“बोलने
की आज़ादी”
आजकल ऑल इण्डिया बकचोद के तन्मय भट्ट द्वारा भारत रत्न
लता मंगेशकर और भारत रत्न सचिन तेंदुलकर पर बनाया गया दो मिनिट का वीडियो जिसे
उन्होने यू ट्यूब पर अपलोड किया है,चर्चा का विषय बना हुआ है। एमएनएस द्वारा तन्मय भट्ट और एआईबी के लोगों पर
एफ़आईआर भी दर्ज कराई जा चुकी है। आखिर ऐसा क्या हो गया कि लगभग पूरा बॉलीवूड उनके
द्वारा अपलोड किए गए इस वीडियो के विरूद्ध हो गया ? जब कि
कुछ दिनों पूर्व बॉलीवूड के कुछ चुनिन्दा सितारे? उनके
कार्यक्रम मे भाग लेकर अपने को धन्य समझ रहे थे। या तो उस समय वे लोग स्वस्थ
हास्य, फूहड़ हास्य और बीमार मानसिकता के हास्य
मे अंतर नहीं कर पा रहे थे या अब नहीं कर पा रहे थे। इस पर बहस करके मैं उनकी
शैक्षिक योग्यता पर प्रश्न चिन्ह नहीं लगाना चाहता।
मै पहले भी अपने लेखों मे इस बात का जिक्र
कर चुका हूँ कि हर चीज कि एक लिमिट होती है और हमे उस लिमिट का ध्यान रखना ही
चाहिए। शायद 3rd या 4th स्टैंडर्ड मे एक lesion बढ़ा था जिसे मैं स्वम भी
लिखते हुए ध्यान मे रखता हूँ। lesion कुछ इस तरह है।
“एक व्यक्ति के आगे एक दूसरा व्यक्ति अपने हाथ मे लिए
छाते को ज़ोर ज़ोर से दायीं और बायीं ओर तेजी से घूमा रहा है। पीछे आ रहा व्यक्ति इस
पर ऐतराज जताता है तो आगे वाला व्यक्ति कहता है कि वह एक आजाद देश का नागरिक है
अतएव वह अपनी आज़ादी का उपयोग कर रहा है इससे किसी को क्यों परेशानी होनी चाहिए ? देश का सविधान भी मुझे आज़ादी से रहने
और कुछ भी करने की इजाजत देता है तब पीछे चलने वाला व्यक्ति उसे बताता है महाशय
अगर आप जैसी आज़ादी का सभी लोग इसी तरह इस्तेमाल करेंगे तो सभी को चोट लगनी
स्वाभाविक है, और हाँ इस देश का सविंधान आपको आज़ादी से कुछ
भी करने और रहने की आज़ादी तो देता है किन्तु वहीं तक जहां तक आप दूसरे किसी
व्यक्ति की आज़ादी मे बाधक न बन रहे हों। ये सुनकर आगे चलने वाला व्यक्ति पीछे चलने
वाले व्यक्ति से क्षमा मांगता है और भविष्य मे इस बात का ध्यान देने का वादा करता
है।“
एक
यही महतावपूर्ण बात एआईबी के कर्ता-धर्ताओ को समझनी चाहिए थी और अगर उन्हे इस बात
का ज्ञान नहीं था तो एआईबी के कार्यक्रमों
मे जाने वालों और बेहूदे कमेंट पर दाँत निपोरने वालों की भी ये ज़िम्मेदारी
बनती थी कि वे उन लोगों को स्वस्थ्य,फूहड़ और बीमार मानसिकता वाले हास्य मे अंतर करवाते किन्तु उन्होने ऐसा कुछ
नहीं किया तो मुझे तो उनकी आईक्यू पर ही तरस आ रहा है।ख़ैर जो होना था हो चुका “अब
पछताय क्या होत है जब चिड़िया चुग गई खेत”।
एआईबी की स्थापना गुरसिमरन खंबा और तन्मय भट्ट ने की
तत्पश्चात रोहन जोशी और आशीष शाक्य,अबिश मैथ्यू और कनीज़ सुरका भी इससे जुड़ गए।
इन लोगों ने राजनीति फिल्मी दुनियाँ और अन्य मुद्दों पर भी हास्य के नजरिए से
कमेंट करने शुरू किए जिनहे यू ट्यूब पर अलग अलग माध्यमों से प्रस्तुत (अपलोड )किया
जाता रहा किन्तु फ़ंड की कमी के चलते लोगों तक पहुँच नहीं बन पा रही थी। लेकिन 2015
आते आते इस ग्रुप के पास मार्च 2015 तक लगभग 100 मिलियन दर्शक जुड़ गए। धीरे धीरे
ये ग्रुप लोकप्रियता के साथ साथ विवादों मे भी आने लगा। दिसम्बर-2014 मे एआईबी ने
एक शो “ऑल इण्डिया बकचोद नॉकआउट चैम्पियनशिप का आयोजन किया जिसमे कारण जौहर रणवीर
सिंह,अर्जुन कपूर ने इसमे भाग लिया। इसके आयोजन से इस ग्रुप
को लगभग 40 लाख रुपए की आमदनी हुई।
इसके
अतिरिक्त इस ग्रुप ने यू ट्यूब पर अपना एक अलग चैनल “एआईबी दूसरा” खोला। इसे लगभग
अड़तीस हजार दर्शक मिले। ओक्टोबर -2015 मे एआईबी ने एक नई कॉमेडी सिरीज़ “ON AIR With AIB” स्टार नेटवर्क के साथ
लॉंच किया।इस सिरीज़ मे 20 एपिसोड जिनमे 10 इंग्लिश और 10 हिन्दी मे थे का प्रसारण hot
star पर किया। AIB द्वारा कुछ प्रमुख एपिसोड जो
प्रचारित और प्रसारित किए गए उनका विवरण इस प्रकार है।
एपिसोड
|
Name in English
|
हिन्दी मे नाम
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1
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Why be
Good
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जबान संभाल के
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2
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Aag -
The Fire
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आग – दी फायर
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3
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Cop
Blocked
|
डर के आगे पुलिस
है
|
4
|
Space -
The Final Frontier
|
थोड़ा एडजस्ट
करो Thoda Adjust Karo
|
5
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HIV/AIDS
- Red Ribbon Red Alert
|
एचआईवी –नज़र
हटाओ जन गवाओं
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6
|
Monumental
Screw Up
|
पुराना क़िला
नयी वाट
|
7
|
Delhi
Smelly
|
काट कलेजा दिल्ली
|
8
|
Ignorth
East
|
घरवाले बाहरवाले
|
9
|
Get
High on Your Own Supply
|
आखरी नशा
|
10
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Sex and
the CSE
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फूल और काँटे
|
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हास्य बिखेरना किसी भी कलाकार को तरोताजगी
प्रदान करता है किन्तु कई बार देखा गया है कि हास्य बिखेरने वाला कलाकार जाने-अनजाने
राजनीति का भी शिकार हो जाता है ऐसा पिछले दिनों किकू शारदा के साथ हो चुका है जब उन्होने
राम रहीम के विषय मे कुछ कहा और उन्हे जेल भेज दिया गया।पालघर कि दो लड़कियों ने बाला
साहब के बारे मे कुछ कहा और उन्हे जेल जाना पड़ा। इसी प्रकार कार्टूनिस त्रिपाठी को
भी इसी से दो चार होना पड़ा ।इसमे दो बाते विशेष हैं पहली कि आप किसके लिए और कितना
व्यंग्य कर रहे हो ।कई बार मीडिया भी जानबूझकर सामने वाले को इतना चिड़ा देता है जिससे
कि वो गुस्से मे अपना आपा खो देता है और परिणिति स्वरूप उसे समाज के कुछ छद्म वेषी
लोगों का कोपभाजन बनना पड़ता है।
अनुपम खेर कहते हैं कि मैंने हास्य के लिए
अनेकों पुरुस्कार प्राप्त किए है लेकिन फूहल हास्य के लिए नहीं।ये कुछ ज्यादा ही हो
गया।उन्हे वो सभी फिल्मे देखनी चाहिए जिनके लिए उन्हे पुरुस्कृत किया गया है तब उन्हें
स्वत: समझ आ जाएगा।इसी प्रकार राजू श्रीवास्तव ने लालू प्रसाद यादव कि नकल कर-कर के
अपना कैरियर चमका लिया, ये और बात
कि लालू ने कभी बुरा नहीं माना । किन्तु तन्मय ने स्वस्थ और बीमार मानसिकता वाले हास्य
मे अंतर करने मे चूक कर दी। जिसका खामियाजा वे भुगत रहे हैं। कुछ लोगों का ये कहना
कि तन्मय ऐसा करके सस्ती लोकप्रियता बटोर रहे हैं तो ऐसे लोगों को आत्मचिंतन कि आवश्यकता
है।तन्मय पर अपनी भड़ास निकालकर वे भी लोकप्रियता ही बटोरना चाहते हैं। बेहतर हो तन्मय
इस किस्से को जितनी जल्दी हो सके समाप्त करें। गलती कि है तो माफी मांगने मे कैसी शर्म?
::: प्रदीप भट्ट
:::
31.05.2016
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