Saturday, 23 January 2016

spy की दुनियां




“ भेदियों (spy) की दुनियाँ “

     जासूस शब्द का जैसे ही मुख से संचार होता है रीढ़ की हड्डी मे एक सिहरन सी दौड़ जाती है। जासूसो की दुनियाँ इतनी रहस्मयी और तिलस्मी होती है कि व्यक्ति चाहे न चाहे पढ़ते - पढ़ते स्वत: ही रोमांच का अनुभव करने लगता है। मै तो खैर बचपन से ही जासूसी उपन्यास पढ़ने का इतना शौकीन रहा कि मेरे पढ़ने कि गति एक दिन मे दो या तीन उपन्यासों तक हो गई थी। उस समय जासूसी उपन्यास लेखन मे इब्ने सफ़ी, वेद प्रकाश कम्बोज, ओम प्रकाश शर्मा  और कर्नल रणजीत की तूती बोलती थी। मैंने इनके अतिरिक्त कुछ और लेखकों को भी पढ़ा किन्तु जितना आनंद उपरोक्त सबको पढ़कर आया उसे बयान करना मुश्किल है। फिर जब कुछ समझदार हुआ तो किसी ने देवकी नन्दन खत्री का उपन्यास चन्द्रकान्ता और चन्द्रकान्ता सन्तति (सात खंड) पढ़ने की सलाह दी ये उपन्यास सात खंडो मे था जिसे जब मैंने पढ्ना शुरू किया तो खत्म करके ही दम लिया तत्पश्चात उनही का काजर की कोठरी और एक और बेहतरीन उपन्यास भूतनाथ (सात खंड) पढ़ा। सत्य कहूँ तो जितना रहस्य, रोमांच और तिलस्मी वर्णन उन्होने किया है उसे शब्दो मे कह पाना संभव नहीं है। बाबू देवकी नन्दन खत्री ने चन्द्रकान्ता और चन्द्रकान्ता सन्तति (सात खंड) और भूतनाथ (सात खंड) मे जासूसी/गुप्तचरी को एक नया आयाम प्रदान किया है। यहाँ यह उल्लेखनीय है बाबू देवकीनंदन खत्री का  जन्म समस्तीपुर बिहार मे 1861 मे हुआ था, वे केवल 52 वर्ष ही जिये उनकी मृत्यु बनारस मे 1913 मे हुई। बाबू देवकीनंदन खत्री ने उपरोक्त उपन्यास 1888-1013 के मध्य मे लिखे हैं। तब ना तो टाइपराइटर (प्रथम टाइपराइटर का प्रयास 1714 मे हेन्री मिल ने किया था किन्तु बना वह इटालियन पेल्लेग्रीनो तुर्री के प्रयास से 1808 मे) इतने प्रचलन मे थे और न ही कोई उन्नत तकनीक प्रिंटिंग हेतु उपलब्ध थी।


     गुप्तचरी या जासूसी का उपयोग  सिर्फ आज के युग मे ही उपयोग हुआ हो  ऐसा भी नहीं है गुप्तचरी का प्रयोग तो आदि काल से हो रहा है। त्रेता युग  (मै यहाँ सतयुग का जिक्र जानबूझ कर नहीं  कर रहा हूँ।) मे भी भगवान राम व रावण के संग्राम के दौरान गुप्तचरी हुआ करती थी। हनुमान जी को आप प्रथम गुप्तचर या राजदूत कह सकते हैं। जिनहोने अपने बुद्धिचातुर्य से लंका का न केवल पूरा भ्रमण किया बल्कि वहाँ की पूर्ण जानकारी जुटाई, माता सीता को आशाव्स्त किया व स्वंय को पकडवाकर प्रकाण्ड पंडित रावण को भी अपनी बहादुरी (लंका मे आग लगाकर) चपलता,आकार प्रकार स्वामिभक्ति से भी अवगत कराया । द्वापर युग मे महाभारत युद्ध से पूर्व और पश्चात भी गुप्तचरी के बहुतेरे किस्से ग्रंथो मे मौजूद हैं।

     अब बात करते हैं कलयुग की  जिसमे किसी भी युद्ध को लड़ने के दो तरीको पर पूरा फोकस किया जाता रहा है ।एक युद्ध से पूर्व की स्थिति जहां गुप्तचरी द्वारा दुश्मन देश के समस्त भोगोलिक क्षेत्र का गुप्तचरों/पशु और पक्षियो के द्वारा गुप्तचरी कराई जाती रही है व उसी के अध्ययन के पश्चात दुश्मन देश की सेनाओ की स्थिति की जानकारी हासिल की जाती है, दुश्मन सेना के हथियारो की जानकारी जुटाई जाती है तदुपरान्त दुश्मन देश पर आक्रमण किया जाता है। प्रथम एवम दितीय विश्व युद्ध तक सामन्यात: इसी बात पर ज्यादा फोकस भी किया जाता था। किन्तु जैसे जैसे तकनीक दिन- ब -दिन बढ़ रही है वैसे वैसे आज विश्व के प्रमुख देश satellite के माध्यम से और आज तो इसका सूक्ष्म रूप ड्रोन जायदा चलन मे आ रहा रहा है ने सम्पूर्ण जासूसी/गुप्तचरी वयवस्था को ज्यादा शक्तिशाली और त्रिवतम बना दिया है।किन्तु आज भी मानव द्वारा जासूसी/गुप्तचरी  के नित नए आयाम स्थापित किए जाते रहे हैं। ये लेख लिखने का विचार इसी गरज से आया की क्यो न विश्व के कुछ चुनिंदा जासूसो के विषय मे कुछ रोचक जानकारी साझा की जाए ।

     

   
        जर्मनी की महान जासूस माता हारी
       (Margaretha Geertruida MacLeod)

विश्व के प्रसिद्धतम कुछ जासूसो मे जिनका नाम लिया जाना श्रेयस्कर होगों उनमे प्रथम नाम मैं जर्मनी की महान जासूस माता हारी जिनका पूरा और असली नाम हारी (Margaretha Geertruida MacLeod) जिनका जन्म 7 अगस्त 1876 को Leeuwarden लीऊवार्डेन नीदरलैंड मे हुआ था। उनकी मृत्यु 15 ओक्टोबर 1917 को Vincennes फ़्रांस मे डबल जासूसी करने के अपराध मे एक फ़ाइरिंग मे  हुई। वे एक जासूस होने के साथ साथ एक अच्छी नर्तकी भी थे साथ ही वे मिस्ट्रेस्स (Mistress/रखेल या उप-पत्नी) भी थी। उन्हे 1916 आर्मी के कप्टेन जोर्जे लडौक्स ने  फ़्रांस की सेना की  जासूसी के लिए हायर किया गया था। माता हारी ने मात्र 19 बरस की आयु मे रूडोल्फ मैकलोड़ जो की उनसे 21 बरस बड़ा था 11 जुलाई 1895 को शादी कर ली। रूडोल्फ मैकलोड़ जो की उग्र प्रक्रति का था व  जायदा तर नशे मे ही रहता था को शक था कि माता हारी के अन्य के साथ अनेतिक संबंध है ।


           
     माता हारी के विषय मे एक दिलचस्प तथ्य यह है कि उसने अपने आप को एक हिन्दू कलाकार के तौर पर स्थापित किया। उसे अपने शरीर को  विभिन्न प्रकार से  शरीर को सजना या गोदवाना बहुत पसंद था। उसने अपना स्टेज का नाम माता हारी जिसका अर्थ इंडोनेशिया मे बोली जाने वाली देसी भाषा मे नैनो का दिन या “आइ ऑफ थे डे” होता है रखा। माता हारी के दैहिक आकर्षण और अंदाज के आम आदमी ही नहीं वरन फौज के बड़े बड़े ओहदेदार भी दीवाने हो जाते थे जिसका उसने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान जमकर फायदा उठाया। 1916 मे 40 की उम्र मे माता हारी एक गोलमटोल 21 वर्षीय रशियन कैप्टन व्लादिमीर डे मसलोफ़्फ़ के प्यार मे पड़ गई। व्लादिमीर की जंग के दौरान एक आँख चली गई। पैसा कमाने के चक्कर मे माता हारी को फ़्रांस के लिए जासूसी करनी पड़ी। ये एक रहस्य  ही बन कर रह गया की माता हारी असल मे किसके लिए जासूसी करती थी फ़्रांस के लिए या जर्मनी के लिए, इसी दरम्यान फ्रेंच औथोरिटी ने उसे गुप्तचरी के आरोप मे पेरिस मे अरैस्ट ही नहीं किया अपितु 13 फ़रवरी 1917 को गिरफ्तार कर लिया और उसे एक रात-इनफेसटेड सेल मे डाल दिया गया उसे वहाँ सिर्फ अपने वकील से ही मिलने की इजाजत दी गई थी।

      इस तरह एक खूबसूरत,साहसिक नृत्य मे प्रवीण जासूसी मे बेजोड़ एक महान गुप्तचर का मार्मिक अंत हो गया। न्यू यॉर्क टाइम्स ने उसे “ A Woman of attractiveness and with a romantic history” करार दिया।1931 मे माता हारी पर एक फिल्म का भी निर्माण हुआ जिसमे ग्रेटा गार्बो ने माता हारी की भूमिका निभाई थी।

                            -जूलियस और एथेल रोसेन्बेर्ग-
     जूलियस एवं एथेल रोसेन्बेर्ग जो की अमेरीकन कोममुनिस्ट्स और शादीशुदा थे ने 1553 मे अमेरिकी न्यूक्लियर से संबन्धित गुप्त जानकारी सोवियत संघ को उपलब्ध कराई थी। वे गुप्तचरी के जाल मे 1942 मे तब उलझे जब जूलियस केजीबी द्वारा भर्ती किया गया।जूलियस को कुछ महत्वपूर्ण/वर्गीकृत (क्लासिफीड) जानकारी जिसमे fuse डिज़ाइन भी शामिल थे के लिए केजीबी द्वारा  ज़िम्मेदारी दी गई। इस केस का खुलासा 1951 मे हुआ जिसमे दोनों को अपराधी माना गया इस काम मे उसे उसकी बहन के पति sergeant डेविड greenglass का सहयोग प्राप्त था। बाद मे डेविड द्वारा ये स्वीकार किया गया कि उसने ये न्यूक्लियर से संबन्धित गोपनीय जानकारी जूलियस के माध्यम से सोवियत संघ को मुहैया कराई जिनको एथेल ने टाइप किया था। दोनों को अमेरिका के विरुद्ध गुप्तचरी के इलज़ाम मे 1953 मे जेल मे इलैक्ट्रिक चेयर के माध्यम से  मृत्यु दंड कि सजा दी गई। ये अमेरिका और सोवियत संघ के मध्य शीत युद्ध के दौर की घटना है।


     तीसरा नाम है सिडनी रेल्ली का जिनका जन्म 1873 मे Georgievich Rosenblum नमक जगह पर रशिया मे हुआ था। सिडनी रेल्ली इयान फ्लेमिंग द्वारा निभाए गए जेम्स बॉन्ड के किरदार से बहुत ज्यादा प्रभावित थे उन्हे विश्वास था कि इस काम मे औरों से ज्यादा माहिर हो सकते हैं। रेल्ली एक (womanizer)व्यभिचारी थे।किन्तु कुछ लोगो को लगता था कि वे गुप्तचरों  की दुनियां मे एक सज्जन जासूस थे जो कि गलत धारणा थी।बल्कि उनकी जीवन शैली काफी (extravagant) खर्चीली थी। ऐसा कहा जाता है कि वे सोवियत यूनियन के नेता लेनिन कि हत्या के प्रयास मे शामिल थे किन्तु शानदार ढंग से वहाँ से भागने मे सफल रहे। वे 1925 पुन: सोवियत लौटे व वहाँ की शासन पद्दती मे सम्मलित हुए किन्तु इस बार उनके भाग्य ने उनका साथ नहीं दिया और व सोवियत यूनियन द्वारा पकड़े गए और उन्हे उसी साल फांसी दे दी गई।

     चौथे स्थान पर हैं  krystyna skarbed जिन्हे क्रिस्टीन ग्रांविल्ले के नाम से भी जाना जाता है इनका जन्म  1908 मे पोलैंड मे हुआ था। वो  कसीनों रोयाले के कैरक्टर जिसे एवा ग्रीन द्वारा निभाया गया था से प्रभावित थीं। वे 1940 मे  ब्रिटिश गुप्तचर का तौर पर हंगरी गई किन्तु वे बार बार पोलैंड पोलिश resistance fighters को भागाने मे मदद करती रही । उन्हे गेस्टपों द्वारा गिरफ्तार किया गया किन्तु जल्दी ही छोड़ दिया गया। उन्होने अपनी ही जुबान के छोटे से हिस्से  को काट कर लहूलुहान कर लिया और जर्मनस को ये समझने मे कामयाब रही कि वे (tuberculosis) क्षय रोग से पीड़ित हैं। krystyna skarbed या क्रिस्टीन ग्रांविल्ले ने अपने जीवन कल मे कई साहसिक व गोपनीय मिशनो को अंजाम दिया जिनमे पहले वे फ़्रांस के लिए तत्पश्चात फ़्रांस और ब्रिटिश सरकार दोनों के लिए जासूसी करती रही। उनकी मृत्यु 1952 मे एक प्रशंसक द्वारा जिसे उन्होने जाने अनजाने मे नकार दिया था के चाकू घोपने के कारण हुई
   

                          हेनरी डेरिकौर्ट
     पांचवे स्थान पर हेनरी डेरिकौर्ट का जन्म 1909 फ़्रांस मे हुआ था वो एक फ्रेंच पायलट थे। दूसरे विश्व युद्ध मे डबल एजेंट के तौर काम करने के लिए उन पर हमेशा संदेह किया जाता रहा। ऐसा इसलिए भी कि बहुत सारे ब्रिटिश और फ्रेंच पायलट जहाँ पकड़े जाते रहे वही डेरीकोर्ट कभी नहीं पकड़े गए । 1942 मे फ़्रांस से  अधिकृत तौर पर ब्रिटिश चले गए और वहाँ (एसओई)Special Operations Executive को जॉइन किया किन्तु उन्हे फिर से वापिस गोपनीय ऐरक्राफ्ट लेंडिंग्स और transportation कि जानकारी लेने हेतु एसओएस एजेंट बनका फ़्रांस भेज दिया गया।उन्हे 1946 मे पकड़ा गया किन्तु वे 2 वर्ष के अंदर ही (acquit) निर्दोष साबित होकर छुट गये। ऐसा समझा जाता है कि उन्होने एक प्लेन क्रैश मे अपने आप को मरा हुआ मात्र इसलिए दर्शाया ताकि वे एक नयी ज़िंदगी जी सकें।


छटे स्थान पर क्लाउस फूंच्स जर्मनी मे 1911 मे पैदा हुए उन्हे मनहटटन प्रोजेक्ट की गुप्त जानकारी सोवियत संघ को दिये जाने को लेकर याद किया जाता है।जब जर्मनी मे नाजी सत्ता मे आए तो फूंच्स Britain भाग गये।उन्होने वहाँ ब्रिटिश अटॉमिक बॉम्ब  प्रोजेक्ट मे काम किया किन्तु कुछ ही समय बाद वे सोविएत मिलिटरी इंटेलिजेंस GRU से जुड़ गये। फिर कुछ समय बाद वे यूएसए चले गये और वहाँ उन्होने मनहटटन प्रोजेक्ट से संबन्धित वाज्ञानिको की टीम को जॉइन किया। किन्तु 1949 मे वो (espionage)गुप्तचरी के प्रयास मे शक के घेरे मे आ गये जिसे उन्होने सिरे से खारिज कर किया और वे युद्ध समाप्ती पर वहाँ से वापिस Britain लौट आये। हालांकि 1950 मे उन्होने ये स्वीकार किया कि वे एक जासूस हैं जिसके लिए उन्हे 14 बरस कि (sentence) सज़ा हुई। फूंच्स कि गुप्तचरी की कला से सोवियत संघ और अमेरिका दोनों ने ही फायदा उठाया तभी तो वे रोसेन्बेर्ग्स की (expose) पोल खोलने मे कामयाब हुए।1959 मे फूंच्स को वापिस पूर्वी जर्मनी भेज दिया गया जहाँ 1988 मे उनकी मौत हो गई ।



 
                               ओडेट्टे हल्लोवेस
     सातवें स्थान पर हैं ओडेट्टे हल्लोवेस। उन्होने युद्ध मे अपनी सेवाये देने हेतु एक पोस्टकार्ड लिखा किन्तु वे उसे गलत सरकार को अपनी सेवाये देने हेतु लिख बैठी। वैसे वो वास्तव मे एक एसओई एजेंट थीं। उन्हे तुरंत ही स्पेशल फोर्स की प्रथम AID नर्सिंग येओमनरी (FANY)के लिए बुलावा भेजा गया और उन्हे एक SOS एजेंट की तरह ट्रेंड किया गया। उन्हे नाजी द्वारा कब्जा किए गये फ़्रांस मे काम करने के लिए भेजा गया उनके साथ एक सूपर्वाइज़र पीटर चर्चिल साथ थे। वो दोने ही अपने कार्य मे निपुणता से लगे हुए थे और सभी जरूरी जानकारियां भेज रहे थे तभी उन दोनों को जरमनों द्वारा पकड़ लिया गया। उनकी कैद मे होने के बाद हल्लोवेस को लगा कि अगर वे जरमन्स को ये बताए कि पीटर चर्चिल ब्रिटिश प्रधानमंत्री Vincent Churchill का भतीजा है और वो पीटर चर्चिल कि पत्नी है तो बच सकते हैं। वे अंत तक अपने इसी बयान पर कायम रहे कि वे ब्रिटिश प्रधानमंत्री Vincent Churchill के रिश्तेदार हैं। इसका परिणाम ये हुआ कि Odette Hallowes कि चतुराई से उनकी अपने और सूपर्वाइज़र पीटर कि जान बच गई बाद मे 82 वर्ष कि उम्र मे 1995 मे उनकी मृत्यु हो गई और वे एक मात्र ऐसे महिला बनी जिनहे जीते जी जॉर्ज क्रॉस से सम्मानित किया गया।
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Richard Sorge            रिचर्ड सोर्गे
आठवें स्थान पर रिचर्ड सोरगे जो एक सोवियत जासूस थे। उनका जन्म जर्मनी मे हुआ था उन्हे आज तक का महान जासूस माना जाता है।दूसरे विश्व युद्ध के दौरान लगी चोट से उबरने के दौरान वे एक जुनूनी साम्यवादी विचारधारा से ओतप्रोत थे। 1920 मे वे सोवियत संघ गये और वहाँ गुप्तचर अधिकारी बन गये।दितीय विश्व युद्ध से पूर्व और पश्चात और उस दौरान उन्होने जापान मे काम किया और सोवियत संघ को जापान और नाज़ियों कि फितरत के विषय मे जानकारी मुहैया कराई । सोर्गे के मुताबिक सोवियत्स ने समझा कि जापान रशिया पर आक्रमण नहीं करेगा किन्तु ये भी समझा कि हिटलर भी इस बात को समझता है। सोर्गे ने निश्चित तिथि तक बताई कि जर्मन कब आक्रमण करेगा।1941 मे उसे जापानियों ने expose कर दिया और उसे गिरफ्तार भी कर लिया गया। उसे जेल हुई और वो तीन साल के बाद रिहा कर दिया गया।1964 मे मरणोपरांत सोर्गे को हीरो ऑफ दी सोवियत यूनियन के पुरुसकर से नवाजा गया।


Virginia Hall
                            वर्जीनिया हॉल
नोवेन स्थान पर हैं वर्जीनिया हॉल जो कि अमेरिकन गुप्तचर थीं जो कि कथित रूप से मित्र राष्ट्रों मे सबसे खतरनाक जासूस थीं दितिय विश्व युद्ध प्रादुर्भाव के पश्चात उन्होने अपने आप को पेरिस मे स्थापित कर लिया। फ़्रांस के आत्मसमर्पण के बाद वे ब्रिटेन भाग गई और वहाँ पर OSE एजेंट बन गई। तत्पश्चात उन्होने वापिस फ़्रांस आकार गुरिल्ला समूहो को एकत्र किया और उनकी मदद करने लगीं किन्तु 1942 मे उन्हे स्पेन भागने के लिए मजबूर होना पड़ा। लगभग 2 वर्षो के पश्चात उन्होने US Office ऑफ Strategic Services(OSS) जॉइन की और फिर से फ़्रांस आ गई और मित्रा राष्ट्रों के फ्रेंच गोरिल्ला समूहो को पैरश्यूट लैंडिंग का प्रशिषण देने लगी।(Allied Parachute Landings and train French resistance fighters)  दितिय युद्ध के पसच्चत हॉल ने अमेरिकी गुप्तचर संस्था सीआईए जॉइन कर ली और मरते दम तक उससे जुड़ी रहीं उनका देहांत 76 वर्ष के उम्र मे 1982 मे हुआ।

 

                    अल्डरिच अमेस ,सोवियत जासूस
   Famous Spies: Aldrich Ames, Soviet Union Spy
10वें और अंतिम स्थान पर हैं अल्डरिच अमेस जो सीआईए का एजेंट था किन्तु 1985 अंकारा और तुर्की मे रहने के पश्चात वो सोवियत संघ के लिए जासूसी करने लगा था। वो उन्हे अमेरिका के बदले सोवियत संघ की मिलिटरी और सोवियत संघ की जासूसी संस्था KGB को वास्तविक जानकारी देने लग गया था।यहाँ तक कि उसने सीआईए के लिए कौन कौन जासूसी कर रहा रह है उनकी गुप्त पहचान तक केजीबी को बता दी थी और ये सब उसने पैसे और भावनात्मक विषाद के कारण किया।लगभग 100 सीआईए agents की पहचान उसने केजीबी और सोविएत मिलिटरी को बताई जिसमे से लगभग 10 पकड़े भी गए। अमेस सोवियत यूनियन के लाई जासूसी करने के दौरान दो बार लाई डिटेक्टर से साफ बच कर निकाल गया किन्तु वह सोवियत यूनियन द्वारा दिया गए लगभग हाफ million डॉलर,luxury स्पोर्ट्स कार और हजारो डॉलर के फोन बिल को सीएआई से नहीं छुपा पाया।अंतोगत्वा 1994 मे उसे एफ़बीआई ने गिरफ्तार किया और उम्र भर के लाई जेल मे डाल दिया।

     उपरोक्त से एक बात तो साफ है कि जासूसी कि दुनिया सुनने मे तो  बहुत अच्छी लगती है किन्तु एक जासूस जब जासूसी का कार्य शुरू करता है तब उसे अच्छी तरह पता होता है कि ये दुनिया जितनी रोमांचकारी और साहसिक है इस दुनियाँ के खतरे भी कम नहीं है हो सकता है वह कुछ आराम से बिना किसी संकट के लंबे समय तक जासूसी करने मे कामयाब हो जाए या हो सकता है कि उसे दूसरे ही दिन बड़े संकट का सामना करना पड़े और संकट भी ऐसा कि उसकी जान पर ही न बन आये।

     देश चाहे मित्र या दुश्मन जासूसी करना या करना उनके लिए आवश्यक है। जासूसी सिर्फ युद्ध के लिए नहीं होती अपितु प्रत्येक देश आज अपने संसाधनो को सुरक्षित रखने के लिए भी करते हैं। जासूसी तो वयवसाय मे भी होने लगी है एक कंपनी दूसरी कंपनी कि जासूसी सिलिए करती है ताकि  उसे पता रहे कि उसकी arrival कंपनी क्या क्या नीति बना रही है। कोई दो या ढाई दशक पहले मैंने पढ़ा था कि पेरिस जिसे फ़ैशन कि राजधानी भी कहा जाता है वहाँ भी टेक्सटाइल कंपनी एक दूसरे कि जासूसी करती रही हैं। और भारत मे तो अब माँ बाप अपने बच्चो पर नज़र रखने के लिए प्राइवेट जासूसो कि मदद लेते हैं ताकि वे अपने बच्चो के बारे मे जानकारी रख सके साथ ही शादी विवाह मे भी जासूसो कि मदद ले जाती है और ये मादद सिर्फ लड़की वाला ही नहीं अपितु लड़के वाला भी लेने लगा है।
                                  :::::::प्रदीप भट्ट:::::23.01.2016

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