रिपोर्ताज
"हुआ यूँ के"
हुआ यूँ के हिन्दी साहित्य भारती की उत्तर प्रदेश राज्य इकाई की सभा का आयोजन झाँसी में 29 सितंबर को होना निश्चित हुआ तो संस्था के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष रविन्द्र शुक्ल जी से हमें भी आमंत्रण प्राप्त हुआ। चूँकि इस संस्था से जुड़ाव हैदराबाद प्रवास के दौरान हुआ था तो हमने शुक्ल जी को अपनी दुविधा 😇बताई कि भैय्या हम तो तेलंगाना से जुड़े थे फिर हमें काहे आमंत्रण? शुक्ल जी बोले भैय्या जी अब आप मेरठ में निवास कर रहे हैं जो उत्तर प्रदेश में आता है और हम उत्तर प्रदेश में दो बार के मंत्री रह चुके हैं 😀 और ध्यान से सुनें हम झाँसी में विराजते हैं और झाँसी बुंदेलखंड में!समझ गए या कुछ और परिचय देंवे। आमंत्रण भेज दिया है आप अवश्य पधारें।🤗 अब सोचने की बारी हमारी थी हम मन ही मन बुदबुदाए बेटा तुम्हारा हैदराबाद से पत्ता साफ़ और उत्तर प्रदेश में हाफ ये विषय अलग है कि मेरठ दिल्ली NCR का भी हिस्सा है और भारत की प्रथम रीजनल ट्रेन मार्च तक मेरठ से दिल्ली तक पूर्ण रूपेण शुरू भी हो जाएगी। ख़ैर ट्रेन की खोजबीन शुरू हुई तो मेरठ से कोई भी ट्रेन हमें ले जाने के लिए तैय्यार ही न हुई (टिकिट ही available न hue) तो क्या करते सो दिल्ली से दक्षिण express की कंफर्म टिकिट बुक की और वापसी की ltt to हरिद्वार की waiting ले ली।इसी बीच कथा रंग की सूचना मिली तो विनय सहित क्षमा मांग ली। क्यूँ कि भैय्या कमिटमेंट है तो है!
29 की सुबह ब्ला ब्ला ली और सीधे I P extension वहाँ से एक काम निपटाया और सीधे निर्माण विहार 😀अब ये मति पूछो काहे महाराज मित्रता भी कुछ होती है सो मिले फिर दिल्ली खादी भवन, शाम तक वहीं आनन्द के गोते लगाए फिर निर्माण विहार वाले मित्र के साथ कनाट प्लेस में मस्ती की फिर खरामा खरामा निजामुद्दीन स्टेशन। इधर 22.50 पर ट्रेन ने सीटी दी और उधर हम नींद के आगोश में। 29 की सुबह सुबह 5.15 झाँसी पहुँचे बारिश हमारे स्वागत में बिछी बिछी जा रही थी ख़ैर भीगते हुए ही ऑटो पकड़ा। बारिश के जोर के कारण रास्ता भूलना लाज़िम था अब अलसुबह 5.30 पर कौन रास्ता बताता है भाई सो तुरन्त होटल marvelous फोन किया तो फोन उठाया रविन्द्र शुक्ल जी ने थोड़ा अचकचा कर समस्या बताई तो उन्होंने ऑटो ड्राईवर का मार्ग दर्शन किया जिससे बारिश का आनन्द लेते हुए हम होटल पहुँच ही गए।
आश्चर्य इतनी सुबह सुबह 3,4 लोग रिसेप्शन पर स्वागत करते मिले, परिचय उपरांत हमें कन्नौज से पधारे डॉक्टर अमरनाथ दुबे जी के रूम में शिफ्ट कर दिया गया। अब सुबह सुबह यदि कोई किसी को सोते से जगाए तो....... खैर हमने अभयदान देते हुए कहा हुजूर आप सोए रहें हम एडजस्ट कर लेंगे तभी हमारे मोबाईल का 6.03 का अलार्म बज गया। हमने उसे चुप कराया और फ्रेश होने सीधे आरामगाह जा पहुँचे। तैय्यार हुए और सीधे रिसेप्शन पर! वहाँ कई लोगों से मिलना हो गया।
9 बजे नाश्ता किया फिर ठीक 10 बजे राष्ट्रीय गीत से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। उत्तर प्रदेश राज्य के वर्तमान अध्यक्ष डॉक्टर वागिश दिनकर के स्थान पर प्रह्लाद बाजपेई जी को नया अध्यक्ष मनोनीत किया गया जब कि महामन्त्री अक्षय प्रताप सिंह के स्थान पर मेरे रूम मेट डॉक्टर अमरनाथ दुबे को सर्वसम्मति से महामन्त्री घोषित किया गया।सर्वसम्मति अर्थात उपस्थित जन समुह से दोनों हाथ ऊपर उठाकर ओम की ध्वनि करना। पूरा कार्यक्रम बिलकुल आरएएस पैटर्न पर। सच कहूँ आनन्द आ गया। इतने सारे लोगों में से एक मात्र परिचित के रूप में वागीश शर्मा (कथा रंग)जी से मिलकर आनन्द आ गया। सांय 6.30 तक कार्यक्रम चला बीच बीच में निश्चित अन्तराल पर स्वादिष्ट खाने पीने का कार्यक्रम अलग से अब चूँकि हम रात का खाना छोड़ चुके हैं अतएव संगी साथियों के आग्रह पर थोड़ी खिचड़ी लेकर खाना पूर्ति कर ली।लेकिन लेकिन लेकिन...
अगले दिन नाश्ता करने के बाद टैक्सी के लिए रिसेप्शन पर रिक्वेस्ट की पता नहीं कहाँ गड़बड़ हुई एक घण्टे बाद एक बड़े वाला ऑटो हाज़िर, हम जैसे ही बाहर निकले ऑटो देखकर माथा ठनका हमने कारण पूछा तो ड्राईवर बोला हमसे तो यही मँगवाया है ख़ैर बेकार बहस में न पड़कर हमने पुनः बात कर टैक्सी मंगवाई और चल पड़े ओरछा मन्दिर दर्शन के लिए।लेकिन ये क्या ऑटो टैक्सी के चक्कर में ध्यान नहीं दिया कि मन्दिर 1 बजे बंद हो जाता है ख़ैर बाहर से ही ईश्वर के दर्शन कर मुड़े ही थे कि देखा मन्दिर का द्वार खुला और भोग का एक थाल लेकर पुजारी जी ने एक व्यक्ति को दिया साथ में आई उनकी धर्म पत्नि मन्दिर के बंद दरवाज़े पर ही बड़ी श्रद्धा से साष्टांग कर रही थीं। मैंने पूछा तो रोहित सोनी नामक सज्जन ने बताया सर यहाँ प्रसाद के लिए काफ़ी लम्बी प्रतीक्षा करनी होती है हमारा नंबर भी सवा महीने के बाद आया है ,तब तक उनकी पत्नि भी हाज़िर हो गई दो तीन मिनट बात करने के बाद मैंने कहा यदि आप दोनों को आपत्ति न हो तो मुझे इस भोग का प्रसाद दे दें। उन्होंने नाम पूछा फिर पूछा कहाँ से आए हैं मैंने पूर्ण परिचय दिया तो दोनों ने प्रणाम किया फिर ये कहते हुए प्रसाद दे दिया कि भगवान ने स्वयं प्रसाद के दूसरे कौर के लिए आपका चयन किया है। निश्चित उस समय मैं भाव विभोर हो गया। उनसे विदा ली और सीधे ओरछा फोर्ट। भले ही काफ़ी समय बीत गया है किन्तु विरासत तो विरासत है। मध्य प्रदेश शासन देखभाल कर रहा है सोचा कुछ खा लिया जाए सो काफ़ी कुछ नकारने के बाद दही खिचड़ी का ऑर्डर दे दिया। रात में भी और अब लंच में भी खिचड़ी प्रदीप बाबू बढ़िया है 😆😆😆😆
बेतवा नदी पर दो चार फोटो खिंची ,जब जिंदगी ख़ुद ही भूलभुलैया बनी हुई हो तो भूलभुलैया देखकर क्या करेंगे सो ड्राईवर से कहा भैय्या लक्ष्मी मन्दिर चलो फिर सीधे झाँसी लोकल। ओरछा का लक्ष्मी मन्दिर देखा और सीधे रानी झाँसी के किले के बाहर से ही दर्शन किए दो चार फोटू फिर झाँसी शहर का एक चक्कर लगाया और सीधे होटल आकर कमरे में अब आप कहोगे ये क्या बात हुई तो भैय्या 29 सितम्बर को बारिश ने स्वागत किया था हम खुश थे तो झाँसी शहर ने अगले दिन जलती तपती गर्मी के भी दर्शन करा दिये।अब ऐसी गर्मी में फोर्ट की दीवारें भी तपती💥🔥 हुई मिली सो सब कुछ देखना डॉप कर दिया।
शाम को कुछ ठंडक हुई तो जान में जान आई। चूँकि लंच में दही खिचड़ी खाई थी तो 8 बजे कुछ भूख महसूस हुई। डिनर में फिर वही पकवान देखकर वापिस कमरे में आए दही खिचड़ी खाई फिर आराम किया और रात 12 बजे स्टेशन। 1.10 पर ट्रेन आई और सुबह 9 बजे मेरठ। एक अच्छा कार्यक्रम, दो अच्छे दिन बिताकर वापिस मेरठ आकर लगा भैय्या जो आनन्द घर में है वो और कहाँ 💓सो खाया पीया और चादर तानकर नींद के आगोश में, अब महराज ट्रेन कित्ती भी अच्छी हो ससुरी नींद ठीक से आती न है तो हुआ यूँ के!!!!!!!
प्रदीप डीएस भट्ट-101024
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