Friday, 19 August 2016

खुशाबा दादा साहेब जाधव

   
“खशाबा दादा साहेब जाधव(1952-हेलसिंकी) से साक्षी मालिक (2016-रियो)”
      

बचपन से ही मैराथन दौड़ के विषय में पढ़ा है और साथ ही ये भी जाना कि इसी मैराथन दौड़ ने आगे चलकर अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति की नीव डाली। जिसने ग्रीष्मकालीन और शीतकालीन ओलंपिक खेल का आयोजन करवाना प्रारम्भ किया। ओलम्पिक की शीतकालीन एवं ग्रीष्मकालीन प्रतियोगिताओं में 200 से ज्यादा देश प्रतिभागी के रूप में शामिल होते हैं। ओलम्पिक खेल प्रत्येक चार वर्ष के अंतराल से आयोजित किये जाते हैं । ओलम्पिक खेलों का आयोजन अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति ही करती है। मुझे ये लेख लिखने का खयाल कल तब आया जब भारत रियो ओलंपिक-2016 मे पदकों के लिए जूझता नज़र आया। दीपा करमाकर ने जिम्नास्टिक मे निशशित रूप से बेहतरीन प्रदर्शन किया किन्तु वे पदक से चूक गई। इसी प्रकार सानिया नेहवाल(बैडमिंटन),अभिनव बिंद्रा (निशानेबाजी) दीपिका कुमारी (तीरंदाजी) और अन्य प्रतियोगी भी पदकों को बस लालसा भरी नज़रों से निहारते ही रहे और इधर देश में हाय हल्ला मचना शुरू हो गया कि 125 की आबादी वाले देश मे खेलों और खिलाड़ियों की दुर्गति के चर्चे होने शुरू हो गए। सबसे ज्यादा आश्चर्य तब हुआ जब शोभा डे नाम की किसी लेखिका ने खिलाड़ियों के विषय मे गलत कमेंट किया जिस पर उन्हें लानत-अमानत भेजने का सिलसिला शुरू हो गया शायद वो लेडी इसी लायक होगी।
      अच्छी बात ये रही कि रियो-2016 (ब्राज़ील) मे पहला कांस्य पदक रेस्लिंग मे साक्षी मलिक (रोहतक) जो कि हरियाणा का एक शहर है ने प्राप्त किया। हरियाणा  इस बात के लिए जहाँ कुख्यात है कि यहाँ पूरे भारत मे स्त्री-पुरुष रेशो सबसे कम है और पित्रसत्तामक समाज का प्रतिनिधि करता है लेकिन वहीं यह भी सत्य है कि हरियाणा देश मे सबसे ज्यादा खिलाड़ी भी पैदा करता है। जहां कल वाडा ने नरसिंह को आज खेलने कि अनुमति प्रदान कर दी है वहीं बैडमिंटन मे पी वी सिंधु फाइनल मे जगह बनाने मे कामयाब रही हैं इसका मतलब आज स्वर्ण या रजत मे से एक पदक तो पक्का है ही। आइये ओलंपिक खेलों के महाकुंभ पर भारतीय प्रदर्शन पर कुछ नज़र डालते हैं:-

       प्राचीन ओलम्पिक की शुरुआत 776 बीसी में हुई मानी जाती है।जैसा कि हम बरसों से ग्रीस यानि यूनान कि राजधानी एथेंस कि कहानी सुनते आ रहे हैं पहला ओलम्प्क 1896 मे ग्रीस यानि यूनान कि राजधानी एथेंस मे आयोजित किया गया था।ओलंपिया पर्वत पर खेले जाने के कारण इसका नाम ओलम्पिक पड़ा। ओलम्पिक में राज्यों और शहरों के खिलाड़ी भाग लेते थे। इसकी लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ओलम्पिक खेलों के दौरान शहरों और राज्यों के बीच लड़ाई तक स्थगित कर दिए जाते थे। इस खेलों में लड़ाई और घुड़सवारी काफी लोकप्रिय खेल थे। लेकिन उसके बाद भी सालों तक ओलम्पिक आंदोलन का स्वरूप नहीं ले पाया। तमाम सुविधाओं की कमी, आयोजन की मेजबानी की समस्या और खिलाड़ियों की कम भागीदारी-इन सभी समस्याओं के बावजूद धीरे-धीरे ओलम्पिक अपने मक़सद में क़ामयाब होता गया। प्राचीन ओलम्पिक की शुरुआत 776 BC में हुई मानी जाती है। प्राचीन ओलम्पिक में बाक्सिंग, कुश्ती, घुड़सवारी के खेल खेले जाते थे। खेल के विजेता को कविता और मूर्तियों के जरिए प्रशंसित किया जाता था। हर चार साल पर होने वाले ओलम्पिक खेल के वर्ष को ओलंपियाड के नाम से भी जाना जाता था। ओलम्पिक खेल अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाली बहु-खेल प्रतियोगिता है। । एक अन्य दंतकथा के अनुसार हरक्यूलिस ने ज्यूस के सम्मान में ओलम्पिक स्टेडियम बनवाया गया। छठवीं और पांचवीं शताब्दी में ओलम्पिक खेलों की लोकप्रियता चरम पर पहुंच गई थी। लेकिन बाद में रोमन साम्राज्य की बढ़ती शक्ति से ग्रीस खासा प्रभावित हुआ और धीरे-धीरे ओलम्पिक खेलों का महत्व गिरने लगा।
  2008 में चीन की राजधानी बीजिंग ओलम्पिक में अब तक का सबसे अच्छा आयोजन माना गया है। पंद्रह दिन तक चले ओलम्पिक खेलों के दौरान चीन ने ना सिर्फ़ अपनी शानदार मेज़बानी से लोगों का दिल जीता बल्कि सबसे ज़्यादा स्वर्ण पदक जीत कर भी इतिहास रचा। भारत ने भी ओलम्पिक के इतिहास में पहली बार १९२८ में स्वर्ण पदक जीता और उसे पहली बार एक साथ तीन पदक भी मिले। विश्व के प्राचीनतम अंतरराष्ट्रीय खेल समारोह ओलम्पिक का आयोजन 2012 का लंदन ओलम्पिक खेल 27 जुलाई से 12 अगस्त के बीच हुआ था। इस बार के लंदन ओलम्पिक में 26 खेलों में 204 देशों के लगभग 10500 खिलाड़ीयों ने भाग लीया था। इस बार भारत ने ओलम्पिक में रजत, कांस्य पदक जीता था।

                                                   Indian Olympic delegation 1920
      भारत ने 1900 मे प्रथम बार ओलंपिक खेलों मे भाग लिया था और नॉर्मन प्रीतचर्ड ने एथेलिटिक्स में दो रजत पदक अपने नाम किए थे।1920 मे प्रथम बार ही ग्रीष्म ओलंपिक खेलों मे सभी प्रथियोगिताओ मे भाग लिया था।1964 मे भारतीय दल ने कुल 24 मेडल्स अपने नाम किए थे। भारतीय हॉकी टीम द्वारा 12 ओलंपिक्स मे कुल 11 मेडल्स अपने नाम किए जिनमे से 8 गोल्ड थे। इसी दौरान भारतीय टीम ने लगातार 1928 से 1956 के बीच 6 गोल्ड मेडलस अपने नाम किए।1920 के ओलंपिक में भारत की ओर से 4 एथेलिटिक्स 2 रेसलर एवं एक मैनेजर सोहराब भूत एवं एएचए फ़्यज़ी उतारे गए थे। उसी दौरान भारतीय ओलंपिक मूवमेंट स्थापित हुआ  और उसके फ़ाउन्डर सदस्यों मे डोरब टाटा, ए॰जी॰ नोएहरेन,एच॰सी॰बुक (मद्रास कॉलेज ऑफ फ़िज़िकल एडुकेशन), मोइनूल हक़ (बिहार स्पोर्ट्स एसोसिशन)एस। भूत (बॉम्बे ओलंपिक एसोसिशन),ए॰एस॰भागवत (डेक्कन जिमख़ाना),एस॰डी॰सोंधी (पंजाब ओलंपिक एसोसिशन),LtCol.एच॰एल॰ओ॰ गैरेट (गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ लाहौर एंड पंजाब ओलंपिक एसोसिशन एवं सागनिक पोद्दार (एसटी। स्टीफनस स्कूल) ने मिलकर पूर्व राष्ट्रीय ओलंपिक खेलो को रॉयल प्रिंसेस भूपिंदर सिंह ऑफ पटियाला,रंजीत सिंह ऑफ नवानगर, कपूरथला के महाराजा बुर्दवान के सहयोग से आयोजन किया।1923 मे प्रोविशनल ऑल इंडिया ओलंपिक कमेटी का गठन किया गया और फ़रवरी 1924 मे ऑल इंडिया ओलंपिक खेलों की समिति ने पेरिस ओलंपिक के लिए भारतीय टीम का चयन किया । इसमे 7 एथेलिटस,7 टैनिस खिलाड़ी और एक टीम मैनेजर हैरी बुक का चयन किया गया।
                     1936 बर्लिन ओलंपिक मे भारतीय हॉकी टीम 
            पूर्व की प्रोविशनल ऑल इंडिया ओलंपिक कमेटी को पूर्णतया ओलंपिक एसोसिशन (आईओए) मे तब्दील कर दिया गया।जिसका मुख्य उद्देश्य भारत मे खेलों पर बारीकी से नज़र रखना और उनके विकास मे सहयोग प्रदान करना और ओलंपिक के लिए टीम का चयन करना शामिल था।1928 के ओलंपिक मे कुल 7 एथेलिटस को मैनेजर जी डी सोंधी के नेत्रतव मे भेजा गया। इसी समय इंडियन हॉकी फेडरेशन का भी गठन हुआ और उन्होने भी अपनी एक टीम को ओलंपिक मे भेजा। 1932 के ओलंपिक मे 4 एथेलिटस एंड एक तैराक के साथ ओलंपिक मे भेजा गया तथा 1936 के ओलंपिक मे 4 एथेलिटस, 3 रेसलर एक वेटलिफ्टर (जो कि एक बर्मी था) के साथ अन्य 3 officials को मैनेजर सोंधी के साथ रवाना किया गया। 1948 मे 50 सदस्यीय दल भेजा गया था।1900 से 1952 तक भारतीय दल कि स्थिति निमन्वत है :

I) 1900: One athlete
Ii) 1920: 6 competitors (four athletes, two wrestlers) and managers Bhoot and Fyzee
Iii) 1924: 14 competitors (seven athletes, seven tennis players) and manager Harry    Iv) 1928: 21 competitors (seven athletes and a hockey team of 14) and manager G D Sondhi
V) 1932: 20 competitors (four athletes, one swimmer, and a hockey team of 15) and three officials headed by manager G D Sondhi
Vi) 1936: 27 competitors (four athletes, three wrestlers, one Burmese weight-lifter, and a hockey    team of 19) and three officials including manager G D Sondhi
Vii) 1948: 79 competitors and a few officials headed by chef-de-mission Moin ul Haq
·            Viii)1952: 64 competitors and some officials headed by chef-de-mission Moin ul Haq

 

Medal
Name/Team
Games
Sport
Event
 Silver
 Silver
 Gold
Men's competition
 Gold
Men's competition
 Gold
Men's competition
 Gold
Men's competition
 Gold
Men's competition
 Bronze
Men's freestyle Bantamweight
 Gold
Men's competition
 Silver
Men's competition
 Gold
Men's competition
 Bronze
Men's competition
 Bronze
Men's competition
 Gold
Men's competition
 Bronze
 Bronze
Women's 69 kg
 Silver
 Gold
 Bronze
 Bronze
 Silver
 Silver
 Bronze
 Bronze
 Bronze
 Bronze
 Bronze

(Source Google)



      ईश्वर से प्रार्थना ही की जा सकती है कि वह भारतीय दल पर कुछ और मेहरबानी करे और पीवी सिंघू के अतिरिक्त कुछ और मेडल्स भारत की झोली मे आ जाएँ । किन्तु प्रश्न यही है कि ऐसा कब तक । आखिर क्यों हम ओलंपिक आने पर ही जागते हैं। क्यों नहीं एक दीर्घकालिक योजना बनाई जाती जिसमे वही लोग शामिल हों जो खेल और उसकी भावनाओ को समझते हों बिला वजह हर खेल संघ मे राजनीतिज बैठाने की क्या आवश्यकता है।
       और अंत मे “खशाबा दादा साहेब जाधव(1952-हेलसिंकी) द्वारा  जीता गया पहला कांस्य पदक कल साक्षी मालिक (2016-रियो)” द्वारा जीता गया कांस्य पदक कुछ कह रहे हैं। मैं भारतीय महिलाओं के रेसलिंग मे पदार्पण से प्रसन्न हूँ इसने एक नई आशा का संचार किया है।
:: प्रदीप भट्ट ::::

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