“आ बैल मुझे मार यानि किम जोंग”
पिछले कुछ दिनों से नार्थ कोरिया के शासक किम जोंग और अमेरिका के राष्ट्रपति के मध्य ज़बानी युद्ध चल रहा
है दोनों ही एक दूसरे को जी खोलकर अच्छे अच्छे विशेषणों से अनुग्रहित कर रहे हैं
ये समझना थोडा कठिन है कि कौन ज्यादा अच्छा और सटीक विशेषण दे एक दूसरे को दे रहा
है। किम जोंग जहाँ अमेरिका की दादागिरी को
खुले आम चुनौती दे रहे हैं वहीँ अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प युद्ध न
करने की रणनिति पर काम कर रहे हैं जो एक तरह से अच्छा और समझदारी भरा फ़ैसला समझा
जा सकता है। उत्तर कोरिया जहाँ अमेरिका को अपने हाव भाव और नित नये न्यू-क्लियर टेस्ट और मिसाइल टेस्ट से धमकाने का प्रयास कर
रहा है, उससे उसकी उद्दंडता का ही परिचय मिलता है। किम ज्योंग एक सनकी तानाशाह
जैसा बर्ताव कर रहा है बिना इस बात की कल्पना किये कि अगर युद्ध गुआ तो इसके कितने
ज्यादा दुष्परिणाम हो सकते हैं। ये ठीक है की हर व्यक्ति और देश को अपनी स्वतंत्रा
की रक्षा करने का अधिकारी है किन्तु प्रश्न तो यही है कि उत्तरी कोरिया का जानी
दुश्मन दक्षिण कोरिया और फ़िर जापान उसकी सीमा का अतिक्रमण तो कर नहीं रहे फ़िर
क्यों वह अपनी मिसाइलों को कभी दक्षिण कोरिया और कभी जापान के ऊपर से उड़ा रहा है आख़िर
वह अपनी इस हरकत से साबित क्या करना चाहता है?
मात्र अपनी सनक के कारण एक तानाशाह पूरे विश्व को तीसरे विश्व युद्ध की आग
में क्यों झोंकना चाहता है। युद्ध से तो किसी समस्या का समाधान आज तक हुआ नहीं और फ़िर
एक यक्ष प्रश्न यह भी है कि उत्तर कोरिया की समस्या क्या है ? जब कि वह स्वयं सबके
लिए एक समस्या बना हुआ है ।
ईसा पूर्व में यहाँ कोर-यो
वंश का राज्य होने के कारण इसका नाम कोरिया पड़ गया। कोरिया प्रायद्वीप को अनेक
शताब्दियों तक चीन का ही एक राज्य समझा जाता था। 1776 में इसने जापान के साथ संधि-संपर्क स्थापित
किया।1904-1905 में
रूस-जापान के मध्य हुए युद्ध के बाद इसे जापान का संरक्षित
क्षेत्र बना दिया गया। 22 अगस्त् 1910 को यह जापान
का अंग बना लिया गया 1894 से ये जापानी दबदबे में आ गया था। 1910
में जापान ने उसे अपना हिस्सा बना लिया। रूस-जापान के मध्य हुए
युद्ध के के
दरम्यान ही संयुक्त राष्ट्र के सैनिक चीनी सीमा के पास पहुँचे, जिस कारण चीन भी खुल कर इस लड़ाई में कूद पड़ा। स्वंय सेवी बताते हुए उसने
लाखों लड़ाके मैदान में उतार दिये जिस कारण संयुक्त राष्ट्र सैनिकों को पीछे हटना पड़ा। तब
मैकआर्थर ने राष्ट्रपति ट्रूमैन से कहा कि उन्हें चीन पर परमाणु बम गिराने का अधिकार दिया जाये। ट्रूमैन यह हिम्मत नहीं जुटा पाये।
ट्रूमैन की जगह जब आइजन्वर राष्ट्रपति बने, तब उन्होंने युद्धविराम का निर्णय किया।इस तरह, 27 जुलाई
1953 को, कोरिया की सीमा पर के एक
स्थान पानमुन्जोम में युद्धविराम का समझौता हुआ और लड़ाई रोक दी गई । दोनों देशों
के मध्य आज भी युद्धविराम ही है, युद्ध-स्थिति का विधिवत अंत
नहीं हुआ है।युद्धविराम होने तक 40 हज़ार संयुक्त राष्ट्र
सैनिक, जिनमें कि 90 प्रतिशत अमेरिकी
सैनिक थे मारे जा चुके थे। उत्तर कोरिया और उसके साथी देशों के संभवतः 10 लाख तक सैनिक मारे गये। मारे गये असैनिक नागरिकों की संख्या 20 लाख आँकी गई। आज भी कई हज़ार अमेरिकी सैनिक दक्षिण कोरिया में तैनात हैं,
ताकि उत्तर कोरिया अचानक फिर कोई आक्रमण करने की जुर्रत न करे । इसके
विपरित भारी आर्थिक कठिनाइयों और संभवतः आंशिक भुखमरी के बावजूद उत्तर कोरिया ने
भी 12 लाख सैनिकों वाली सेना पाल रखी है।
1939 से 1945 तक चले दितीय
विश्वयुद्ध के समय जर्मनी और जापान घनिष्ठ मित्र थे। युद्ध दोनो पानमुन्जोम के पास उत्तर
कोरिया की भारी पराजय के साथ समाप्त हुआ। मुख्य विजेता शक्तियों अमेरिका और सोवियत संघ ने कोरिया को जापान से छीन कर जर्मनी की ही तरह इस पुरे प्रायद्वीप को दो भागों में विभाजित कर दिया। द्वितीय विश्व युद्ध के समय जब जापान ने मित्र सेनाओं के सामने आत्मसमर्पण कर दिया तब 1945 में याल्टा
संधि के अनुसार 38 उत्तरी अक्षांश रेखा के द्वारा कोरिया को दो भागों में विभाजित कर दिया
गया। उत्तरी भाग पर सोवियत
संघ (अब रूस) का और दक्षिणी भाग पर अमेरिका का अधिकार हो गया। इसके पश्चात् अगस्त 1948 में दक्षिणी भाग में कोरिया गणतंत्र का तथा सितंबर,
1948 में उत्तरी कोरिया में कोरियाई जनतंत्र (Korean Peoples
Democratic Republic) की स्थापना हुई। दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल
और नार्थ कोरिया की राजधानी पियांगयांग बनाई गई।
सन् 1953 की पारस्परिक संधि के अनुसार 38 उत्तर अक्षांश को
विभाजन रेखा मानकर इन्हें अब नार्थ कोरिया जिसका क्षेत्रफल 1.21
वर्ग किलोमीटर है। तथा दक्षिणी कोरिया जिसका क्षेत्रफल 98 हजार वर्ग किलोमीटर है के नाम से पुकारा जाता है।ये
प्रायद्वीप पूर्वी एशिया में मुख्य स्थल से लगा हुआ एक छोटा सा प्रायद्वीप है जो
पूर्व दिशा में जापान सागर एवं दक्षिण में ये पीत सागर से घिरा हुआ है। इसके
उत्तरपश्चिम में मंचूरिया
एवं उत्तर में इसकी रूस के साथ सीमाएं लगी हुई हैं। उत्तर का हिस्सा रूस और चीन की पसंद के अनुसार
एक कम्युनिस्ट देश बना और बोलचाल की भाषा में उत्तर कोरिया कहलाया। दक्षिण का
हिस्सा अमेरिका और उसके मित्र देशों की इच्छानुसार एक पूँजीवादी देश बना और दक्षिण
कोरिया कहलाया। चूँकि कोरिया के सम्बन्ध चीन
एवं जापान से ज्यादा रहे। अतएव इसे
चोसेन के नाम से भी जाना जाता है। जिसका शाब्दिक अर्थ 'सुबह की ताज़गी का देश' (Land of morning freshness)
है।कोरिया पर सैकड़ो बार बाहर के देशों द्वारा आक्रमण किया गया जिस कारण कोरिया ने राष्ट्रीय
एकांतिकता की भावना अपनाना श्रेयस्कर समझा। इस कारण इसे विश्व में यती देश (Hermit
Kingdom) भी कहा जाता रहा है। कोरिया मुख्यत: पवर्तीय देश है। रीढ़
की हड्डी के समान यहाँ की पर्वतश्रेणीयाँ पश्चिमी तट की अपेक्षा पूर्वी तट के अधिक
निकट हैं। उत्तरपूर्व
का पवर्तीय प्रदेश समुद्रतल से 2,670 मीटर ऊँचा है। पीत सागर में गिरनेवाली नदियाँ जापान की नदियों से बड़ी हैं और कुछ बहुत दूर तक, वशेषकर ज्वारभाटा
के समय में नौगम्य हैं।उसमें कहीं कहीं ज्वालामुखी शिखर भी हैं। पश्चिमी तटवर्ती भाग मैदानी हैं।
इसमें बहनेवाली मुख्य नदियाँ ताईयोंग, हार्न,
क्यूम और नाकतोंग हैं।
किम जोंग जो कि इस समय
उत्तरी कोरिया का शासक है, का जन्म 8 जनवरी 1983 को किम जोंग उल के यहाँ हुआ तीन भाइयों में किम जोंग बीच का है ।किम के दादा का नाम किम सुंग है जिनकी मृयु 1994 में हुई। किम जोंग बचपन से ही अपने दादा से प्रभावित रहा है और वह उनके जैसा ही बनना भी चाहता है इसी
कारण उसने प्लास्टिक सर्जरी के माध्यम से अपनी शक्ल को अपने दादा के अनुरुप देने
का यत्न भी किया है। अपनी इसी ख्वाहिश को पूरा करने के लिए उसने 28 दिसम्बर 2011 को अपने आपको तानाशाह घोषित तक कर दिया
और उसकी आधिकारिक घोषणा भी कर दी।
आख़िर किम जोंग इतना निर्दय
क्यों है कि वो छोटी छोटी बातों पर भी अपने सगे सम्बन्धियों को मौत के घाट उतार
देता है। अपने सगे फूफा को 100 से भी ज्यादा भूखे
कुत्तों के सामने फ़ेंक दिया ताकि उनके
दुश्मन इससे सबक़ ले सके और अपनी सगी बुआ
को जहर देकर मरवा दिया गया। अपनी सरकार के शिक्षा मंत्री री ओंग जिन और कृषि
मंत्री हंग मं को महज इसलिए एंटी एयरक्राफ्ट गन से भुनवा डाला क्यों की दोनों सी
उसकी सभा में सो रहे थे । उसकी निर्दयता का इससे ज्यादा सबूत और क्या होगा कि उसने
अपनी गर्लफ्रेंड को भी इसलिए पूरे ग्रुप सहित मरवा दिया क्यों कि वह ग्रुप पोर्न
फिल्म बनवा रहा था जब कि वह स्वंय बचपन से इस पोर्न फिल्म देखने का आदि रहा है। किम
जोंग ने सोल जू जो कि एक चिअर लेडी और सिंगर रह चुकी है से शादी की है।
जिस तरह अमेरिका का धीरे
धीरे धैर्य चुक रहा है हो सकता है अमेरिका ओसामा बिन लादेन के तरह कोई गुप्त
कार्रवाई कर डाले जिससे सांप भी मर जायेगा और लाठी भी नहीं टूटेगी। क्यों कि अगर
अमेरिका और उत्तर कोरिया के मध्य युद्ध हुआ तो इसकी जद में सिर्फ़ ये दोनों देश
नहीं रहने वाले निश्चित ही इसका असर पूरे विश्व पर पड़ना लाज़िमी है ।क्यों कि बहुत
सारी वजहों से रूस और चीन नार्थ कोरिया से बंधे हुए हैं वहीँ अमेरिका जापान और
दक्षिण कोरिया की संप्रभुता की रक्षा के लिए कटिबद्ध है। ईश्वर से प्रार्थना ही की
जा सकती है कि किम ज़ोंग को जल्द से जल्द सदबुद्धि आ जाए ताकि उसकी सनक के कारण नार्थ
कोरिया की आम जनता युद्ध की विभीषिका से बची रहे।
-प्रदीप भट्ट-
Wednesday,
November 22, 2017
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