“मैनेरिज्म की मालकिन जयललिता”
जयललिता
अब हमारे बीच नहीं रहीं लेकिन ऐसा क्या था उनकी शख्सियत में कि लगभग ३-४ लाख लोग
उनकी शव यात्रा में सम्मलित हुए। इससे
पहले १९४० में महात्मा गाँधी जिनकी शव यात्रा में लगभग ५-६ लाख लोग सम्मलित हुए थे।
श्रीमती इंदिरागांधी कि शव यात्रा में भी लगभग
३-४ लाख लोग, राजीव गाँधी कि शव यात्रा में भी लगभग २-३ लाख लोग सम्मलित हुए
किन्तु इस विषय में अन्न्दुरै जो कि आल इंडिया अन्ना द्रविण मुनेत्र कड़गम के जनक
थे और मुख्यमंत्री भी की शव यात्रा में १.५ करोड़ से भी ज्यादा लोग सम्मलित हुए
इससे ये पता चलता है कि तमिलनाडु की राजनीती में किसकी कितनी पहुँच है ।
भारतीय राजनीती में इतना मनेरिज्म किसको नसीब होता है जो अन्नादुरे के बाद किसी हद
तक एमजीआर और अब जयललिता को मिला।
जयललिता
जयराम जिनका जन्म, 24 फ़रवरी 1948 को
मैसूर में हुआ,स्कूली शिक्षा दीक्षा पहले बंगलुरु (बंगलोर)फिर चेन्नई (मद्रास) में
हुई अपनी माँ कि इच्छा का आदर करते हुए
पहले अभिनेत्री बनी फिर राजनीतिज्ञ और राजनीतिज्ञ भी ऐसी कि अच्छों अच्छों कि
चूलें ही हिला डाली। वे 1991 से 1996 , 2001 में, 2002 से 2006 तक और
201 से 2014 तक
तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रहीं। राजनीति में आने से पहले वो अभिनेत्री थीं और
उन्होंने तमिल के अलावा तेलगु,कन्नड़ और एक हिंदी फिल्म इज्ज़त जिसमें उनके हीरो
ही मैन धर्मेन्द्र साथ में थे इसके अतिरिक्त उन्होंने एक अंग्रेजी फिल्म में भी
काम किया।जब वे स्कूल में पढ़ रही थीं तभी उन्होंने 'एपिसल' नाम
की अंग्रेजी फिल्म में काम किया। वे 15 वर्ष की आयु में कन्नड फिल्मों
में मुख्य अभिनेत्री की भूमिकाएं करने लगी थीं। इसके बाद वे तमिल फिल्मों में काम
करने लगीं। 1965 से 1972 के
दौर में उन्होंने अधिकतर फिल्में एम् जी आर के
साथ की।
फिल्मी
करियर के बाद उन्होने एम॰जी॰ रामचंद्रन के साथ 1982 में राजनीतिक करियर की शुरुआत की।
उन्होंने 1984 से 1989 के
दौरान तमिलनाडु से राज्यसभा के लिए राज्य का प्रतिनिधित्व भी किया। वर्ष 1987 में
रामचंद्रन का निधन के बाद उन्होने खुद को रामचंद्रन की विरासत का उत्तराधिकारी
घोषित कर दिया। वे 24 जून 1991 से 12 मई 1996 तक
राज्य की पहली निर्वाचित मुख्यमंत्री और राज्य की सबसे कम उम्र की मुख्यमंत्री
रहीं। अप्रैल 2011 में
जब 11 दलों
के गठबंधन ने 14वीं
राज्य विधानसभा में बहुमत हासिल किया तो वे तीसरी बार मुख्यमंत्री बनीं। उन्होंने 16 मई 2011 को
मुख्यमंत्री पद की शपथ लीं और तब से वे राज्य की मुख्यमंत्री पद पर रहीं। राजनीति
में उनके समर्थक उन्हें अम्मा (मां) और कभी कभी पुरातची तलाईवी ('क्रांतिकारी
नेता') कहकर
बुलाते हैं।
5 दिसम्बर
2016 को
रात 11:30
बजे इनका
निधन हो गया।जन्म से ब्राह्मण और माथे पर अक्सर आयंगर नमम (एक
प्रकार का तिलक) लगाने वाली तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के दाह संस्कार
की जगह उनको दफनाया गया. वैसे तो आयंगर ब्राह्मणों में दाह संस्कार की परंपरा है।
लेकिन इसके बावजूद तमिलनाडु सरकार और शशिकला ने उनको दफनाने का फैसला लिया इस
मामले में अंतिम संस्कार की प्रक्रिया से जुड़े लोगों का कहना है कि वह इसे
द्रविड़ आंदोलन की पृष्ठभूमि से जोड़कर देखते हैं. उनके मुताबिक द्रविड़ आंदोलन
के बड़े नेता मसलन पेरियार, अन्नादुरई
और एमजी रामचंद्रन जैसी शख्सियतों को दफनाया गया था और इस लिहाज से दाह-संस्कार
की कोई मिसाल नहीं हैं। इन वजहों से चंदन और
गुलाब जल के साथ दफनाया जाता है।
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