Saturday, 22 April 2017

कैराना



कैराना



पिछले कुछ दिनों से कैराना फिर चर्चा में आया जब ज्ञात हुआ कि जो 252 लोग कैराना से अन्यत्र पलायन कर गये थे उनमें से दो परिवार वापिस कैराना लौट आये हैंजानकर अच्छा लगा कि चलो उत्तर प्रदेश में सरकार के बदलते ही कैराना में भी बदलाव आ रहा है इसका श्रेय लेने की अभी तक तो होड़ नहीं मची है, किन्तु जिन पस्थितियों में 252 परिवार अपने जान-मॉल की रक्षा करने नहीं हो पाने के कारण कैराना से पलायन कर गए थे वो उत्तर प्रदेश सरकार के लिए एक प्रश्नचिन्ह अवश्य छोड़ गया कि समाजवादी पार्टी की मुस्लिम तुष्टिकरण की निति और क्या गुल खिलाएगी। उत्तर प्रदेश चुनाव के परिणामों ने लेकिन एक बात अवश्य साबित कर दी कि उत्तर प्रदेश की जनता किसी भी बड़बोले और नाकारा लोगों को एक ही झटके में कैसे सत्ता से उठाकर बहार का रास्ता दिखा देती है। निति और अनिती में यही एक फर्क है वैसे भी आज तक उत्तर प्रदेश में कोई भी पार्टी पु:न चुनकर सत्ता पर काबिज नहीं हो पाई है। पहले बसपा ने उत्तर प्रदेश में जिन्दा लोगों से ज्यादा पत्थर की मूर्तियों को ज्यादा तरजीह दी साथ ही दलित दलित का राग अलापकर भिखारी की स्थिति का एक परिवार कैसे सत्ता प्राप्त करते ही दिन दूनी रात चौगुनी रफ़्तार से करोड़ों अरबों के वारे न्यारे करने में कामयाब रहा यह किसी से छिपा नहीं है। जिस गरीब और दलित के नाम पर बसपा सत्ता हथियाती है फ़िर उसी जनता पर जुल्मों सितम की इंतेहा भी करती है। समाजवादी पार्टी को तो लोग गुंडों और डाकुओं का गिरोह कहते ही हैं जहाँ तक कांग्रेस का प्रश्न है वो तो तीन में है न तेरह में लेकिन इसके बावजूद भी उनके नेता नवाबों की तरह पेश आते हैं या ये कहना ज्यादा उपयुक्त होगा कि उनका व्यवहार आज भी सामंतवादी है आइये कैराना के इतिहास पर कुछ नज़र डालते हैं:-  


डेल्ही से 129 K.M. दूर मुजफ्फरनगर जिले से लगभग 50 K.M. दूर आजकल शामली जिले की एक तहसील है और हरियाणा से लगा हुआ लगभग एक लाख की आबादी वाला कैराना प्राचीन काल में में कर्णपुरी के नाम से प्रसिद्ध था, जो कि समय के साथ बिगड़ता बिगड़ता ये किराना (उत्तर प्रदेश में किराना से तात्पर्य किराना दुकान जिसमें घर के रोज़ मर्रा के सभी सामान बिकते हों) और फिर कैराना के नाम से जाना जाने लगा। यह कहानी भी कम प्रचलित नहीं है कि कैराना का नाम कै और राणानाम के राणा चौहान गुर्जरों के नाम पर पड़ा और माना जाता है कि राजस्थान के अजमेर से आए राणा देव राज चौहान और राणा दीप राज चौहान ने कैराना की नींव रखी।  कैराना के आस-पास कलश्यान चौहान गोत्र के गुर्जर समुदाय के 84 गांव हैं। सोलहवीं सदी में मुग़ल बादशाह जहांगीर ने अपनी आत्मकथा तुज़ुक-ए-जहांगीरी में कैराना की अपनी यात्रा के बारे में लिखा है।


किराना घराना भारतीय शास्त्रीय संगीत और गायन की खयाल गायकी की परंपरा वाले हिंदुस्तानी घरानों में शामिल है की स्‍थापना शास्त्रीय गायक अब्दुल करीम खान ने की थी। इस घराने से गंगूबाई हंगल, सवाई गंधर्व, रोशन आरा बेगम जैसे नाम भी जुड़े रहे हैं। किसी जमाने में पश्चिमी उत्तर प्रदेश का कैराना भारतीय शास्त्रीय संगीत के मशहूर किराना घराना के लिए जाना जाता था, जिसकी स्थापना महान शास्त्रीय गायक अब्दुल करीम खां ने की थी। पंडित भीमसेन जोशी और शास्‍त्रीय गायक अब्‍दुल करीब खान का नाम यहां से जुड़ा है। ये दोनों ही किराना घराना से थे, जिसकी नींव यूपी के इसी शहर में पड़ी थी। एक बार जब अपने समय के महान गायक मन्ना डे जब किसी काम से कैराना पहुंचे थे तो कैराना की सीमा में घुसने से पहले इस क्षेत्र का सम्मान करने के लिए उन्होंने अपने जूते उतारकर हाथों में पकड़ लिए थे। इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने जवाब दिया कि यह धरती महान संगीतकारों की है और इस धरती पर वो जूतों के साथ नहीं चल सकते। ये मन्ना डे दा का संगीत के प्रति वास्तविक प्रेम और आदर प्रदर्शित करता है।

पिछले दिनों कैराना किसी संगीत समारोह या किसी राजनितिक वजह से नहीं वरन वहां पर रहने वाले हिन्दू परिवारों के पलायन से चर्चा में आया।चर्चा भी ऐसी कि कुछ लोगों को ये अंदेशा भी हुआ कि कहीं कैराना दूसरा कश्मीर बनने की राह पर तो नहीं चल पड़ा है। ऐसा इसलिए भी कि जिस प्रकार वहां दिन-दहाड़े विजय नामक एक व्यापारी युवक की गोली मार कर हत्या कर दी गई,सरे आम स्कूल कॉलेज जाने वाली लड़कियों के साथ अभद्र व्यवहार किया जाने लगा छांट छांट कर हिन्दू परिवारों को निशाना बनाया जाने लगा उससे वहां स्थिति इतनी जयादा असहज हो गई कि हिन्दू परिवारों ने वहां से पलायन करना ही बेहतर समझा कुछ पत्र पत्रिकाओं ने इसे 1990 की पुनरावृत्ति तक बता डाला। ऐसा इसलिए भी कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी और उस सरकार की शुरू से मुस्लिम तुष्टिकरण और गुंडागर्दी की ही USP रही है। प्रकरण भी स्थानीय बीजेपी सासंद हुकुम सिंह 346 हिंदू परिवारों की सूची सौंपते हुए यह आरोप लगाया कि कैराना को कश्मीर बनाने की कोशिश की जा रही है। हुकुम सिंह ने कहा कि यहां हिंदुओं को धमकाया जा रहा है, जिससे हिंदू परिवार बड़ी संख्या में पलायन कर रहे हैं। हुकुम सिंह के इतना कहते ही बीजेपी अखिलेश सरकार पर हमलावर हो गई। बीजेपी ने न सिर्फ अखिलेश सरकार के कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए बल्कि इसे सोची समझी रणनीति भी करार दिया। इसके जबाव में अखिलेश और मायावती ने बीजेपी पर जमकर हमला बोला।

  
इसी बीच डिप्टी जनरल ऑफ़ पुलिस श्री ए के राघव ने अपनी रिपोर्ट में बीजेपी और स्थानीय सांसद पर यह आपोप लगाया कि उत्तर प्रदेश के चुनाव नजदीक आ रहे हैं इसलिए ये सब बखेड़ा किया जा रहा है। किन्तु कुछ प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकारों का मानना था कि यह पूर्ण सत्य नहीं है और वास्तव में कैराना में 81 प्रतिशत आबादी मुसलमानों की है और हिन्दूओं की महज 18 प्रतिशत इसलिए वहां के गुंडों जिनमें फुरकान प्रमुख है। सिर्फ़ हिन्दुओं को ही चिट्ठी भेजकर रकम की मांग की जा रही है इससे एक प्रश्न उभरता है कि क्या कैराना में सिर्फ़ हिन्दू ही पैसे वाले हैं मुस्लिम नहीं ? किन्तु सच्चाई यही है कि कैराना में मुस्लिम गुंडों की गुंडागर्दी के कारण और उत्तर प्रदेश की समाजवादी सरकार द्वारा उनको संरक्षण दिए जाने के कारण ही वहां से हिन्दुओं के 250 से ज्यादा परिवारों ने पलायन करना ही बेहतर समझा अन्यथा क्या कारण है कि फुरकान गैंगस्टर जेल में बंद है और वो खुले आम जेल से ही फिरोती के पत्र भेज रहा है।ये तो भला हो नेशनल ह्यूमन राईट कमीशन का जिसने अपनी रिपोर्ट में इस बात को बड़ी बेबाकी से रखा कि कैराना में मुस्लिमों से अपने जान मॉल के नुकसान को देखते हुए ही 250 से ज्यादा हिन्दुओं ने पलायन किया है साथ ही नेशनल ह्यूमन राईट कमीशन से इस बात पर ही जोर दिया है कि उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था पुलिस न चलाकर वहां गुंडे माफ़िया चला रहे हैं और उनको उत्तर प्रदेश की सरकार का मौन समर्थन प्राप्त है,जिससे उत्तर प्रदेश में कैराना जैसी दूसरी घटना भी हो सकती है जो कि लोकतंत्र के लिए मनासिब नहीं है।
आज जब उत्तर प्रदेश के चुनाव सम्पूर्ण हो चुके हैं और उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को अभूतपूर्व जनादेश मिला है जिससे उत्तर प्रदेश में रहने वालों को ये आस जग गई है कि कम से कम राज्य में कानून व्यवस्था कुछ तो सुधरेगी किन्तु भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने जिस प्रकार प्रान्त में पांच बार के गोरखपुर से सांसद योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बना दिया है उससे उत्तर प्रदेश में हर्षोल्लास का माहौल छा गया है क्यों कि योगी आदित्यनाथ सख्त किस्म के हैं चूँकि वो साधु हैं अतएव उन्हें दिन दुनियां की मोह माया का ज़रा भी चाहत नहीं है अतएव पुरे उत्तर प्रदेश में ही नहीं वरन पूरे देश में एक साफ़ और सकारात्मक सन्देश चला गया है कि उत्तर प्रदेश में अब गुण्डाराज तो नहीं चलने वाला। मुख्यमंत्री के पद पर आसीन होने ही जिस प्रकार योगी ने 300 से अधिक फ़ैसले लिए हैं उनसे उनके इरादे साफ़ झलकते हैं। उत्तर प्रदेश में सुशासन देर से आये किन्तु गुंडाराज तुरंत विदा हो जाये ये योगी की प्रथम प्राथमिकता है निश्चित रूप से ये उत्तर प्रदेश के भविष्य के लिए एक सोचा समझा और नीतिगत फैसला भारतीय जनता पार्टी ने लिया है जिससे सब कुछ अच्छा होने की ही कामना की जा सकती है   
-प्रदीप भट्ट – 22,April,2017


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