Wednesday, 2 July 2025

" मरियम मुनीर का नैन मटक्का "

व्यंग्य 

       " मरियम मुनीर का नैन मटक्का"

         मोहम्मद अली जिन्ना अपनी सो कॉल्ड जन्नत में पैरों को चौड़ा करके आराम फरमा रहे थे तभी उनकी खिदमत में तैनात एक कारिंदा हांफता दौड़ता हुआ आया पहले तो उसने नब्बे डिग्री पर अपने नाज़ुक से बदन को झुकाया फिर दाएं हाथ को ऊपर नीचे करके तीन बार सलाम बजाया फिर हुज़ूर हुज़ूर करते हुए गुहार लगाई तब जाकर बड़े उन्नीदें तरीके से हुज़ूर ने अपनी अध मिची आँखें खोलकर उस कारिंदे को ऊपर से नीचे तक देखकर थोड़ा गुस्से से बोला क्यों बे तुझे यही वक्त मिला था हमारी नींद में खलल डालने का। सुनकर कारिंदा पहले तो सकपकाया फिर संयत होते हुए बोला हुज़ूर अभी अभी चपटी धरती से एक ख़बर मिली है कि आपके नाम पर बने लाहौर वाले हॉस्पिटल का नाम मारियम नवाज़ ने बदल दिया है। जिन्ना ने घूरकर कारिंदे को देखा फिर आग उगलते हुए बोले अबे नमाकुल किसने की ये हिमाकत जरा नाम तो बता उसका। कारिंदा सर झुकाकर बोला हुज़ूर वो पहले वाले प्रधानमंत्री हैं न नवाज़ शरीफ़ जिन्हें अपनी जान बचाकर इंग्लैंड भागना पड़ा था न उन्हीं की बिटिया है न मरियम नवाज़ पंजाब की वज़ीर ए आला हुज़ूर उसी ने की है ये गुस्ताख़ी। जिन्ना गुस्से से लाल पीले होते हुए बोले अभी के अभी हमारी सो कॉल्ड जन्नत में आपातकालीन बैठक बुलाओ बे उस लौंडियां की इतनी हिम्मत की हमारे नाम पर बने कैंसर हस्पताल को अपने नाम में तब्दील कर दे। इससे पहले की जिन्ना और दहाड़ते,जो मेरे हुकुम आका कहकर कारिंदे ने वहां से दुड़की लगा ली और थोड़ी देर में ही कुल जमा पाँच लोगों की कमेटी बैठक के लिए अपनी टूटी फूटी कुर्सियों पर आकर लद गई।

         जनरल जिया उल हक़, फ़ील्ड मार्शल याह्या खान, जुल्फिकार अली भुट्टो, बेनज़ीर भुट्टो, जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ और छटे ख़ुद कायदे आज़म मोहम्मद अली जिन्ना अपनी सो कॉल्ड जन्नत के सर्वेसर्वा जुल्फिकार की ओर मुखातिब होते हुए बोले देखो मियां हमारे साथ बड़ी ज्यादती हो गई है हमें अभी कुछ देर पहले ही हमारे एक मात्र कारिंदे लतीफुद्दीन ने बताया कि नवाज शरीफ की छोरी ने हमारे नाम पर बने कैंसर हॉस्पिटल का नाम बदलकर अपने नाम पे कर दिया है। अब बताओ जी ये क्या बात हुई अगर ऐसे ही चलता रहा तो एक दिन पाकिस्तान के रुपये से भी हमारी फुटवा गायब हो जाएगी।  देखो मैंने पाकिस्तान को बनाने में बड़ी मेहनत की है जी। पाकिस्तान बनाने के लिए जितने नफ़रत के बीज मैंने बोए उतने तो आजतक पाकिस्तानियों ने अपने खेत में भी नहीं बोए। कायदे आज़म की बात को परवेज़, बेनज़ीर, याह्या खान बड़ी तल्लीनता से सुन रहे थे और ख़ुद पे जो बीती थी उसे याद कर खून के आंसू छलका रहे थे। तभी कायदे आज़म बड़े कातर स्वर में बोले कुछ करो जुल्फि, कुछ करो। 

         जुल्फि ने अपनी गोल गोल आँखे घुमाते हुए लतीफुद्दीन से पूछा पहले क्या था जो अब नहीं रहा। लतीफुद्दीन सिर खुजाते हुए बोला ऐं क्या कै रियो हो आप मेरे कु समझ नहीं आया, खुल के बताओ। जुल्फि चिढ़ते हुए बोले अबे नामाकुल हॉस्पिटल का पहले क्या नाम था जो अब न रहा और अब क्या हो गया है। लतीफुद्दीन चहकते हुए बोला तो यूँ पूछो न सीधे सीधे। देखो जनाब हमारे कायदे आज़म के नाम पर एक कैंसर हॉस्पिटल बनाया गया था। आपको तो मलूम ही होगा हुज़ूर हमारे कायदे आज़म इस दुनिया में 25 दिसम्बर: 1876 को कराची में पैदा हुए और 11 सितम्बर 1945 को किस बीमारी से अल्ला को प्यारे हो गए। पहले इस हॉस्पिटल का कायदे आज़म के नाम पर "जिन्ना इंस्टिट्यूट ऑफ कार्डियोलोजी" था पर पता नहीं उस मरी मरियम को क्या हुआ उसने इसका नाम बदलकर अब "मरियम नवाज़ इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोलोजी" कर दिया है। हूं कहते हुए जुल्फि ने जेब से 50 साल पुराना सिगार निकाला फिर बिना जलाए ही कायदे आज़म की ओर देखते हुए कहा, जनाब उस लौंडियां में इत्ती हिम्मत कहां से आ गई। जब हम भारत से मैदान में 1971 की जंग हारे थे लेकिन अपनी धूर्तता से शिमला की टेबिल पर जीत गए थे लेकिन ला हॉल  विला कुव्वत हमें फिर भी इस ज़ाहिल जिया उल हक़ ने हमें फांसी पर टांग दिया था। जिया उल हक़ कुछ कहने के लिए उठे ही थे कि जिन्ना बोले अबे खड़ूसो मैंने तुम्हें अपने मसले को निपटाने को बुलाया है। लड़ने का ज़्यादा शौक़ है तो अपनी कोठरी में जाकर सर फुटव्वल करना समझे। 

         तभी याह्या खान ने अपना हाथ उठाया, जिन्ना ने बोला फरमाइए। याह्या खान बोले देखो मिस्टर कायदे आज़म हम जितने भी यहां है सभी अच्छी तरह से जानते हैं कि हमने पाकिस्तान तो बनाया लेकिन अपनी पॉवर का कित्ता और कैसे मिसयूज किया है इसका खामियाजा हम सो कॉल्ड जन्नत के सड़े और बदबूदार कोठारिया में न पूरी तरह से जी रहे हैं और मरने की तो बात ही मति करो। ख़ैर मेरी ख़ुफ़िया इकाई आज भी मुझे इक्का दुक्का जानकारी मुहैया करा देती है। मेरी जानकारी के अनुसार कोई फर्जी जनरल मुनीर है जिसे भारत ने 96 घंटे की लड़ाई में इतना पेला कि वो ख़ुद बंकर में जा छुपा, हमारे 11हवाई बेस भारत ने बर्बाद कर दिए फिर भी मरियम के चच्चा शहबाज़ शरीफ़ ने उसे जीत का सेहरा पहना दिया और उसे फ़ील्ड मार्शल बना दिया जिसे पाकिस्तानी ख़ुद फेल्ड मार्शल कह रहे हैं । तभी जबीं जबान से बेनज़ीर बोल पड़ी तुम भी तो फेल्ड मार्शल खुदई बने झंडू के पंचारिष्ट, पाकिस्तान ने आज तक कौन सी लड़ाई जीती है। कायदे आज़म बोले क्या खुसर फुसर कर रही हो बेनज़ीर बोलो बोलो तुम भी बोलो। बेनज़ीर बोली मेरी सूचना के मुताबिक़ मुनीर और मरियम के बीच नैन मटक्का चालू है। मरियम को पता है पाकिस्तान में सेना ही सब कुछ है इसलिए उसने मुनीर को अपने खोपचे में लेकर सेट कर लिया है ये कायदे आज़म के नाम पर बने हॉस्पिटल का कायदे से हैप्पी हैप्पी कर दिया है अब वो पाकिस्तान की वज़ीर ए आज़म बनने के ख़्वाब देख रही है। सो भैय्या अब तै कर लो क्या करना है। सभी की भड़ास निकल चुकी थी सो तय हुआ कि इस मसले को लेकर गांधी जी के पास चला जाए, अब वो ही कुछ करें तो करें।

         गांधी जी घास फूस की झोपड़ी में वास्तव में जन्नत और जहन्नुम के बीच में खाली पड़े प्लाट में विराजे हुए थे बाहर 10,12 बकरियां मै मै करके अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही थीं।

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