“ पिछवाड़े मे साँप पालने वालो सावधान “
आज पेशावर हमले को
पूरे दस दिन हो गए। भारत और पाकिस्तान के मध्य प्रस्तावित 15 जनवरी को होने
वाली सचिव स्तर की बातचीत होगी या नहीं
अभी इस पर संशय बना हुआ है। पाकिस्तान के सरताज अज़ीज़ तो घोषणा कर चुके हैं की
बातचीत तय समय पर होगी किन्तु भारत ने अभी इसकी पुष्टि नहीं की है । आशा है यह
बातचीत होगी वैसे भी ये बातचीत होना सिर्फ भारत और पाकिस्तान के लिए ही जरूरु नहीं है वरन पूरे
दक्षिण एशिया और पूरे विश्व के लिए भी महत्वपूर्ण बन चुकी है ।
आज हम जिस आतंकवाद को
झेलने के लिए अभिशप्त हैं उससे धीरे धीरे पूरा विश्व ही प्रभावित होता जा रहा है
ये विषय अलग है की अमेरिका भारत द्वारा पूर्व मे उठाए गए आतंकवाद के मुद्दे को
भारत की आंतरिक लॉं एंड ऑर्डर की समस्या या प्रशासनिक चूक के तौर पर मानता रहा है
। किन्तु 9/11 के हमले के बाद उसका भी नज़रिया बदल गया है। उसे ये अच्छी तरह से समझ
आ गया है कि जिस आग को लगाकर वह अपनी रोटियाँ सेंकता रहा है अब धीरे धीरे वही आग
उसका अपना घर भी जलाने लगी है । आज जो अमेरिका का व्यवहार या आचार विचार भारत के
प्रति बदलता हुआ देखा जा रहा है उसकी जड़ मे उसे यह डर सताने लगा है कि अगर उसने
आतंकवाव पर अभी अपना रुख स्पष्ट नहीं किया तो उसे अपने व्यापारिक हितों
/उद्देश्यों के क्षरण के लिए तैयार रहना होगा । जिसे वह किसी भी कीमत पर नहीं
चाहेगा।
चूंकि आज आतंकवाद का
नया चेहरा आईएसआईएस बन गया है जिसकी क्रूरता के आगे सभी आतंकवादी संगठन बोने होते
जा रहे है और जिसने पूरे विश्व की मानव जाति को हैरान और परेशान कर दिया है। विश्व
के बड़े बड़े देश ये सोच कर पगला रहे हैं कि आखिर आईएसआईएस को और फैलने से कैसे रोका
जाए उसी काश –म –कश के बीच रशिया ने अपने वही पुराना सिधान्त ” Attack is the best policy of defiance” अपनाते हुए पूरी आक्रामकता के साथ आईएसआई के ठिकानो पर लेटैस्ट हथियारो
से आक्रमण कर दिया है जिसे शुरू मे तो अमेरिका ने ठीक नहीं माना लेकिन आईएसआईएस कि
क्रूरता को देखते हुए जल्दी चुप रहना ही बेहतर समझा । आतंकवाद पर आगे बात करने से
पहले हम विश्व के पाँच सबसे ज्यादा आतंकवादी हमलो को झेलते रहने को विवश देशो कि
जांच पड़ताल से करेंगे ।
अमेरिका
जहां तक विश्व पटल पर
आतंकवाद का प्रश्न है शुरुआत अमेरिका से करना बेहतर होगा । अमेरिका मे यूं तो
आतंकवाद की शुरुआत 19 सदी से ही हो गई थी
किन्तु 1900-1959 जिसमे प्रेसिडेंट Willam Mckinley पर गुए हमले से 1959 मे बोमिंग ऑफ थे Benevolent benevolent टैम्पल ऑफ अटलांटा (Georgia) तक। 1960 मे
सनडे बोंबर Detonated ऑफ सिरीज़ ऑफ Bums in the न्यू यॉर्क subway से 12 नवम्बर 1969 तक मनहटटन
क्रिमिनल कोर्ट मे हुए बम धमाके विशेष हैं।
·
1970-1979 की शुरूआत Jewish Defense League
पर 27 हमलो से हुई जो दशक के अंत तक आते आते 21 September 1976 को orland letelier आ फार्मर मेम्बर ऑफ chilean की हत्या से खत्म हुई ।
·
1980 के दशक की शुरूआत Statue of
Liberty पर हमले से हुई इस हमले मे कोई हताहत तो नहीं हुआ
किन्तु लगभग 1800 Dolor का नुकसान अवशय हुआ ।इस दशक का अंत भी सलमान रुशदी की किताब “The Satanic Verses छापने वाली प्रैस पर हमले से हुई ।
·
1990 के दशक की शुरूआत सईद
नासिर जो की इस्लामिक टेरर का एक सदस्य था ने एक राजनीतिज्ञ उमर अब्दुल्लाह – रहमान
की हत्या से हुई और अंत Los Angels जेवीश कम्यूनिटी सेंटर पर फ़ाइरिंग से हुआ।
·
2000 की दशक की शुरूआत न्यू
यॉर्क पर आतंकवादी हमले से हुई । इस दशक मे 9/11 के हवाई हमलो को अभी तक भी सिहरन
के साथ याद किया जाता है जिसे अलकायदा ने अमेरिकी नीतियो के विरोध स्वरूप अंजाम
दिया । इस हमले मे कुल 2507 आम नागरिकों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा । इसके
अतिरिक्त 72 लॉं ऑफिसर, 343 अग्नि शमक कर्मचारी एवम
55 मिलिटरी personnel मारे गए। इस हमले मे अमेरिका के विश्व प्रसिद्ध ट्विन टावर ऑफ थे
वर्ल्ड न्यू यॉर्क सिटि ,Pentagon (Washington) साथ ही 110 मंज़िला Sky Scrapers in New York city
पूरी तरह तबाह हुई ।
वैसे तो
अमेरिका 1972 से ही इस्लामिक आतंकवाद से त्रस्त
रहा है। जहां 1972 से 9/11 के हमले तक मात्र 184 लोग हिंसा का शिकार हुए और 53 लोग
जख्मी हुए वही 9/11 के पश्चात अमेरिका मे इस्लामिक आतंकवास से अब तक 104 लोग मारे
जा चुके हैं और 367 जख्मी हुए हैं।यहाँ यह उल्लेखनीय है कि अमेरिका कि आबादी 1
जनवरी 2015 के हिसाब से 320.09 मिलियन है।
इस्राइल
अब बात
करते हैं इस्राइल। 1949 मे स्वतंत्रा के पश्चात जब
युद्धविराम कि घोषणा हुई तो इस्राइल का लगभग 50 प्रतिशत इलाके पर उसका कब्जा हुआ। यासर
अराफात द्वारा 1959 मे फतह की स्थापना की
तत्पश्चात 1964 मे फिलिस्तीनी मुक्ति संघथन अस्तित्व मे आया। किन्तु
इस्राइल ने 1967 मे 6 दिन तक चले कड़े संघर्ष मे अपने सभी पड़ोसियो को न केवल परास्त किया बलिक एक बड़े भू-भाग पर अपना
आधिपतत्य भी स्थापित किया । इस्राइल जो एक यहूदी देश है वहाँ पर भी आतंकवाद ने अपने पाँव 1972
मे ही जमा लिए
थे याद किजिए म्यूनिख ओलंपिक
जिसमे इस्राइल के 11 खिलाड़ियो का ब्लैक सेप्टेम्बर नाम के फ़लस्तीनी आतंकी गुट न केवल अपहरण किया बल्कि उनको बड़ी निर्दयता के
साथ मार भी दिया गया था । अभी इस्राइल इस हमले से उबर भी नहीं पाया था कि 1974 मे
डेमोक्रेटिक फ्रंट फॉर लिबरैशन ऑफ फलिस्तीनी ने लेबनान के रास्ते आकार मालोट मे
115 इस्राइलियो जिनमे 105 तो इस्राईली बच्चे थे को बंदी बना लिया गया किन्तु इस्राइल ने झुकने से
इंकार कर दिया और उन पर हमला कर दिया और परिणाम स्वरूप कुल 25 लोग जिनमे 22 बच्चे
थे मारे गए और 70 के लगभग ज़ख़मी हुए। 1976 मे इस्राइल के हवाई जहाज को यूगांडा मे Highjack कर
लिया था । इस्राइल के 100 कमांडो 4000 किलोमीटर की यात्रा कर यूगांडा पहुंचे और
मात्र 90 मिनट की कार्यवाही मे 256 यात्रियों को छुडवा लिया । अच्छी बात ये रही की
जहां यूगांडा के 48 सैनिक मारे गए वही इस्राइल का सिर्फ एक कमांडो इस
कार्यवाही मे मारा गया ।
उपरोक्त
से एक बात स्पष्ट है कि इस्राइल किसी
भी सूरत मे आतंकवादियों से न तो डरता है और न ही उनकी उसने आज तक कोई भी अनुचित
मांग मनी है इसके बरक्स वो तो उल्टा उन पर पूरे ज़ोर से प्रहार करने मे यकीन करता
है। यहाँ मै इस्राइल कि आजादी से सन 2000 तक और 2000 से 2015 तक के आंकड़े दे रहा
हूँ जिससे आपको इस्राइल कि सोच का पता चलेगा :-
Period
|
कुल आतंकवादी हमले
|
हमले मे मारे गए लोग
|
हमले मे घायल गए लोग
|
जनसंख्या
|
1948 -1999
|
456
|
1770
|
4680
|
8.059 Million
(2013)
|
2000-2015
|
687
|
1301
|
8800
|
रशिया
अब बात
करते हैं रशिया कि जो पूर्व मे सोवियत संघ था वहाँ भी आतंकवादियों के साथ कोई
बातचीत नहीं कि जाती उनकी सिर्फ एक ही पॉलिसी है घेरो और मार दो भले ही कुछ रशियन
लोगो की बली ही क्यो न देनी पड़े ।
जहां तक रशिया पूर्व
का सोवियत संघ मे आतंकवाद का प्रश्न यूं तो इसकी शुरुआत 19वीं सदी से मानी जाती है
जब नरोदनया वोल्या के नेत्रतव मे निहिलिस्ट मूवमेंट मे हजारों की संख्या मे लोगो
ने एक राजनैतिक मार्च मार्च 1881मे किया॥ सामान्यत: सोवियत संघ मे RED Terror एक लंबे समय तक छाया रहा तत्पश्चात वहाँ Hostage-taking के रूप मे एक नये आतंकवादी
प्रारूप ने अपनी जगह बनानी शुरू कर दी । किन्तु रशिया को इस्लामिक
आतंकवाद की आहट का आभास पहली बार 1999 मे हुआ जब बाकायदा रशियन अपार्टमेंट
बोम्बिंग की श्रंखला हुई और उसमे 300 लोग मारे गए जिसे दागेस्तान वार या दूसरी
चेचण्या वार के रूप मे लिया गया। यहाँ 2002 का मॉस्को theaters hostage crisis, अस्तरखान मे 2001 मे हुई बोम्बिंग,Voronezh शहर के बस स्टॉप पर बोम्बिंग, 2004 मे मॉस्को मेट्रो मे बोम्बिंग शामिल है ।
Period
|
कुल आतंकवादी हमले
|
हमले मे मारे गए लोग
|
हमले मे घायल गए लोग
|
जनसंख्या
|
1994 -1999
|
29
|
697
|
1826
|
142,098.141
|
2000-2015
|
142
|
2241
|
5812
|
पाकिस्तान
चलिये अब इस लेख के चौथे चरण मे
चलते हैं यहाँ मै भारतवर्ष
का जिक्र करने से पूर्व पाकिस्तान के विषय मे लिखना चाहूँगा । चूंकि पाकिस्तान भी
भारत के साथ ही 1947 मे British गुलामी से मुक्त हुआ। जिस आतंकवाद से भारत एक लंबे
समय से त्रस्त है। आज की तारीख मे पाकिस्तान भी कमोबेश उसी आतंकवाद से त्रस्त नज़र
आता है जिसके बीज उसने भारत मे दहशगर्दी फैलाने के 1947 से ही शुरू किए थे।
पाकिस्तान ने अपनी पैदाइश से ही भारत से बैर बांधा हुआ है ऐसा इसलिए भी की
पाकिस्तान की फितरत ही ऐसी ही है न तो खुद सुख से रहो न अपने पड़ोसियो को रहने दो।
जितनी ऊर्जा का इस्तेमाल वो भारत विरोधी गतिविधियो मे लगाता है अगर उतनी ही ऊर्जा
वो पाकिस्तान के उत्थान मे लगाए तो
पाकिस्तानी जनता का ज्यादा भला होगा लेकिन ये सर्वविदित है कि वो ऐसा शायद ही कभी
करे।
पाकिस्तान
मे अभी तक जो आतंकवादी हमले हुए हैं उनमे 16 अक्तूबर 1951 को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री लियाकत कि हत्या
कर दी गई । 17 अगस्त 1988 को पाकिस्तान के
बहलावलपुर मे राष्ट्रपति जनरल मुहम्मद ज़िया उल हक़ की एक प्लेन हादसे मे मौत
हो गई । 27 दिसम्बर 2007 को रावलपिंडी मे पाकिस्तान की प्रधानमंत्री बेनज़ीर भुट्टो
जिनहे आतंकवादियो ने सारे आम बम/गोलियों से उड़ा दिया जब वे एक चुनावी सभा को
समोबोधित करने जा रही थीं। अमेरिका पर 9/11/2001 मे हुए आतंकवादी हमले के पश्चात
पाकिस्तान ने US led global war on terror provided it with an opportunity and chance to address militancy and religious extremism is the country Terrorism as it
has been defined since 9/11 has so far taken a death toll of thousands of
people, mostly in Iraq followed by Afghanistan and Pakistan. This version of
war against terrorism has increased not only terrorists but is has punished
almost innocent people in Pakistan only.
अब ज़रा पाकिस्तान की स्थिति पर भी नज़र डाली जाए कि सन 2000 से
2015 तक आतंकवादियो द्वारा कुल कितने लोगो कि हत्या कि गई और कुल कितने ज़ख्मी हुए
:-
पीरियड
|
मारे गए लोग
|
जख्मियों कि तादाद
|
जनसंख्या
|
2000
|
12
|
12
|
188,144,04
2015 के अनुसार
|
2001
|
27
|
10
|
|
2002
|
56
|
104
|
|
2003
|
67
|
159
|
|
2004
|
126
|
164
|
|
2005
|
139
|
167
|
|
2006
|
190
|
364
|
|
2007
|
944
|
1559
|
|
2008
|
1467
|
2616
|
|
2009
|
1665
|
2706
|
|
2010
|
1695
|
4418
|
|
2011
|
519
|
545
|
|
2012
|
682
|
1079
|
|
2013
|
950
|
1311
|
|
2014
|
270
|
309
|
|
2015
|
226
|
165
|
भारत
भारत मे आतंकवादी हमलो के शुरुआत 2
अगस्त 1984 मीनमबक्कम बॉम्ब ब्लास्ट (तमिलनाडू) से मानी जा सकती है जिसमे कुल 30
लोग मारे गए और 25 लोग घायल हुए । उसके बाद जुलाई 1987 से पंजाब मे उग्रवादी
संगठनो का ज़ोर चलता रहा जो कि 7 जुलाई 1987
को पंजाब उग्रवादियो द्वारा 36 लोगो को मौत के घाट उतार दिया गया और 60 लोग
गंभीर रूप से ज़ख्मी हुए । उसके बाद चार साल कि खामोशी छाई रहने के बाद 15 जून 1991
को पंजाब मे फिर कहर बरपा और 90 लोगो को मौत के घाट उतार दिया गया और 200 लोग
ज़ख्मी हो गए । 12 मार्च 1993
259 लोग दंगे मे मर दिये गए 713 गंभीर रूप से घायल हुए । फिर इस आतंक की एक
लंबी श्रंखला पूरे भारत मे चलती रही कभी एक शहर मे तो कभी उस शहर मे और सभी घटनाओ
मे पाकिस्तान का निश्चित हाथ पाया जाता रहा ।इसमे प्रमुख 1 अक्तूबर 2001 को जम्मू
कश्मीर की विधानसभा पर आतंकवादियो का हमला जिसमे 38 लोग मारे गए। 13 दिसम्बर 2001
को आतंकवादियो का भारत के लोकतन्त्र के मंदिर “संसद भवन” पर हमला हुआ जिसमे कुल 7
सुरक्षाकर्मी मारे गये ।24 सितम्बर 2002 को अक्षरधाम मंदिर गांधी नगर ,अहमदाबाद (गुजरात ) पर फिर
आतंकवादियो ने हमला किया जिसमे कुल 31 लोगो को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा । 13
मार्च 2003 मुंबई ट्रेन मे धमको को आतंकवादियो ने अंजाम दिया । 25 अगस्त 2003 को मुंबई
मे हुए बम धमाको मे कुल 52 लोग मारे गये। मुंबई मे अभी तक जो ट्रेनो मे जो बम
धमाके हुए थे उनमे सबसे बड़ा हादसा 11 जुलाई 2006 को हुआ जिसमे 209 लोग मारे गये और
500 से अधिक गंभीर रूप से घायल हुए ।
जिस प्रकार अमेरिका मे 9/11
का के हमले की याद अभी तक सभी को सालती है उसी प्रकार भारत मे 26/11/2008 को 10
पाकिस्तानी समर्थित आतंकवादियो ने मुंबई के विभिन्न जगहो पर हमला किया जिसमे कुल 171 लोग मारे गये और 239 लोग गंभीर रूप से घायल
हुए ।2015 मे गुरुदास अटैक हुआ जिसमे कुल 10 लोग मारे गये और 15 लोग घायल हुए ।और
अभी 2 जनवरी 2016 को पठानकोट एयर बेस आतंकवादी हमला हुआ जिसमे कुल 7 सुरक्षाकर्मी
शहीद हो गये ।
पीरियड
|
मारे गए लोग
|
जख्मियों कि तादाद
|
जनसंख्या
|
2000
|
3
|
14
|
1 अरब 25 करोड़ के करीब
|
2001
|
38
|
-
|
|
2002
|
45
|
-
|
|
2003
|
195
|
474
|
|
2004
|
68
|
72
|
|
2005
|
13
|
50
|
|
2006
|
267
|
625
|
|
2007
|
148
|
70
|
|
2008
|
417
|
1055
|
|
2009
|
13
|
129
|
|
2010
|
18
|
80
|
|
2011
|
45
|
206
|
|
2012
|
-
|
5
|
|
2013
|
69
|
266
|
|
2014
|
17
|
80
|
|
2015
|
16
|
25
|
|
2016
|
07
|
-
|
(उपरोक्त
सभी आकडे इंटरनेट पर उपलब्धता के आधार पर )
भारत मे आज तक जितने भी आतंकवादी
हमले हुए है उनमे पाकिस्तान परोक्ष या अपरोक्ष रूप से सदेव शामिल रहा है । 2 जनवरी
2016 को पठानकोट एयर बेस पर हुए ताजातरीन हमेले के सारे के सारे तार पाकिस्तान से
जुड़े है जिन पर भारत सरकार ने तुरंत एक्शन लिया और पाकिस्तान को सभी सबूत मुहैयाया
करा दिये गए हैं । पाकिस्तान ने भारत सरकार द्वारा दी गई 72 घंटे कि समय सीमा मे
एक्शन भी किया है और एक रिपोर्ट भारत सरकार को सौपी भी है एवं एक जाइंट जांच समिति
बनाने का ऐलान भी किया है जिसका भारत सरकार ने स्वागत किया है। अब देखना है कि ऊंट
किस करवट बैठता है।
:::: प्रदीप भट्ट :::::12.01.2016
Good Thoughts and great analysis work
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