Thursday, 28 April 2016

महिलाओं के अधिकार



So make a difference, think globally and act locally! Make everyday International Women's Day. 
Do your bit to ensure that the future for girls is bright, equal, safe and rewarding
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     “या  देवी  सर्व  भूतेशु  शक्ति  रूपणे  संसिथा,

    नमत्स्यी नमत्स्यी नमत्स्यी नमो नमः नमत्स्यी”

      कल यानि 8 मार्च को अंतराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाना है। आखिर इसकी आवश्यकता क्यों पड़ी और अभी तक ऐसा क्या विशेष हुआ है जो कि महिलाओ को कुछ उनके सशक्तिरण मे सहायक हो। भारत और भारत के बाहर यानि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस विषय मे क्या हल-चल हुई है इसके ऊपर कुछ लिखूँ इससे पहले ये आवश्यक है कि महिला दिवस मनाने के कुछ कारण और सरोकारों पर द्रष्टि डाली जाए।महिलाओ के साथ भेद-भाव तो हर देश मे होता है बस उसके तरीके अलहदा हो जाते हैं। आपको जानकार आश्चर्य हो सकता है ये जानकार कि पहले मार्च मे जो मांगे रखी गई उसमे बेहतर सैलरी और काम के निश्चित घंटों के अतिरिक्त जो सबसे महतावपूर्ण मांग थी वो थी कि उन्हे भी पुरुषो कि भांति वोटिंग अधिकार प्रदान किए जाएँ।


       8 मार्च 1908 मे लगभग 1500 महिलाओ ने न्यूयॉर्क शहर मे सामाजिक, आर्थिक, सांसकृतिक और राजनैतिक आधार पर स्वतंत्र हासिल करने हेतु एक मार्च निकाला। चूंकि उस समय महिलाओ के हालत बाकी देशों से कुछ भी इतर नहीं थे अतएव अपने अधिकारो के प्रति सचेत रहने के उद्देश्य से ही उन्होने ऐसा किया जिसे धीरे धीरे ही सही लेकिन मान्यता मिली। उन सब महिलाओ के प्रयास से सफलता भी मिली और कुछ संगठनो ने वार्षिक IWD यानि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को मान्यता प्रदान कर दी। इससे पूर्व सभी महिलाएं प्रत्येक वर्ष के  फरवरी मे पड़ने वाले अंतिम रविवर को ही महिला दिवस मनाया जाता था।और ये सिलसिला 1913 तक अविरल चलता रहा। 1910 मे clara zetkin जो कि जर्मनी की एक सोशियलl डेमोक्रेटिक पार्टी की अधिकारी थी ने प्रस्ताव रखा की प्रत्येक वर्ष प्रत्येक देश मे महिला दिवस मनाया जाना चाहिए। जिससे महिलाओं के अधिकारों को सुरक्षित रखा जा सके। तब जाकर 1911 से इसे अंतराष्ट्रीय महिला दिवस” के रूप मे पूर्ण मान्यता मिल पायी।

   1917 मे दितीय विश्वयुद्ध के दौरान रशियन औरतों के द्वारा “ब्रैड एंड पीस”के लिए आंदोलन किया गया क्यों की इस दितीय विश्वयुद्ध मे 2 लाख से भी ज्यादा सैनिक मारे गए थे। इन महिलाओ के अथक प्रयास से प्रत्येक वर्ष की 8 मार्च को अंतराष्ट्रीय महिला दिवस” मनाने की घोषणा हुई। और साथ ही महिलाओ को वोट डालने का अधिकार भी प्राप्त हुआ।ये प्रयास लगातार फलीभूत होते गए।1975 और 1977 मे यूनाइटेड नेशन मे महिला दिवस मनाया गया।1996 मे महिलाओ ने पास्ट प्लानिंग फॉर दी फ्युचर “,1998 और  “वुमेन एंड ह्यूमन राइट्स”और 1999 मे “वर्ल्ड फ्री ऑफ violence अगेन्स्ट वुमेन”मनाया गया। आज लगभग प्रत्येक देश मे 8 मार्च को अंतराष्ट्रीय महिला दिवस” मनाया जाता है। इसका उद्देश्य बहुत साफ और सुंदर है कि किसी भी देश मे जो अधिकार पुरुषों को प्राप्त है वही अधिकार महिलाओ को भी प्राप्त हैं।


       इक्कीसवीं सदी आते आते महिलाओं के अधिकारों मे धीरे धीरे बढ़ोत्तरी हो रही है। अंतराष्ट्रीय महिला दिवस” ने एक “ग्लोबली रेलेवंट फॉर ग्रुप्स एंड ऑर्गनाइज़ेशन  वार्षिक थीम को अपनाया है।इसके अतिरिक्त “Make it happen”कि शुरुआत भी की है। 1911 मे अंतराष्ट्रीय महिला दिवस” की सौवीं वर्षगांठ मनाई गई। IWD मीन्स अंतराष्ट्रीय महिला दिवस” ने अंतराष्ट्रीय महिला दिवस” को अवकाश का ऐलान किया है। जिन देशों ने इन्हे अपनाया है उनमें अफगानिस्तान,आर्मेनिया,अजर्बाइजन,बेलारूस,बुर्किना फासो,कोम्बोडिया,चाइना(केवल महिलाओं के लिए),क्यूबा,जार्जिया, गुइना –बिस्सऊ, Eritrea,कज़ाकिस्तान,लाओस,मडगास्कर(केवल महिलाओं के लिए),मॉल्डोवा,मंगोलिया,Montenegro,मोंटेनेग्रों,नेपाल, (केवल महिलाओं के लिए), रशिया ताजिकिस्तान तुरकेनिस्त्न यूगांडा उक्रेन उज़्बेर्किस्तान,वियतनाम और ज़ाम्बिया शामिल है।इस समय बहुत सारे देश स्वम और कुछ कार्पोरेट घराने इस तरह के होने वाले उत्सवों को प्रचुर मात्रा मे सहयोग प्रदान कर रहे हैं।

      अंतराष्ट्रीय स्तर पर महिलाएँ हर क्षेत्र मे अपना प्रभुत्व स्थापित कर रही हैं और उसे  देखते हुए ये समझना आसान हो रहा है कि वो दिन लद गए जब महिलाओं को मात्र बच्चा पैदा करने वाली मशीन के तौर पर लिया जाता था । राजनीति के क्षेत्र मे बहुत सी महिलाओं ने अपना डंका बजवाया है। यही नहीं जासूसी जैसे संवेदनशील क्षेत्रों मे तो इनको महारत हासिल है। जहां तक ओद्योगिक घरानो की बात है तो भारत मे अभी बहुत सारी अंतर्राष्ट्रीय कंपनी हैं जिनकी हैड महिलाएँ है और वे अपने क्षेत्र मे प्रगति के झंडे गाड़ रही हैं।मै यहाँ विश्व की कुछ चुनिंदा महिलाओ के विषय मे संक्षिप्त जानकारी दे रहा हूँ। जिन्होने विश्व स्तर पर अपने अलग नज़रिये से अपनी अलग पहचान बनायी ।


                                 मीरा-बाई
मीरा-बाई :-जिनका जन्म 1498 मे हुआ। वे भारतीय ही नहीं वरन विश्व की पहली             कवियत्री थीं। जो कि भगवान कृष्ण के प्रति जीवन पर्यन्त समर्पित रही। वो    
कैथरीन दी ग्रेट :-इनका जन्म 1729 मे हुआइन्हे एक जबर्दस्त राजनैतिक नेता के तौर पर याद किया जाता हैउन्होने रशिया के दास और दसियों के उत्थान मे बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।उनका इंतकाल 1796 मे हुआ।
                          मार्गरेट फुल्लर
मार्गरेट फुल्लर:- का जन्म 1810 मे अमेरिका मे हुआ। वे एक अमेरिकन वकील थी ।उनकी लिखी एक पुस्तक “Women in the Nineteenth Century “ काफी प्रसिद्ध रही।
Florence Nightingale: इनका जन्म Britain मे 1920 मे हुआ वे एक ब्रिटिश नर्स          थीं,उन्होने  crimen war मे पूरे dedication के साथ युद्ध बंदियों की सेवा की।उनकी मृत्यु 1910 मे हुई।
Marie Curie
Marie Curie :- पोलिश/फ्रेंच साइंटिस्ट का जन्म 1867 मे हुआ उन्हे पहली ऐसी महिला थीं जिनहे नोबेल पुरुस्कार प्राप्त हुआ वो ऐसी पहली पर्सन थी जिन्होने दो बार नोबल पुरुस्कार जीता पहला नोबल पुरुस्कार उन्हे Research  into radioactivity(फ़िज़िक्स 1903 मे) और दूसरा पुरुस्कार 2011 मे chemistry के लिए प्रदान किया गया।इसके अतिरिक्त उन्होने पहली एक्सरे मशीन को उन्नत करने मे भी  
Katharine Hepburn : का जन्म 1907 मे अमेरिका मे हुआ। उन्होने चार बार ऑस्कर पुरुसकारों को जीता वे अकेली महिला अभिनेत्री रहीं जिनहे कुल 12 बार ऑस्कर पुरुसकारों के लिए नामित किया गया । उनकी मृत्यु 2003 मे हुई।


 मदर टेरेसा :- का जन्म 1910 मे Albanian (अमेरिका) मे हुआ उन्हे दूसरों की सेवा करने का जुनून था।उन्होने अपना सम्पूर्ण जीवन मानव की सेवा मे समर्पित कर दिया। वे एक अंतर्राष्ट्रीय हस्ती थीं उन्हे 1979 मे शांति का नोबल पुरस्कार प्रदान किया गया । वे कोलकतता  मे जीवन पर्यन्त लोगों की सेवा मे ही लगी रही।उनकी मृत्यु 1997 मे भारत मे ही हुई।
     जहाँ तक भारत का प्रश्न है भारत मे तो महिलाओ को विशेष स्थान प्राप्त है। समान्यता: लोग (छोटी छोटी बच्चियों) को  देवी के रूप मे पूजते हैं। त्रेता से आज कलयुग तक मे महिलाओं का हर छोटे बड़े क्षेत्र मे दखल रहा है।डॉक्टर और इंजीनियर के अतिरिक्त महिलाएं आज astronaut तक की ऊंची छलांग लगा चुकी हैं। फिर चाहे वो सुनीता विल्लिम्स हो या कल्पना चावला। जहाँ तक  राजनैतिक कैरियर की बात है तो हर पार्टी मे महिला नेताओ का वर्चस्व बढ़ा है। श्रीमति इन्दिरा गांधी(1917-1984) उनमे से एक हैं। जिन्होने एक लंबे समय तक भारतीय राजनीति पर अपना वर्चस्व बनाए रखा।
     मलाला यूसफज़ई:- का जन्म पाकिस्तान मे हुआ। जहाँ आज भी तालिबन हुक्म चलता है जिसकी सज़ा मलाला को भी मिली उन्होने लड़कियों की शिक्षा के लिए आवाज उठाई। जिसके परिणाम स्वरूप तालिबानियों ने उनके सिर मे गोली मार दी लेकिन वे जिंदा बच गई।मलाला को कैलाश सत्यर्थी (भारतवर्ष) के साथ नोबल पुरुस्कार से सम्मानित किया गया।
      और अंत मे ऐसे बहुत से किरदार विश्व पटल और भारत वर्ष के इतिहास मे हैं जो की महिला रहीं किन्तु अपनी ललक और कुछ अलग करने की चाह मे उन्होने अपने लिए एक अलग राह बनाई और कामयाबी भी हासिल की।उनमे प्रमुख मीरा बाई(भक्तिकाल) झाँसी की रानी, प्रतिभा पाटिल (भूतपूर्व राष्ट्रपति,भारतवर्ष ),सुषमा स्वराज (विदेश मंत्री,भारत सरकार )अरुणा आसफली,इन्दिरा नुई(पेप्सिको हैड),श्रीमति भट्टाचार्य,सीएमडी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, चन्द्र कोच्चर,(इंडिया हैड आईसीआईसीआई बैंक)ये सूची काफी लंबी हो सकती है। श्रीमति किरण बेदी (IPS) जिन्होने लड़कियों को एक अलग राह दिखायी।
 
:::: प्रदीप भट्ट :::04.03.2016

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