Friday, 21 October 2016

जबरा मारे रोने न दे



“जबरा मारे रोने न दे”



29 सितम्बर की रात्रि को भारत द्वारा पाकिस्तान अनधिकृत कश्मीर के 12 किलोमीटर अन्दर जाकर जो कार्यवाही की गई उसकी गूंज सिर्फ भारत पाकिस्तान में ही नहीं वरन उसकी गर्मी विश्व पटल पर अधिक दिखी पाकिस्तान तो अचंभित और हतप्रभ सा रह गया कि आखिर ये हुआ तो कैसे हुआ। इससे जो छीछालेदर हुई है उससे पाकिस्तान पूरी तरह चरमरा गया लगता है। अब तो प्रश्न पाकिस्तानी सेना और उसके सेनाध्यक्ष माहराज राहिल शरीफ पर भी उठ रहे हैं कि पाकिस्तानी सेना ऐसी कौन सी नींद में सो जाती है जिससे उसे पता ही नहीं चलता और भारतीय सेना के पैरा कमांडो सीमा के अन्दर 12 किलोमीटर तक घुसकर पाक अनधिकृत कश्मीर में आतंकवादियों की घुसपैठ के लिए बनाये गए लौन्चिंग पैडो को पूरी तरह ध्वस्त कर वापिस स-कुशल लौट जाती है और पाकिस्तानी सेना को कानो कान खबर भी नहीं लगती।

उडी हमले के बाद भारत में ऐसा मौहोल हो गया था कि बस बहुत हो चूका अब तो कुछ कठोर जवाब देना बनता ही है और ऐसा ही कठोर जवाब दिया भी गया जिसकी पाकिस्तान बिलकुल भी उम्मीद नहीं कर रहा था।  जब मियां नवाज शरीफ़ (शराफ़त ही तो नहीं है) संयुक्त राष्ट्र में उडी हमले से उपजे भारतीय आक्रोश को कश्मीर-कश्मीर चिल्लाकर और हवा देने की कोशिश कर रहे थे उस वक्त भारतीय सेना पाकिस्तानी प्रायोजित आतंकवादियों की सर्जरी करने का प्लान बना रही थी । जब सुषमा स्वराज संयुक्त राष्ट्र में नवाज़ की नवाजिश (चंपी) कर रही  थी उस समय भारतीय सेना सर्जिकल स्ट्राइक को अमली जमा पहनाने की तयारी कर रही थी। और आख़िरकार 29,सितम्बर-2016 को रात्रि में इस मिशन को अंजाम तक पहुंचा दिया गया वो भी बिना किसी जोख़िम के। जहाँ तक पाकिस्तान का प्रश्न है वो इसी मुगालते में रहा कि भारत सिन्धु जल की पुनरीक्षा कर रहा है,पाकिस्तान को विश्व में घेरने का प्रयास कर रहा है। किन्तु भारत ने जहाँ कुटनीतिक दबाव बयाए रक्खा वहीँ इस बार मुहं तोड़ जवाबी कार्रवाई का भी मन बना लिया था।

इस सर्जिकल स्ट्राइक के बाद सोशल मिडिया पर पाकिस्तान के विषय में बहुत सारे चुटकुले  चल निकले जिसमें पाकिस्तान की काफी थू-थू की जा रही थाई किन्तु एक चुटकुला जो सबमें बजी मार ले गया वो कुछ इस प्रकार था :-

नवाज़ नौकर से     -     आज खाने में क्या बनाया है ?
नौकर नवाज़ से     -     भिन्डी की  सब्जी और मसूर की दाल
नवाज़ नौकर से     -     तेरा दिमाग तो ख़राब नहीं हो गया कितने दिन से कह
                        रहा हूँ ,मुर्गा पका,मटन पका, साले  सुनता क्यों नहीं ?
नौकर नवाज़ से     -     सर जी कल
नवाज़ नौकर से     -     साले तू भी सर्जिकल सर्जिकल करके मजाक उड़ा रहा है? 
 
वो तो जब भारतीय सेना के द्ग्मो द्वारा घोषणा कि जाती है कि भारतीय सेना ने पाक अनधिकृत कश्मीर कि सीमा में 12 किलोमीटर तक अन्दर घुसकर आतंकवादियों की घुसपैठ करने के उद्देश्य के लिए बनाये गए लौन्चिंग पैडो को नष्ट कर दिया है और पूरी पैरा कमांडों फ़ौज सकुशल वापिस आ गई है इसके साथ ही भारत कुटनीतिक स्तर पर २२ देशों को इस सर्जिकल स्ट्राइक कि सूचना देता है जिसमें अमेरिका,रूस,चीन,फ़्रांस,इंग्लैंड आदि शामिल हैं तब जाकर पाकिस्तानी सेना और वहां कि सरकार की नींद टूटती है। इसके बाद शुरू होती है पाकिस्तानी सरकार और सेना की डैमज कंट्रोल करने की कवायद जिसमें विश्व स्तर पर ये प्रचारित किया जाता है कि भारत झूठ बोल रहा है ऐसी कोई सर्जिकल स्ट्राइक हुई ही नहीं ये तो भारत सरकार अपने लोगों की वाहवाही लुटने का प्रपचं मात्र है। इसका कारन भी बड़ा स्पष्ट है पाकिस्तान ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि भारतीय सेना ऐसा कुछ करेगी क्यों कि पिछला इतिहास ऐसा ही रहा है पाकिस्तानी सेना के बुझदिल जवान धोके से पेट्रोलिंग पर गई भारतीय सेना पर हमला करते रहे हैं और उनको मरकर उनके सर भी काटकर ले जाते रहे हैं और हमारी तरफ से बस बयानबाजी के अतिरिक्त कुछ खास कभी नहीं हुआ जिससे पाकिस्तान को ये सन्देश गया कि भारतीय सेना तो ऐसी ही है । किन्तु पाकिस्तान की सेना और सरकार दोनों ही इस मुगालते में रहे कि 2014 में भारत में सरकार बदल चुकी है। ये सरकार एक हद ही बेहूदगी बर्दाश्त कर सकती है। अति होने पर पलट वार वो भी दोगुने दमखम से करने में यकीन रखती है।

जब से श्री नरेन्द्र मोदी,प्रधानमंत्री,भारत सरकार ने १५ अगस्त-२०१६ को लालकिले की प्राचीर से “बलोचिस्तान के लोगों के साथ पाकिस्तानी सेना द्वारा जो अत्याचार किया जा रहा है पर” जब से सकारात्मक सोच के संकेत दिए हैं तब से पाकिस्तान की दिन का चैन और रातों की नींद उड़ गई है उसे अब ये भय सता रह है कि कहीं भारत १९७१ की पुनरावृत्ति न दोहरा दे। अगर ऐसा हुआ तो पाकिस्तान का  ४४ प्रतिशत भूभाग पहले कि तरह ही स्वतंत्र हो जायेगा जैसे कि वह १९४७ से पूर्व में था। जहाँ तक पाकिस्तान के वर्तमान हालत का प्रश्न है तो पहले वो वह अमेरिका का पिछलग्गू था आज चीन का । उसका न पहले कोई अस्तित्व था न कभी होगा ? और आज जो हालत चल रहे हैं वो दिन दूर नहीं जब पाकिस्तान की पूर्णरूपेण सत्त्ता शंघाई से ही संचालित होगी ।अपने नार्थ इंडिया में एक कहावत आम है कि  “खायेगा मुंह लजाएँगी आँखे “ लेकिंन पकिस्तान का तो इतिहास (१९४७) से रहा है कि वो किसी का सगा नहीं रहा है। एक दूसरी कहावत भी पाकिस्तान जब तब चरितार्थ करता रहता है “ऐसा कोई सगा नहीं जिसको उसने ठगा नहीं” यहाँ तक कि अपनी ही जनता तक को। पाकिस्तान में कुल चार प्रान्त हैं लेकिन सारा कुछ सिर्फ पंजाब प्रान्त में ही निवेश किया जाता है। क्यों कि शायद पाकिस्तान को ये अंदेशा शुरू से ही है कि आज नहीं तो कल पाकिस्तान के टुकड़े होने ही हैं वैसे भी जिस देश की सेना दैनिक उपयोग की चीज़े बनाने  में ज्यादा रूचि रखती हो बनास्पित देश की सीमाओं को रक्षा करने के,उस सेना का तो भगवान ही मालिक है ।

उपरोक्त से एक बात तो साफ है कि पाकिस्तान इस सर्जिकल स्ट्राइक के सदमें से बहुत दिनों तक रहने वाला है क्यों कि इससे उसकी सेना की क्षमता पर कुठारघात हुआ है । वो इस समय तिलमिलाया हुआ है और इस तिलमिलाहट में वो हो सकता है दो या चार और ऐसी टुच्ची हरकतें करें लेकिन अब उसे ऐसा करने से पहले कई मर्तबा सोचना होगा क्यों की भारत ने किसी भी फोरम में ये वादा नहीं किया है कि वो इस प्रकार की कार्रवाई दुबारा नहीं करेगा ।
       

::: प्रदीप भट्ट :::

Saturday, 1 October 2016

आतंकवाद और युद्ध




आतंकवाद को समाप्त करने के लिए क्या युद्ध ही विकल्प है


खादीऔर ग्रामोद्योग के मुख्यालय में दिनांक 27.09.2016 को आयोजित वाद-विवाद का विषय आतंकवाद को समाप्त करने के लिए क्या युद्ध ही विकल्प है विषय पर 19 में से 03 लोग इसके पक्ष में और 13 ने इसके विपक्ष में अपने विचार व्यक्त किये. - मिनिट का समय निर्धारित किया गया था शुरुआत भी मुझी से हुई मैंने जो भी विचार उस प्रतियोगिता में रक्खे उन्हें जस का तस रखने का प्रयास करूँगा।

पहले तो ये समझना आवश्यक है कि आतंकवादी या आतंकवाद कोई एक देश नहीं है जिसे कोई भी देश आमने सामने की लड़ाई में लड़ सके। आतंकवाद  शब्द अगर मैं परिभाषित करने का यत्न करूँ तो पाउँगा कि  आतंक नामक शब्द का पहली बार मेरा सामना बचपन में हुआ जब सुना कि सुन्दर डाकू ने उत्तर प्रदेश में बड़ा आतंक मचा रक्खा है फिर थाने में उसकी फोटो भी देखी तो लगा ये एक आदमी कैसे पुरे प्रदेश में आतंक मचा सकता है क्यों कि तब तक इतनी समझ ही नहीं थी कि इस आदमी का एक पूरा गिरोह है जिसने पुरे प्रदेश में आतंक/कोहराम मचा रक्खा था। उसके बाद इच्छा जागृत हुई और जाना कि मध्य प्रदेश के चम्बल में भी माधो सिंह, मलखान सिंह  मोहर सिंह बाद में फूलन देवी ने भी अपना आतंक फैला रखा है। उसके बाद पंजाब में भिंडरेवाले के आतंक के विषय में सुना।


      ऊपर जिनका भी जिक्र किया गया है वे सभी लोग मज़बूरी या अपनी इच्छा से अपराधी बने और अपने आतंक को कायम किया किन्तु आज हम जिस आतंक की बात करते हैं वो समाज के प्रति न होकर देश के विरुद्ध हो गया है शायद इसलिए इन्हें आतंकवादी कहा जाने लगा है क्यों कि इन लोगों को किसी समाज, धर्म,जाति या समुदाय से कोई परेशानी नहीं है वरन ये शांतिप्रिय देशों के आर्थिक तंत्र को नुकसान पहुँचाना चाहते है। निश्चित रूप से इसके पीछे बहुत बड़ी-बड़ी ताकतें काम कर रही हैं जो कि नहीं चाहती कि कोई भी उभरता हुआ देश उनके देश के वर्चस्व को चुनौती दे। पिछले दो दशकों में इन आतंकवादी घटनाओं में जबरदस्त इजाफा हुआ है। आज विश्व के कई सम्रध देश भी इनकी गतिविधियों से अछूते नहीं रहे हैं। फिर चाहे वो अमेरिका हो या ब्रिटेन,फ्रांस हो या जर्मनी भारत हो या बंग्लादेश ,मिस्र हो या अफगानिस्तान। ऑर बस आतंक ही आतंक नज़र आने लगा है।आखिर इस आतंक के कारोबार से किसे फायदा पहुंच रहा है क्यों कि जिन्होंने इसको बढ़ावा दिया प्रश्रय दिया वो भी तो आज इसके दुष्परिणामों को भोगने को अभिशप्त हो ही रहे है।

जहाँ तक भारत का प्रश्न है वह १९८० से ही इस आग से झुलसता आ रहा है पहले पंजाब फिर कश्मीर आजकल नक्सली भी उसी राह पर रहे हैं और NER पूर्वोत्तर के कुछ राज्य भी इस आग से अछूते नहीं रहे। भारत में आतंकवाद को बढ़ावा देने और प्रश्रय देने का काम शुरू से ही पाकिस्तान करता आ रहा है। १९७१ के युद्ध में पराजित होने के बाद से ही जनरल भुट्टो इंदिरा गाँधी के आगे नतमस्तक हो गए थे और शिमला समझोते के तहत एक प्रकार से भीख मांग कर अपने लगभग एक लाख सैनिकों को जिन्होंने युद्ध में आत्मसमर्पण किया था और युद्ध में ही भारत द्वारा जीती गई ज़मीं भी लेकर वापिस पाकिस्तान गए ताकि वे वहां सर उठाकर अपने लोगों के बीच जा सके। किन्तु भुट्टो ने इंदिरा गाँधी कि भलसमानत का गलत फायदा उठाया और पाकिस्तान वापिस जाते ही बड़ी बड़ी डींगे हाँकनी शुरू कर दी कि हम घास कि रोटी खायेंगे लेकिन एटम बम ज़रूर बनायेंगे। भारत ने जहाँ १९७४ में राजस्थान के पोखरण में पहला परमाणु परिक्षण किया वहीँ पाकिस्तान ने १९८४ में इसे अंजाम दिया। तत्पश्चात भारत और पाकिस्तान ने १९९८ में पुन: परमाणु परिक्षण किये। परमाणु संपन्न राष्ट्र होने पर जो संजीदगी उस राष्ट में होने चाहिए उसका भारत तो अक्षरशः पालन करता है किन्तु पाकिस्तान के रक्षामंत्री और जाने कितने ऐरे गैरे बार बार यही दोहराते रहते हैं कि अगर भारत ने हमला किया तो पाकिस्तान ने अपने परमाणु हथियार ( techtikalटेकटीकल वेपोन् ) सिर्फ सजावट के लिए रक्खे हैं वो इन्हें चलाएगा  भी । अब आप इसे बन्दर घुड़की कहें या कुछ और किन्तु पाकिस्तान ने ये तो साबित कर ही दिया कि वो कितना गैरजिम्मेदार देश है।
आखिर इन सब बातों से किसका भला होने वाला है। क्या उन्हें बताने कि आवश्यकता है कि 
techtikalटेकटीकल वेपोन् क्या होते हैं और क्या कर सकते हैं क्या उन्हें सेकंड वर्ल्ड वार में अमेरिका द्वारा जापान के दो शहरो हिरोशिमा और नागासाकी का ह्रष नहीं मालूम? आतकवादियों और आतंक को पनाह देने वालों को विश्व स्तर पर अलग थलग करने, उन पर आर्थिक प्रतिबन्ध लगाकर उनके साथ अब तक हुई सभी संधियों को पुन: आज के आलोक में पुन: परिभाषित किया जाना अत्यंत आवश्यक है। जहाँ तक आतकवादियों के खात्मे का प्रश्न है तो आतंक को पोषित करने वाले लोगों और देशों के विरुद्ध सर्जिकल स्ट्राइक ज्यादा उम्दा विकल्प है न कि परोक्ष युद्ध।

-    प्रदीप भट्ट -