्ता देख रही 
दायीं ग्रीवा को मोड़ के तुम  
उच्छ्वास हो गहरी छोड़ रही 

छूटा किसका तुम साथ कहो
 हृदय व्याकुल की व्यथा कहो
 जो बीत गया सो बीत गया  
 बचा बाक़ी कितना विश्वास कहो 


आस भी रख विश्वास भी रख
तू स्वाद सफ़लता का भी चख 
तेरी चाहत सब होंगी पूरण  
चाहे केश की रख या नख की रख! ! ! 

-प्रदीप देवीशरण भट्ट - 
14:04:2020