Friday, 17 November 2023

"ख़ाली जाती सदा नहीं"

ग़ज़ल

     "ख़ाली जाती सदा नहीं"


अँखियाँ ताक रही दरवज्ज़ा,  कब आओगे पता नहीं
जितना चाहो तड़पा लो तुम,फ़िर भी तुमसे ग़िला नहीं 

तुमसे करी मुहब्बत हमने, बिन सोचे और समझे भी
माना इक तरफा है इसमें, दिल की कोई ख़ता नहीं 

आज नहीं तो कल ये तेरे, दिल से जा टकरायेगी 
दिल की बातें दिल ही समझे, ख़ाली जाती सदा नहीं 

कितना समझाया सखियों ने, लेकिन मन चंचल निकला 
प्यार किया तो दिल में रखना, कभी किसी को बता नहीं

माना तुम बेदिल हो लेकिन, बात मेरी सुन लेनी थी 
छोड़ भरे सावन जाना कोई, देता ऐसा सिला नहीं

तुम्हीं कहो मैं और प्रतीक्षा, करूँ तुम्हारी कब तक यूँ 
इस व्यवहार से फ़िर भी देखो, दिल मेरा जी जला नहीं 

बीत रहे दिन इक इक करके, चिट्ठी न कोई संदेशा  
'दीप' तुम्हीं सोचो मुझको क्यूँ, अब तक भी ये खला नहीं 

प्रदीप DS भट्ट -181123

No comments:

Post a Comment